योग गुरु के रूप में बाबा रामदेव ने भारत में अपनी एक नई छवि बनाई थी। योग के जरिए कैसे बड़ी-बड़ी बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। योग से बीमारियों को कैसे ठीक किया जा सकता है। योग गुरु बाबा रामदेव ने योग को नए स्वरूप में आम जनता के सामने पेश किया था। इसका फायदा भी हुआ और बाबा रामदेव की प्रतिष्ठा और लोकप्रियता दोनों ही बड़ी तेजी के साथ बढी। जैसे ही सफलता मिलती है, उसके बाद धीरे-धीरे अहंकार का प्रवेश शुरू हो जाता है। एक समय ऐसा भी आया जब बाबा ने गांव गांव में योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति की। उनकी राजनीतिक अभिलाषा जाग गई। वह अपना खुद का राजनीतिक दल बनाने की सोचने लगे थे। गांव-गांव में जब वह योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति कर रहे थे, उनके ऊपर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नजर पड़ी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उनकी इस मामले में सहायता की। वह संघ और भाजपा के करीब आ गए। बाबा रामदेव की राजनीतिक महत्वकांक्षा को देखते हुए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चिंतित हुए। उन्होंने बाबा को मनाया और अपने साथ मिला लिया। योग गुरु के रूप में बाबा रामदेव की लोकप्रियता की पहली परीक्षा अन्ना हजारे के आंदोलन में हुई। बाबा रामदेव ने अन्ना हजारे के आंदोलन में खुलकर भाग लिया। भाजपा की नीतियों को आगे बढ़ाने में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से अन्ना आंदोलन के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी को सपोर्ट किया। कालेधन, महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर कई बयान दिये। 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत की बन गई। उसके बाद जैसे बाबा की लॉटरी खुल गई। बाबा ने पतंजलि ब्रांड के माध्यम से योग और आयुर्वेदिक दवाईयों से बीमारियों का निदान स्थाई रूप से बीमारियों को ठीक करने का आयुर्वेदिक दवाई का फंडा आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव ने मिलकर ऐसा जाल फैलाया। जिसके कारण बाबा रामदेव आगे चलकर लाला रामदेव बन गए। पतंजलि के नाम से बिस्कुट से लेकर हर वह चीज बेचने लगे। जो जनता की नियमित जरुरतें थीं बाबा रामदेव और पतंजलि की ब्रांडिंग समानांतर दिशा में आगे बढ़ने लगी। उसके बाद बाबा ने पलट कर नहीं देखा। बाबा से बड़ा नेगोशिएटर शायद कोई हो। उन्होंने अपने राजनीतिक संबंधों का पूरा लाभ अपने धंधे के लिए उठाया। आज बाबा की दुकान में वह सब कुछ बिक रहा है जो आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरत है। बाबा राष्ट्रीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर की दौड़ में शामिल हो गए। निश्चित रूप से आयुर्वेदिक उत्पाद और आयुर्वेदिक चिकित्सा अपने आप में स्थाई रूप से बीमारियों से राहत दिलाने में सहायक है। पतंजली की दवाओं को उन्होंने रामबाण बताकर रोगों का स्थाई इलाज का दावा किया। एलोपैथी चिकित्सा अपने आप में महत्वपूर्ण है। एलोपैथी चिकित्सा आज सारी दुनिया में प्रचलित है। विशेष रूप से सर्जरी के क्षेत्र में और त्वरित रूप में एलोपैथी चिकित्सा ही दुनिया के देशों में मान्य है। जिस तरह से बाबा रामदेव ने पतंजलि के उत्पाद बेचने के लिए बिना प्रमाण झूठे दावे करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद में बाबा ने झूठे दावे के विज्ञापनों को जारी रखा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश हो जाने के बाद भी सरकार द्वारा कोई कार्यवाही पतंजलि और बाबा रामदेव पर नहीं की गई। जिसके कारण बाबा रामदेव को यह अहंकार हो गया था कि वह केंद्र सरकार और भाजपा के लिए अति महत्वपूर्ण है। उन पर कोई नियम कानून लागू नहीं होते हैं। वह जो इच्छा करते हैं, सबको उनकी इच्छा को पूरी करना पड़ती है। इसी की परणति अभी सुप्रीम कोर्ट में हुई है। अवमानना याचिका जब जजों के सामने खड़े होकर उन्होंने मौखिक रूप से क्षमा याचना की । सुप्रीम कोर्ट ने बाबा की क्षमा याचना को ठुकराते हुए, अवमानना का प्रकरण चलाने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में जो आदेश किए हैं। उस पर बाबा को शपथ पत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा है। बाबा अपने अहंकार को नियंत्रित कर लें, यही बाबा रामदेव, आयुर्वेदाचार्य बाबा बालकृष्ण और पतंजलि के भविष्य के लिए ठीक होगा। बाबा बहुमुखी प्रतिभा के धनी है, वह योग गुरु, लाला रामदेव के अलावा अपने आप में एक ब्रांड बन चुके हैं। वह खुद ही अपनी चीजों का प्रचार कर रहे हैं। उन्हें मॉडल के रूप में भी देखा जा सकता है। ऐसे बहुमुखी प्रतिमा के धनी बाबा रामदेव का अहंकारी हो जाना वैसे तो सामान्य गुण है। सुप्रीम कोर्ट के इस झटके से यदि वह कोई सबक ले लेंगे, तो उनकी प्रतिष्ठा और उनके कारोबार के लिए बेहतर होगा। अन्यथा बाबा के लिये अब भविष्य बेहतर नहीं होगा। एसजे / 3 अप्रैल 2024