लेख
20-Nov-2023
...


लो भैया विधानसभा के चुनाव हो गए तमाम उम्मीदवारों के अरमानों का फैसला 3 तारीख को हो जाएगा, तमाम पार्टियों के नेताओं ने जो टिकट चाहते थे और जिनको टिकट नहीं मिला उन्होंने पार्टी से विद्रोह कर दिया कुछ निर्दलीय खड़े हो गए तो कुछ दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए तो कुछ लोगों को पार्टी ने पार्टी से ही बाहर कर दिया अब विचारे कहां जाएंगे उनके लिए बड़ा सवालहै अपने को तो समझ में नहीं आता कि जो लोग इतने बरसों से पॉलिटिक्स कर रहे हैं उनको इतना भी नहीं मालूम कि अब पराक्रम दिखाने का जमाना नहीं रहा अब तो जो जितनी ज्यादा परिक्रमा करेगा उसको उतना ही फायदा मिलेगा और फिर परिक्रमा का तो अपने पुराणों में भी बड़ा महत्व बताया गया है । जब देवताओं के बीच ये प्रश्न आया कि सबसे पहले किसकी पूजा होगी तो ये कहा गया कि जो पहले तीन लोकों की परिक्रमा कर लेगा वही पहले पूजा जाएगा तमाम देवी देवता अपने-अपने वाहनों से तीन लोकों की परिक्रमा करने निकल गए लेकिन गणेश जी ने अपने माता-पिता शिव पार्वती की परिक्रमा कर यह बतला दिया कि उन्होंने तीन लोकों की परिक्रमा कर लीऔर वे प्रथम पूजनीय हो गए परिक्रमा का तो अपने यहां बेहद महत्वपूर्ण स्थान हैचाहे वह नदी हो या फिर पर्वत नर्मदा परिक्रमा करने वालों का कितना मान सम्मान होता है यह सब को मालूम है वही चित्रकूट पर्वत की जो परिक्रमा कर लेता है कहते हैं उसकी तमाम इच्छाएं पूरी हो जाते हैं किसी भी मंदिर में सात बार परिक्रमा करके लोग बाग अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और भगवान से यह भी आशा करते हैं कि वह उनकी इच्छाएं पूरी कर देगा यानी की परिक्रमा का महत्व आज से नहीं हजारों साल से है,उसके बाद भी अगर ये नेता परिक्रमा का महत्व नहीं समझ पा रहे तो इनसे बड़ा बेवकूफ कौन होगा ।अरे भैया पराक्रम दिखाने का जमाना अब चला गया है किसी भी बड़े नेता को पकड़ लेते सुबह शाम उसकी परिक्रमा करते रहते तो टिकट पक्की हो जाती लेकिन आपको तो पराक्रम दिखाने की पड़ी थी तो लो, ना टिकट मिला उल्टा पार्टी से अलग बाहर कर दिए गए। परिक्रमा का महत्व तोहार हर जगह है किसी भी दफ्तर में चले जाओ जो कर्मचारी साहब की परिक्रमा कर रहा है उसका जलवा अलग ही होता है आप कितने ही अच्छे कर्मचारी क्यों न हो लेकिन अगर आप में साहब की परिक्रमा करने का गुण नहीं है तो आप दफ्तर के सबसे नकारा कर्मियों में गिने जाओगे, अब जिन नेताओं को पार्टी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है अगर उन्हें अपना राजनीतिक जीवन फिर से जिंदा करना है तो फिर इस परिक्रमा का सहारा लेना पड़ेगा, दिल्ली जाओ ,भोपाल जाओ बड़े-बड़े नेताओं की परिक्रमा करो हाथ पैर जोड़ो और फिर पार्टी में शामिल हो जाओ, हो सकता है आपकी परिक्रमा से प्रसन्न होकर बड़े नेता आपको फिर से पार्टी में शामिल कर लें,अब गांठ बांध लो कि जिंदगी में पराक्रम नहीं दिखाएंगे सिर्फ एक ही काम करेंगे और वो है परिक्रमा । और पहनो बरमूडा और पेंट बड़ा ही दिलचस्प शोध सामने आया कि डेंगू फैलाने वाले जो मच्छर होते हैं वे महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा काटते हैं इनके बारे में कहा यह जाता है कि ये जो मच्छर हैं ये ज्यादा ऊपर तक नहीं उड़ सकते सिर्फ इंसान के घुटनों तक ही ये उड़ पाते हैं और घुटनों के नीचे ही काट काट कर लोगों को डेंगू से पीड़ित कर देते हैं शोध में यह कहा गया है कि दरअसल यह सारा लफड़ा इसलिए हो रहा है कि मर्द अधिकतर घर में जब रहते हैं तो या तो बरमूड़ा पहने रहते हैं या फिर हाफ पैंट पहन लेते हैं पहले हाफ पेंट स्कूल के बच्चे पहना करते थे लेकिन आजकल फैशन के मारे हाफ पेंट