कुंवर अर्जुन सिंह दाऊ साहब की राजनीतिक विरासत के वाहक राहुल भैया का आज जन्मदिन है। उन्होंने अपने यशस्वी जीवन के 69 वर्ष पूरे कर लिए। अपने पिताजी दाऊ साहब के पद चिन्हों पर चलने वाले अजय सिंह राहुल भैया आज राजनीति के उस मुकाम पर हैं जहां न केवल विंध्य बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में जनसेवक के रूप में उनकी स्वीकार्यता है| राजनीति की बारीकियां उन्हें बचपन से ही विरासत में मिली हैं। जब अर्जुन सिंह जी को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया था उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में राहुल भैया को दिल्ली बुलाकर चुरहट से कांग्रेस की ओर से उप चुनाव लड़ने के लिए कहा। उप चुनाव में पहली बार चुरहट से वे विधायक चुने गये। उसके बाद 1991 के उप चुनाव भी जीते और तीसरी बार 1998 में पुनः चुरहट विधानसभा क्षे़त्र से विधायक बने और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद वे 2003 में चौथी बार और 2008 में पांचवी बार विधान सभा के लिए चुने गये और 2011 में नेता प्रतिपक्ष बनाये गये। वर्ष 2013 में वे छठवीं बार विधान सभा के लिए चुने गये। उन्हें दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। राहुल भैया जब पहली बार उप चुनाव जीत कर 1985 में विधायक बने तब वे सबसे पहले अपने पिता अर्जुन सिंह से मिलने पंजाब गये। तब दाऊ साहब ने उन्हें सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि यदि जनता के बीच अपनी पहचान बनाना है तो पूरी निष्ठा, निष्पक्षता और ईमानदारी से गरीब, पिछड़े और वंचित तबके के लोगों की बात को ध्यान से सुनना और उनकी मदद करना। राजनीति का हर निर्णय अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति को केन्द्र बिन्दु में रखकर ही लेना| इन लोगों के सुख दुख को अपना समझ कर उन लोगों के संपर्क में हमेशा बने रहना। उन्होंने इन सूत्र वाक्यों को आत्मसात किया और तब से आज तक दाऊ साहब के दिखाये रास्ते पर चलकर विंध्य की जनता के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं। अजय सिंह ने अपने क्षेत्र में जनता के लिए छोटे-बड़े अनगिनत काम करवाये| अपने द्वारा शुरू कराये सभी कामों को वे स्वंय जाकर मानीटर करते हैं। इनमें सिंचाई, बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी से सबधित काम शामिल हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में अनगिनत हैण्ड पम्प खुदवाये, पानी की टंकियां बनवायीं और बाण सागर बांध की रूकावट को व्यक्तिगत रुचि लेकर दूर किया। विशाल स्वास्थ्य शिविर लगाकर हजारों लोगों का मुफ्त इलाज करवाया और गंभीर बीमारों को इलाज के लिए भोपाल विशेषज्ञ डाक्टरों के पास भेजा। यही नहीं धर्म के प्रति अपनी आस्था के चलते चुरहट में राम कथा, शिवपुराण कथा, भागवत कथा आदि धार्मिक आयोजन भी करवाए। जिनमें जनता ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। राजधानी भोपाल में भी दस- बारह साल तक लगातार महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के प्रवचन करवाए। केबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता और दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए मंत्रिमंडल में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनके पास पंचायत, ग्रामीण विकास, पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति विभाग की जिम्मेदारी थी। ग्राम सड़क योजना में उन्होंने टारगेट देकर पूरे देश में मध्यप्रदेश में सबसे अच्छा काम करवाया। वहीं स्व सहायता समूह की परिकल्पना को साकार रूप देकर हजारों ग्रामीण महिलाओं और किसानों को इससे जोड़ा जो आज सफलता का शिखर छू रहे हैं। जल संरचनाओं के निर्माण में उस समय मध्यप्रदेश नम्बर वन की स्थिति में था| उनके समय ग्राम स्वराज विधेयक आया और सफलता पूर्वक पंचायत चुनाव हुए। संस्कृति मंत्री के रूप में उन्होंने कलाकारों और साहित्यकारों को प्रतिष्ठा पूर्ण स्थान तो दिया ही, लेकिन एक अभूतपूर्व काम भी किया। छतरपुर के धुबेला संग्रहालय से कृष्ण जन्म की सुंदरतम प्रतिमा वर्षों पूर्व चोरी होकर अमेरिका पहुंच गयी थी। भगवान की इस प्रतिमा को वे अपने अथक प्रयास से भारत लाने में सफल हुए। इसकी चर्चा पूरे देश में हुई लेकिन उन्होंने कभी श्रेय नहीं लिया। यह दाऊ साहब की ही सीख थी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी राहुल भैया ने बड़े काम किये। भोपाल के पास भीम बैठिका को अपने संपर्को के माध्यम से विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने में वे सफल हुए। यह कठिन ही नहीं, असंभव काम था। इसके अलावा हैरीटेज ट्रस्ट आफ मध्य प्रदेश की स्थापना की जिससे विश्व के कई देशों ने इसमें रूचि दिखाई। हैरीटेज होटल की परिकल्पना उन्हीं की देन है जो आज भी साकार है। राजमार्गो में मिड-वे ट्रीट का संचालन उन्हीं की सोच का परिणाम है जो आज भी सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा भोपाल उत्सव, भोजपुर उत्सव, महेश्वर उत्सव आदि उत्सवों का सफलतापूर्वक आयोजन करवाया। यह सब अर्जुन सिंह रुचि के विषय थे जिन्हें राहुल भैया ने साकार किया। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राहुल भैया ने जनता के ज्वलंत मुद्दे जोरदार ढंग से विधान सभा में उठाये। उनके द्वारा पूछे गये प्रश्नों से पूरी सरकार सकते में रहती थी। तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने विधान सभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसमें ऐसे जनहित के मुद्दे शामिल थे जो उनके सच्चे जनप्रतिनिधि होने को प्रमाणित करते थे। इससे शिवराज सरकार पूरी तरह हिल गयी थी। उनकी इन्ही खूबियों को देखते हुए पार्टी ने उन्हें 2013 और 2018 के चुनाव में पूरे प्रदेश में प्रचार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। आज वे ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया के चुनाव प्रभारी हैं| वर्तमान में उनकी अगुवाई में जन आक्रोश यात्रा विन्ध्य में निकल रही है। चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी में ए.आई.सी.सी. ने उन्हें सदस्य बनाया है। उन्होंने स्व. अर्जुन सिंह की भावनाओं को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका को सार्थक किया है। यही कारण है कि ऊचाइंयों पर पहुंचने के बावजूद भी उनके पैर हमेशा जमीन पर रहते हैं। (23 सितम्बर को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का जन्मदिन है) ईएमएस / 22 सितम्बर 23