अब किसी भी खेल के खिलाड़ी को प्रैक्टिस एकटिस करने की बिलकुल जरुरत नहीं है जरूरत है तो अपनी कुंडली दिखाने की और अगर कोई ग्रह उल्टा सीधा हो तो उसका उपाय करवाने की, क्योंकि एक खबर अब सामने आई है कि पिछले साल एशिया कप क्वालीफाइंग में कोलकाता में अफगानिस्तान के खिलाफ खिलाड़ियों का जो चुनाव हुआ था उसमें उनकी प्रैक्टिस नहीं देखी गई बल्कि उनका चुनाव एक ज्योतिषी जी की सलाह पर हुआ और उस ज्योतिषी की सलाह पर दो खिलाड़ियों को बाहर भी कर दिया गया क्योंकि ज्योतिषी का कहना था कि उनकी ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही है इसलिए हो सकता है टीम हार जाए, इस ज्योतिषी को दस लख रुपए का पेमेंट भी किया गया । जबसे ये खबर सामने आई है तब से सब खिलाड़ी मैदान छोड़कर ज्योतिषियों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, अपनी अपनी कुंडली लेकर उनसे ये पूछ रहे हैं कि उनकी ग्रह दशा कैसी चल रही है, राहु की महा दशा है या केतु की, शनि का साया है, या मंगल क्रोध में है साडेसाती है या कोई ग्रह वक्री हो गया है और उसके लिए उसे क्या उपाय करना होगा क्योंकि जब खिलाड़ियों का चुनाव ग्रह दशाओं के माध्यम से हो रहा हो तो फालतू की प्रेक्टिस करके काहे को अपना समय और शरीर बर्बाद किया जाए, वैसे एक हिसाब से ये भी ठीक बात है क्योंकि हर इंसान के कार्यकलापों पर ग्रह दशा का असर पड़ता है अगर टाइम ठीक नहीं चल रहा है तो सारे करे कराए पर पानी फिर जाता है और अगर टाइम ठीक हो तो फिर तो बल्ले बल्ले है ही । अपना मानना तो ये है कि अब खिलाड़ियों के चुनाव के लिए खेल के एक्सपर्ट की बजाय ज्योतिषियों की ही नियुक्ति की जाना चाहिए क्योंकि जब खिलाड़ियों का चुनाव ग्रह दशाओं पर ही निर्भर है तो फिर उन एक्सपर्ट्स की जरूरत ही क्या है? वे बेचारे जो दो खिलाड़ी बाहर कर दिए गए थे अपनी ग्रह दशा ठीक करवाने के लिए ज्योतिषियों के पास जाकर लाल किताब के उपाय पूछ रहे हैं कि कैसे उनकी ग्रह दशा ठीक हो पाए और अगली बार उनका चुनाव हो जाए । यह भी पता लगा है कि कई खिलाड़ी तो ज्योतिषियों से सेटिंग भी कर रहे हैं कि भैया मालमत्ता ले लेना लेकिन यही बताना कि हमारी ग्रह दशा एकदम टनाटन हैऔर अगर हमें टीम में ले लिया तो जीत पक्की है, वैसे भी भारतीयों को ज्योतिषियों पर बड़ा विश्वास है । बड़े-बड़े ज्योतिषी इस देश में है जो दुनिया भर की भविष्यवाणी करते हैं लेकिन ये नहीं बता पाते कि आज उनके पास कितने क्लाइंट आने वाले हैं । जोधपुर के एक बड़े भारी ज्योतिषी थे जिनकी कई किताबें भी ज्योतिष पर निकली थी बड़े नेता, अभिनेता,व्यापारी उद्योगपति उनके घर के सामने लाइन लगाए रहते थे , उनसे सलाह लेते थे लेकिन भाई साहब को ये नहीं मालूम था कि उनकी कुंडली में इनकम टैक्स के अफसर बैठ गए हैं, ऐसा छापा मारा कि सारा माल जो ज्योतिषी जी ने कमाया था इनकम टैक्स वाले ले गए लेकिन क्या किया जाए विश्वास तो किसी पर भी हो जाता है, और आजकल तो ज्योतिष का धंधा सबसे बढ़िया है हर लगे ना फिटकरी रंग चोखा हो । कौन नहीं सुंदर दिखना चाहता हाल ही में एक सर्वे में ये जानकारी निकल कर सामने आई है कि ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने में अपना भारतवर्ष सबसे आगे है दुनिया के तमाम देश अपने देश से ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने में पीछे रह गए हैं।