बरमूडा का जो फैशन चला है उसने तमाम पुरुष जाति को अपने कब्जे में कर लिया है, हजार दो हजार के बरमूडा बाजार में बिक रहे हैं और आदमी मजे से उनको खरीद रहा है अब जब मालूम है कि ये डेंगू फैलाने वाले मच्छर घुटने से ऊपर नहीं आ पाते हैं तो काहे के लिए बरमूडा और हाफ पैंट पहन के उनको काटने के लिए आमंत्रण दे रहे हो । महिलाओं के बारे में यह कहा जाता है कि चाहे वह सलवार सूट पहने या साड़ी उनका पूरा शरीर ढका रहता है इसलिए ये मच्छर चाह कर भी उनको काट नहीं पाते, अपना तो मानना ये है कि जो भी पुरुष डेंगू से पीड़ित हो वो बरमूडा और हाफ पेंट बनाने वाली कंपनियों से हर्जाना मांगे कि उनके बनाए हुए बरमूडा और हाफ पेंट के चक्कर में उन्हें डेंगू हो गया है। पहले के जमाने में लुंगीऔर पैजामा कुर्ता चला करता था धीरे-धीरे वह सिस्टम खत्म हो गया उसकी जगह लोगों ने बरमूडा को धारण कर लिया अब आप जब खुद खुली टांगों को दिखाकर मच्छरों को आकर्षित करोगे तो भी तो वे तो बैठे ही है खून चूसने के लिए, आएंगे खून चूसेंगे डेंगू के कीटाणु आपके अंदर पहुंचा देंगे और निकल लेंगे, जब से यह सोच सामने आया है उसके बाद से बरमूडा और हाफ पेंट की बिक्री एकदम से घट गई और घाट भी जाना चाहिए फैशन अपनी जगह है और स्वास्थ्य अपनी जगह लेकिन एक बात और भी है कि अगर तमाम पुरुष बरमूडा और आप पेंट छोड़कर फुल पैंट जींस या पजामा धारण करने लगेंगे तो इन बेचारे डेंगू फैलाने वालों मच्छरों का क्या होगा वे तो बिना मौत मर जाएंगे घुटने से ऊपर भी उड़ नहीं पाते हैं कि कम से कम जाकर हाथ में में मुंह में काट ले और जैसे खटिया का सिलसिला खत्म होने से खटमलों की पीढ़ी खत्म हो गई वैसे ही अब लगता है इनकी पीढ़ी भी खत्म हो जाएगी। अलादीन का चिराग अलादीन और जादुई चिराग की कहानी बचपन में खूब पड़ी थी कि कैसे अलादीन उस चिराग को घिसता था और उसमें से एक जिन्न पैदा होकर अलादीन की तमाम इच्छाओं की पूर्ति कर देता था आजकल नेताओं के पास वो अलादीन का चिराग आ गया है जिसको रगड़ते ही वह जिन्न निकलता है और उनकी संपत्ति में सैकड़ो गुना की बढ़ोतरी कर देता है अभी अखबारों में जिन नेताओं की संपत्ति पिछले 5 साल में 100-100 गुना बढ़ी है उन सब की लिस्ट सामने आई है एक मंत्री उषा ठाकुर की तो संपत्ति में तो 609 गुना बढ़ोतरी हुई है अपने को तो समझ में नहीं आता कि आखिर इनकी संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी होती कैसे हैं जैसे सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह मिलती है वैसे इन लोगों को भी वेतन मिलता है लेकिन 5 साल में ऐसा कौन सा धंधा ये लोग कर रहे हैं कि उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी हो रही अगर यह धंधा वे इस देश के तमाम लोगों को बता दें तो भारत को सोने की चिड़िया बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा वैसे बच्चे बच्चे को मालूम है कि उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी कैसे होती है लेकिन न इनकम टैक्स ना सीबीआई इनसे कुछ पूछता है। आम आदमी 20-25 हजार भी अगर खर्च कर देता है या उसकी इनकम में बढ़ोतरी इधर-उधर से हो जाती है तो तमाम तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं अपना तो मानना है कि भगवान जैसे उनकी संपत्ति में 5 साल में बढ़ोतरी होती है आम आदमी की संपत्ति में 25 साल में ही इतनी बढ़ोतरी कर दे वही उसके लिए बहुत कुछ होगा। (सुपरहिट ऑफ़ द वीक रात को दो बजे श्रीमान जी ने एक डॉक्टर को फोन लगाया और कहा डॉक्टर साहब मुझे नींद ना आने की बीमारी है तो साले इसे फैला क्यों रहा है कम से कम मुझे तो सोने दे डॉक्टर साहब ने श्रीमान जी को उत्तर दिया) ईएमएस / 20 नवम्बर 23