ज़रा हटके
31-Mar-2024
...


-वैज्ञानिकों ने बताया 2029 में आने वाला है संकट! वाशिंगटन (ईएमएस)। हाल ही में कैलिफोर्निया में हुई एक स्टडी के अनुसार ध्रुवों के बर्फ पिघलने से पृथ्वी का घूर्णन धीमा हो रहा है, जिससे धरती के समय को मापने के तरीका प्रभावित हो सकता है। इस स्टडी के लेखक डंकन एग्न्यू, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के भूभौतिकीविद् हैं, ने कहा कि ध्रुवों पर बर्फ के तेजी से पिघलने से उन जगहों पर बदलाव आता है जहां पृथ्वी का द्रव्यमान केंद्रित है। इसके कारण पृथ्वी के कोणीय वेग को प्रभावित करता है। ध्रुवों पर बर्फ की कमी से भूमध्य रेखा पर अधिक द्रव्यमान को जन्म देगी, जिससे धरती की गति प्रभावित होगी। अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड, जैसे बड़े ग्लेशियरों का जमा हुआ पानी पिघल रहा है। यह ठोस बर्फ तरल पदार्थ बनकर धरती के अन्य हिस्सों में जा रहा है, जो कि बहकर पृथ्वी के भूमध्य रेखा तक पहुंच रहा है। इस अध्ययन से पता चला है कि मनुष्य कैसे कुछ ऐसा करने में सक्षम है जिसके बारे में कोई कभी सोचा भी नहीं सकता था कि यह मानवता के नियंत्रण में है। सर्वविदित है कि हर चार साल में एक बार फरवरी महीने में एक अतिरिक्त दिन जुड़ जाता है, जिसे लीप वर्ष के रूप में जाना जाता है, हालांकि हर कुछ वर्षों के बाद एक ‘लीप सेकंड’ भी जुड़ जाता है जो आमतौर पर दिसंबर या जून के अंत में होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी जिस गति से अपनी धुरी पर घूमती है उसमें थोड़ा उतार-चढ़ाव होता है, जिसका अर्थ है कि धरती पूरे 24 घंटे में अपना एक घूर्णन पूरा नहीं करती है, हालांकि अध्ययन के बाद, एग्न्यू ने ‘नकारात्मक’ लीप सेकंड का जिक्र किया है, जो इतिहास में पहली बार एक सेकंड का समय कम होना है यानी की 1 सेकेंड हमारे समय से डिलिट होगा। प्रोफेसर ने कहा कि पृथ्वी के तेजी से घूमने के कारण 2029 में नकारात्मक लीप सेकंड आ सकता है। इसके वजह से स्मार्टफोन और कंप्यूटर में ‘अभूतपूर्व’ समस्याएं पैदा हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि काफी स्टडी करने के बाद पता चला है कि धरती के सार्वभौमिक समय पर 2029 तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सुदामा/ईएमएस 31 मार्च 2024