अपनी चमड़ी को लेकर भी लोग बाग भारी चिंतित रहते है और क्यों न हों, हर व्यक्ति खूबसूरत और सुंदर दिखना चाहता लड़के वाले जब लड़की देखने जाते हैं तो सबसे पहले यही देखते हैं कि लड़की गोरी है कि नहीं ,अगर गोरी है तो शादी पक्की है और अगर लड़की सांवली या काली है तो फिर बताते हैं कहकर निकल आते हैं । दुनिया खूबसूरती के पीछे भाग रही है कौन-कौन से प्रोडक्ट नहीं बाजार में है कोई आपको गोरा कर रहा है, तो कोई झाइयां दूर करने की बात करता है, कोई कील मुंहासे को जड़ से उखाड़ करने का दावा कर रहा है तो कोई चेहरे पर ग्लो लाने का लाने का दम भर रहा है। पहले तो महिलाओं के लिए ही ब्यूटी प्रोडक्ट बाजार में थे लेकिन आजकल तो मर्दों के ब्यूटी प्रोडक्ट भी धड़ल्ले से बिक रहे हैं स्किन वाले डॉक्टरों की तो चांदी है एक तो उसमें इमरजेंसी नहीं होती,दूसरा इलाज में लंबा वक्त लगता है और अगर ठीक नहीं हुए तो डॉक्टर कह देता है आपने खान-पान में परहेज नहीं किया इसलिए आपकी चमड़ी लटक गई है, वैसे एक बात तो है कि खूबसूरती भगवान की देन है लेकिन ये कंपनी वाले भगवान के दिए हुए चेहरे और चमड़ी को चैलेंज करने में जुटे हैं यही कारण है कि ड्यूटी प्रोडक्ट खरीदने में भारत नंबर वन पर पहुंच चुका है। अभी और पता नहीं कितनी कंपनी आएंगी जो आपकी खूबसूरती पर चार चांद लगाने की बात करेगी। लोग बाग भी सोचते हैं भले ही पैसा लग जाए लेकिन हसीन तो दिखने लगे बस इसी का फायदा तो कंपनी वाले उठा रहे हैं । सपने में भी टिकट दिख रही आगामी दो-तीन महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं हर छोटा बड़ा नेता इस वक्त अर्जुन का रूप धारण किए हुए हैं और पार्टी की टिकट हो गई है चिड़िया की आंख, पूरा ध्यान सिर्फ टिकट पर ही केंद्रित है कि येन केन प्रकारेन टिकट मिल जाए हर नेता की एक ही चाहत है उसे ही टिकट मिले लेकिन टिकट मिलेगी कैसे और किसको लेकर इसको लेकर भी वे बेचारे भारी परेशान हैं किस-किस के दरवाजे पर नहीं जा रहे, किस-किस से जुगाड़ नहीं लगवा रहे लेकिन अभी तक टिकट डार्लिंग का दूर-दूर तक पता नहीं है बीजेपी ने तो एक लिस्ट जारी कर दी लेकिन कांग्रेस अभी सोच विचार में जुटी है कि टिकट दें तो किसे दें। एक हसीना कई दीवाने वाली स्थिति है इस हसीना को पाने के लिए हर नेता सपने में भी उसी को देख रहा है ,रात हो ,दिन हो ,शाम हो ,सुबह हो बस एक ही चिंता कि टिकट मिल जाए ऊपर तक नाम चला गया है यानी टिकट मिलना पक्का है ऐसा सोच हर नेता का है उधर हाई कमान भी खूब मजे ले रहा है ,टिकट के उम्मीदवार भोपाल से लेकर दिल्ली तक अप डाउन कर रहे हैं उनको आश्वासन पर आश्वासन मिल रहे हैं कि चिंता मत करो टिकट तो तुमको ही मिलेगी पर मिलना किसको है ये बात तो हाई कमान के अलावा भगवान भी नहीं जानता फिर भी कोशिश करने में कोई पीछे नहीं है पता नहीं बिल्ली के भाग से किसका छींका टूट जाए ,वैसे भी कहा जाता है कि प्रयास में कमी नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर आप असफल हो गए तो यह कहा जाता है आपने मन लगाकर प्रयास नहीं किया बस इसी को अपना ब्रह्म वाक्य मान कर हर नेता हर वह कुछ करने तैयार है जो उसे टिकट दिलवा सकता है। सुपरहिट ऑफ़ द वीक सुनो जी जब आपने पहली बार मेरा घूंघट उठाया था तो आपको कैसा लगा था श्रीमती जी ने शरमाते हुए श्रीमान जी से पूछा मां कसम मैं तो मर ही जाता अगर मैने टीवी पर हॉरर फिल्में देखने की आदत नहीं डाली होती श्रीमान जी का जवाब था। ईएमएस / 18 सितम्बर 23