राष्ट्रीय
27-Sep-2023
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तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा, जाओ मर जाओ आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं नई दिल्ली (ईएमएस)। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अदालत ने एक शख्स को बरी कर अहम टिप्पणी की है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को यह कहना कि जाओ मर जाओ आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता। साथ ही 2009 के केस में अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। जस्टिस के.लक्ष्मण और जस्टिस के. सुजाना की बेंच ने कहा कि किसी को यह कहना कि जाओ मर जाओ उकसावे के तहत नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला तब बनता है, जब पीड़ित को कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित किया जाए, जो गलत हो और जानलेवा हो। अदालत ने कहा, सिर्फ जाओ मर जाओ कह देना आईपीसी के सेक्शन 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं है। अदालत ने यह निर्णय सेशन कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दिया, जिसमें शख्स को धोखाधड़ी, आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया था। इस मामले में सेशन कोर्ट ने शख्स को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। दरअसल पीड़ित अनुसूचित जनजाति समुदाय का था। इसलिए एससी-एसटी एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि शख्स ने पीड़िता से शादी से मना किया था। इस पर उसने मरने की धमकी दी थी, तब शख्स ने कहा कि जाओ मर जाओ। इसके बाद उसने कीटनाशक पी लिया और उससे ही मौत हो गई। आरोप था कि शख्स ने पीड़िता का पहले रेप किया था। इसके बाद मामला आगे बढ़ा तब शादी का वादा कर दिया था। लेकिन बाद में मुकर गया। हाई कोर्ट ने शख्स की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सबूत पर बात किए बिना ही जाओ मर जाओ कहने के आधार पर आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी मान लिया।