राष्ट्रीय
05-Jun-2023
...


डोंगरगढ़ (ईएमएस)। संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में सोमबार को प्रवचन में बताया कि मासोप्वास के बाद एक महाराज आहार चर्या के लिये नगर कि ओर आ रहे थे। जिस ओर श्रावक थे उसी ओर महाराज जा रहे थे। बड़े-बड़े सेठ-साहूकार सभी वहाँ पर थे और एक कोने में एक बुढ़िया खड़ी थी। तभी महाराज चारों तरफ घूम कर बड़े-बड़े सेठ-साहूकार के चौकों को लांघकर उस बुढ़िया के यहाँ आकर खड़े हो जाते हैं। वह बुढ़िया महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार चर्या के लिये अपने घर में प्रवेश करने को कहती है फिर उच्चासन में (पाटे में ) विराजमान होने को कहती है। जो कुछ भी उसके घर में रहता है वह उसी वस्तु से महाराज का पूरा आहार करवाती है। तभी उसके घर में रत्नों कि वर्षा होना प्रारंभ हो जाती है। यह है सच्ची नवधा भक्ति का प्रभाव। कुछ दिन बाद महाराज का आहार एक सेठ के यहाँ होता है वह सेठ ऊपर आसमान में देखता है कि उसके यहाँ रत्न वृष्टि क्यों नहीं हुई। फिर वह उस बुढ़िया के घर जाता है और उससे पूछता है कि आपने ऐसा क्या किया जिससे आपके यहाँ रत्न वृष्टि हुई। तो वह बुढ़िया कहती है कि मेरे यहाँ तो सिर्फ मुट्ठी भर सरसों थी तो मैंने उसको पीस कर लपसी जैसा बना दिया था। सरसों तो कड़वा होता है। उस सरसों कि लपसी से महाराज के पेट का रोग ठीक हो गया। कड़वा से लड्डूवा (लड्डू) हो गया। वह सरसों औषधि बन गयी और महाराज के पेट का रोग ठीक हो गया और बुढ़िया के यहाँ रत्न वृष्टि होना प्रारंभ हो गयी। इसलिए आचार्यों ने कहा है कि अच्छे कर्म करो पर फल कि ओर नहीं देखना। जब तक मुक्ति नहीं मिलती तब तक यह सुख वैभव कुछ है ही नहीं। धार्मिक क्रियायों को विवेक पूर्वक करना चाहिये। इसे कर्त्तव्य न मानकर भाव प्रधान पूर्वक अपने कर्म को निर्दोष बनाना है। मोक्ष मार्ग में घूसखोरी नहीं होती यहाँ तो योग्यता होने पर ही कार्य होता है। आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी रिंकी दीदी घंसौर निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी), निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष प्रकाश जैन (पप्पू भैया), सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी। श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है। यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है। यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है। यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है।आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर-दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके। उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है।