क्षेत्रीय
05-Jun-2023
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-वर्षा ऋतु में पानी छोडऩे के दौरान होगी परेशानी कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिलान्तर्गत बांधों के रखरखाव के लिए हर साल भारी भरकम राशि खर्च की जाती है। इसके बाद भी दर्री बराज की जलकुम्भी की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है, जो वर्षा ऋतु में परेशानी का सबब बन सकती है। व्यापक क्षेत्र में जलकुम्भी फैली हुई है। दर्री बांध लगातार जलकुंभी से भरता जा रहा हैं। तीन साल से सफाई कार्य नहीं हुआ है। ऐसे में जलकुंभी का दायरा 13 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल गया हैं। पखवाड़े भर बाद मानसून की शुरूआत हो जाएगी। 84 करोड़ सालाना बजट देने वाला बांध अपनी जलकुंभी विस्तार की समस्या से जूझ रहा है। समय पर जलकुंभी नहीं हटाए गए तो बांध में वर्षा के दौरान गेट से पानी छोडऩे में कठिनाई होगी। जीवन दायिनी हसदेव नदी पर निर्मित दर्री बांध में इन दिनों लहरों की जगह चारों ओर हरियाली नजर आ रही हैं। जल की सतह पर जलकुंभी का दायरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इसे हटाने के लिए प्रति वर्ष जल संसाधन विभाग की ओर से निविदा जारी की जाती है। इसके लिए पानी लेने वाली औद्योगिक प्रबंधन फंडउपलब्ध कराती है। कोरोना काल के बाद बांध के नियमित सफाई का क्रम लगभग बंद हो गया है। बांध से कोरबा, जांजगीर और रायगढ़ के 23 छोटे बड़े औद्योगिक प्रबंधनों को पानी दिया जाता है। बांध की सफाई व रखरखाव के लिए अतिरिक्त राशि दिए जाने के शर्त पर उन्हे पानी दिया जाता है। औद्योगिक प्रबंधन की ओर से राशि जमा नहीं कि जाने की वजह से सफाई का काम ठप है। जलकुंभी एक जलीय पौधा है, यह पानी की स्वच्छता को बनाए रखता है। इसके उपरी सतह में बैठकर पक्षी जलचर कीट का शिकार करते हैंं। पानी में इसकी सीमित क्षेत्र तक होने कारगर है। हवा के बहाव के साथ जल कुंभी एक स्थान से दूसरे स्थान तैरते रहते हैं। वर्षा की तुलना में ग्रीष्म के समय इनका विस्तार अधिक तेजी से होता। जल बहाव के साथ गेट पर आकार अटी जलकुंभी सडऩे लगी है। इससे पानी में गंदगी भी पसरने लगी है। अधिक तादाद में गेट में जमा होने की वजह से अब निकालना भी मुश्किल हो गया है।