राज्य
04-Mar-2024
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खाने के लिए गांवों में मचा रहे उत्पात, कर रहे तोड़फोड़ भोपाल (ईएमएस)। बीते पांच साल में छत्तीसगढ़ से बडी संख्या में हाथियों के झुंडों ने मध्यप्रदेश का रुख किया है। प्रदेश में तेजी से जंगली हाथियों की मौजूदगी बढ़ रही है। इन्हें प्रदेश की वनसंपदा और जंगलों से लगे गांव पसंद आ रहे हैं। ये हाथ खाने की तलाश में गांवों तक पहुंच रहे हैं और उत्पात भी मचाते हैं। जंगली हाथियों का झुंड छत्तीसगढ़ से लगे शहडोल, अनूपपुर, मंडला, डिंडौरी, उमरिया के रास्ते बांधवगढ़, कान्हा नेशनल पार्क और संजय गांधी टाइगर रिजर्व पहुंचा रहा है। इनके बदलते व्यवहार ने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट को भी चिंता में डाल दिया है। परेशानी की बात यह है कि इनके बदलते व्यवहार से न सिर्फ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग परेशान हैं, बल्कि वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट को भी चिंता में डाल दिया है। यही वजह है कि अब वेटरनरी विश्वविद्यालय के स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने इस पर अध्ययन शुरू किया है। यहां के एक्सपर्ट की टीम नेशनल पार्क और इनसे लगे गांवों में जाकर जंगली हाथियों के व्यवहार, रहन-सहन और इनके गुसैल रवैए पर नजर रख रही है। इनके प्रारंभिक अध्ययन से सामने आया है कि हाथियों को प्रदेश की वनसंपदा पसंद आ रही है। इनकी वजह यहां पर मौजूद पौधे, फल और अनाज हैं। खासतौर पर जंगली क्षेत्रों में रहने वाले लोगों द्वारा पैदा किया जा रहा अनाज भी इन्हें पसंद आ रहा है। यही वजह है कि गांव में घुस रहे हाथियों द्वारा अब तक की गई तोड़फोड़ में घरों में रखे अनाज खाने की घटना भी सामने आई हैं।जंगली हाथियों की प्रदेश में बढ़ती संख्या का प्रदेश का फायदा भी मिल रहा है। पांच साल में इनकी संख्या 100 से ऊपर पहुंच गई है। अकेले बांधवगढ़ में ही यह 50 के करीब हो गए हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को भी हाथियों के संरक्षण और उन्हें बचाने के लिए एलीफेंड प्रोजेक्ट दिया। वन एवं जलवायु परिर्वतन से जुड़े विभाग ने वन विभाग, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और नेशनल पार्क की मदद से इन हाथियों को बचाने और उन्हें अच्छा माहौल देन रहा है। इस काम में जबलपुर वेटरनरी विश्वविद्यालय के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट भी मदद कर रहे हैं। इन्होंने, नेशनल पार्क से एक्सपर्ट के साथ मिलकर हाथियों द्वारा किए गए नुकसान और अपने गुस्सैल रवैए पर अध्ययन शुरू कर किया है। स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डा. अमूल रोकड़ बताते हैं कि चार दिन पूर्व अनूपपुर से लगे जंगलों में घूम रहे एक जंगली हाथी को पकड़ा। यह लगातार आसपास के गांव के लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाकर वहां रखे अनाज को खा रहा था। इन हाथी की उम्र लगभग 20 साल थी और यह अपने झुंड से अलग हो गया था। इसे पकड़ने के लिए संजय गांधी टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट अभय सेंगर, बांधवगढ़ के नीतिन गुप्ता और उनकी टीम साथ थीं । इसे पकड़ने के बाद इनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया गया और इनके बदले रवैए को समझने का प्रयास किया। वहीं दो दिन पूर्व शनिवार को भी हमने शहडोल से एक जंगली हाथी को पकड़ा। यह भी लोगों को नुकसान ही पहुंच रहा था। इन पर अब लगातार नजर रखकर अध्ययन किया जा रहा है। इस बारे में जबलपुर वेटनरी विवि के कुलपति प्रो.एसपी तिवारी का कहना है कि प्रदेश में पिछले कुछ साल में जंगली हाथियों की मौजूदगी बढ़ी है। यह छत्तीसगढ़ के रास्ते प्रदेश की सीमा से लगे शहर, नेशनल पार्क में आ रहे हैं। इनके गुस्सैल रवैए को समझने के लिए हमारी वाइल्ड लाइफ की टीम लगातार अध्ययन कर रही है। हम इस पर गहन अध्ययन कर उनके व्यवहार को समझते हुए उनका संरक्षण करेंगे। सुदामा नरवरे/ 4 मार्च 2024