अंतर्राष्ट्रीय
18-Apr-2024
...


-ब्रिटेन की संसद में उठाया मणिपुर हिंसा का मामला -विदेश मंत्री ने कहा- भारत से की है बात लंदन,(ईएमएस)। मणिपुर हिंसा का मामला ब्रिटेन की संसद में उठाया गया है। मणिपुर हिंसा मामले पर चर्चा कर रहे ब्रिटेन के विदेश मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा है कि मणिपुर के संघर्ष में साफ तौर पर धार्मिक पक्ष है। संघर्ष में चर्च को क्यों नष्ट किया गया? इससे साफ है कि मणिपुर हिंसा में धार्मिक आयाम है। मणिपुर में जातीय हिंसा मामले पर हाउस ऑफ लॉर्ड्स को संबोधित कर रहे विदेश मंत्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा कि मणिपुर में संघर्ष में साफ तौर पर धार्मिक पक्ष है। यह बात कैमरून ने विनचेस्टर के लॉर्ड बिशप के सवाल का जवाब देते हुए कही। उन्होंने ब्रिटिश संसद में कहा कि यह सही है कि हमें इस हिंसा के कुछ धार्मिक पहलुओं को कम करके आंकना नहीं चाहिए। हां, यह कभी-कभी सांप्रदायिक, आदिवासी या जातीय हो सकता है लेकिन कई मायनों में इसका धार्मिक हिस्सा तय होता है। कैमरून ने एक अन्य धार्मिक स्वतंत्रता वाले सवाल के जवाब में कहा कि यह ऐसा मामला है जिसे अनेक मौकों पर भारत सरकार के सामने हमने उठाया है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने मणिपुर हिंसा पर डेविड कैंपानेल की रिपोर्ट का अध्ययन किया है। यह रिपोर्ट बताती है कि इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि (मणिपुर) घाटी के लोगों और पहाड़ियों के आदिवासियों के बीच जातीय या आर्थिक विवादों का हवाला देकर संघर्ष की व्याख्या की जाती है, तो भी इन बातों का जवाब तो मिलना शेष ही है। रिपोर्ट में पूछा गया है कि मणिपुर संघर्ष में चर्च क्यों नष्ट किए गए? इसका एक सीधा और स्पष्ट धार्मिक आयाम है। अयोध्या मामले को भी उठाया वहीं दूसरी तरफ विंबलडन के लॉर्ड सिंह ने अपने बयान में कहा, कि यह सच है कि भारत संविधान धर्मनिरपेक्ष कहा जाता है, लेकिन बावजूद इसके अयोध्या में दंगे हुए हैं, जहां हजारों मुस्रलमान मारे गए हैं। गृह मंत्री ने तब मुसलमानों को दीमक बताया था। एक ढहा दी गई मस्जिद पर एक हिंदू मंदिर बनाया गया। ईसाइयों पर बार-बार अत्याचार हो रहा है और सिखों से कहा गया कि यदि वे हिंदुओं की तरह व्यवहार करते हैं, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। वरना, उन्हें अलगाववादी कहा जाता है। इसके साथ ही लॉर्डि सिंह ने राष्ट्रमंडल चार्टर में धार्मिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने की अपील की है, जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री कैमरून ने भी सहमति जताई है। कैमरुन ने सिंह की टिप्पणी पर सहमति जताते हुए कहा, कि भारत में धार्मिक सहिष्णुता और धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता के महत्व पर उन्होंने जो भी कहा है, वह महत्वपूर्ण है। ऐसे अवसर भी आए हैं जबकि हमने इसे भारत सरकार के समक्ष उठाया है और यह आगे भी जारी रहना चाहिए। हिदायत/ईएमएस 18अप्रैल24