लेख
06-Jun-2023


बालासोर रेल हादसे के बाद चर्चा यह है कि यह हादसा दुर्घटना है अथवा यह किसी साजिश का परिणाम है । लगातार चलने वाले चैनलस, अपना अपना कैलकुलेशन अपने-अपने एंगल से आपके सामने रख रहे हैं । अखबार अपनी अपनी बात अपने अपने तरीके से कह रहे हैं। सबको अपनी अपनी बात कहने का हक है परंतु सबको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की विषम परिस्थिति में किसी भी तरह का पैनिक जनता के बीच में न फैले। इस संबंध में रेलवे के सुरक्षा आयुक्त द्वारा अपने हिस्से का कार्य पूर्ण किया जा चुका है अथवा नियमानुसार पूर्ण होगा भी ऐसा सबको भरोसा है। परंतु रेलवे बोर्ड की सलाह पर जांच सीबीआई को करने के लिए सौंपा जाना किस बात की संभावना की ओर संकेत है कि- इस घटना में कोई न कोई संदिग्ध परिस्थिति अवश्य ही उत्पन्न हुई है या आंतरिक सुरक्षा में कोई सेंधमारी की संभावना व्यक्त की गई है , मीडिया समाचारों की माने तो आगे रेलवे बोर्ड इस घटना की जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहा है । इसका यह अर्थ भी हो सकता है कि- मौजूदा टेक्निकल फैलयुर किसी न किसी टेंपरिंग या बाहरी हस्तक्षेप से होना संभव माना जा रहा है। और अगर ऐसा हुआ तो ऐसी घटना विश्व की सबसे व्यवस्थित एवं बड़ी रेल संचालन प्रणाली के लिए खतरे की घंटी है। अर्थात भारतीय रेल परिचालन प्रणाली में आतंकवादी गतिविधियों का प्रवेश संभव है। यह तो भविष्य में स्पष्ट होगा परंतु 8 फरवरी 2023 को मैसूर डिविजन में एक गाड़ी 12649 के कुलीज़न की ऐसी ही घटना पर समय रहते नियंत्रण करने की जानकारी प्राप्त हुई है। यहां बालासोर पहुंचने वाली ट्रेन अपने को छोड़कर लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी वाली ट्रैक पर चली जाती है। जिससे उसके डब्बे एक अन्य मेन लाइन तक बिखर जाते हैं। जिससे कोलकाता जाने वाली एक ट्रेन को गुजारना था। और हुआ वही बेंगलुरु कोलकाता सुपरफास्ट एक्सप्रेस उस ट्रक से गुजरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गई तथा दुर्घटनाग्रस्त बोगियों में सवार पैसेंजर्स को और अधिक नुकसान पहुंचा। मालगाड़ी से टकराने वाली पैसेंजर ट्रेन किन कारणों से अपना ट्रैक बदलती है इस पर अपना मत व्यक्त करते हुए रेल विभाग के एक इंजीनियर सुधांशु मणि बताते हैं कि- [ ] रेलगाड़ी केवल रेल लाइन की सेटिंग के अनुसार चलती है। ड्राइवर यानी लोको पायलट अपने मन से किसी भी ट्रैक पर गाड़ी को नहीं ले जा सकते। [ ] यह अवश्य है कि आसन्न खतरे को देखकर रेल ड्राइवर अर्थात लोको पायलट गाड़ी की गति को कम या स्थिर अवश्य कर सकते हैं। [ ] इस दुर्घटना का प्रारंभिक कारण ट्रेन का मालगाड़ी वाले ट्रैकिंग प्रवेश कर जाना रहा है। वास्तव में ट्रेन लूप लाइन में रेल की पटरी के सेट हो जाने के कारण चली गई। अर्थात पटरी की सेटिंग में किसी भी तरह की मानवीय अथवा यांत्रिकीय त्रुटि के कारण अथवा जानबूझकर किए गए प्रयास से दुर्घटना हुई। [ ] यह सच है कि- लूप लाइन में ट्रेन को ले जाने के लिए ड्राइवर को सिग्नल नहीं था। परंतु दुर्घटना के फुटेज देखने से लगता है कि- ड्राइवर अपनी गाड़ी को रोक पाने में असफल रहे । [ ] परंतु अभी तक यह तथ्य सामने नहीं आया है कि- इनकी गति कितनी थी? स्टेशनों पर न रुकने वाली ट्रेन की गति के संबंध में विमर्श आवश्यक है।लोको पायलट को भी इसी आधार पर क्लीन चिट नहीं दी जा सकती आंकड़े बताते हैं कि 2017 से 2021 तक भारत में पटरी को छोड़ने के मामले 1127 रिपोर्ट हुए हैं। भारतीय रेल परिचालन व्यवस्था को दुर्घटना रहित बनाने के लिए कवच नामक एक कार्यक्रम को भारतीय रेल बजट में स्थान दिया गया है . यह कार्यक्रम रिसर्च एवं डेवलपमेंट के साथ-साथ उन सभी प्रयासों को लागू करेगा जिससे कुलिजन यानी आमने-सामने की भिड़ंत अथवा अन्य दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इस कार्यक्रम में तेजी लाना आवश्यक है। अंततः भारत सरकार एवं भारतीय रेल विभाग को सुरक्षा के लिए r&d तथा टेक्निकल सपोर्ट देने वाले ऐसे संस्थान की आवश्यकता पर कार्य करना चाहिए जो रेल दुर्घटनाओं को रोक सके। वैज्ञानिकों शोधकर्ताओं को भी इस दिशा में निरंतर काम करने की तथा सरकार को मदद करने की जरूरत है। ईएमएस/06/06/2023