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26-Dec-2025
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- मनमोहन सिंह की शालीनता को हमने कमजोरी समझा - उन्हें बदनाम करने वाले आंदोलन में शामिल होने का अफसोस नई दिल्ली (ईएमएस)। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की पहली पुण्यतिथि पर देश की राजनीति में एक अहम आत्ममंथन देखने को मिला। वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में अपनी भूमिका को लेकर सार्वजनिक रूप से खेद जताया। उन्होंने कहा कि वह ऐसे आंदोलन का हिस्सा बने, जिसने एक “भद्र, ईमानदार और दूरदर्शी नेता” को बदनाम किया और अनजाने में “एक दुष्ट शासन” को सत्ता में आने में मदद की। प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर डॉ. मनमोहन सिंह की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि वह एक विनम्र, सुसंस्कृत, शिक्षित और नेक इरादों वाले व्यक्ति थे। उनकी सादगी और शालीनता को कमजोरी समझा गया। भूषण ने कहा, “मुझे अफसोस है कि मैंने ऐसे आंदोलन में भाग लिया, जिसने उन्हें बदनाम किया और देश में एक ऐसे शासन के उभार का रास्ता बनाया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है।” गौरतलब है कि प्रशांत भूषण इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल थे और अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर इस आंदोलन को राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी (AAP) में बदलने की प्रक्रिया का हिस्सा बने। हालांकि बाद में भूषण और केजरीवाल के बीच मतभेद सामने आए और दोनों के रास्ते अलग हो गए। IAC आंदोलन के दौरान भूषण ने यूपीए सरकार और स्वयं मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार को लेकर तीखे आरोप लगाए थे और उन्हें “ढाल” की तरह इस्तेमाल किए जाने का आरोप भी लगाया था। यह पहला मौका नहीं है जब प्रशांत भूषण ने डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति सकारात्मक टिप्पणी की हो। 2025 में उनके निधन के दो दिन बाद भी भूषण ने एक लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश ने एक “किंडर और जेंटलर स्टेट” देखा, जहां समावेशी और दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित की सोच थी। उन्होंने मौजूदा शासन से तुलना करते हुए दोनों के बीच फर्क को “बेहद स्पष्ट” बताया था। उधर, कांग्रेस पार्टी ने भी डॉ. मनमोहन सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 24, अकबर रोड स्थित पार्टी कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। खरगे ने मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर को पत्र लिखकर उन्हें भारतीय लोकतंत्र की उन “दुर्लभ विभूतियों” में बताया, जिन्होंने ज्ञान, नीति और नैतिकता के सर्वोच्च मानदंड स्थापित किए। खरगे ने कहा कि 1991 में वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के जरिए भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीतियों से मजबूत विकास की नींव रखी। राहुल गांधी ने भी ‘एक्स’ पर लिखा कि मनमोहन सिंह की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई और उनके विनम्र, परिश्रमी और ईमानदार व्यक्तित्व से पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी। अंकित