लेख
24-Apr-2024
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देश मे पहले चरण का लोकसभा चुनाव मतदान 19 अप्रैल को हो रहा है।लोकसभा की 543 सीटों के लिए 97 करोड़ से अधिक मतदाता 10.50 लाख मतदान केंद्रों के माध्यम से विभिन्न चरणों मे मतदान कर सकेंगे।जिसके लिए चुनाव आयोग ने लगभग डेढ़ करोड़ चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की है।मतदान सहज रूप से मतदाताओं को आवश्यक सुविधाओं के साथ सम्पन्न कराया जा सके ,इसके लिए मतदान स्थल पर पेयजल सुविधा, शौचालय, व्हीलचेयर, रैंप, शेड,बिजली आपूर्ति, स्वयं सेवक प्रदत्त किये गए है।देश को मिली आजादी के बाद से अभी तक मतदान के विभिन्न चुनाव में विभिन्न तरीके अपनाये गए है। गांव स्तर से लेकर राज्य और केन्द्र स्तर तक अपना जनप्रतिनिधी चुनने के लिए जो तरीके अपनाये गए उनमें हाथ उठाकर अपना वोट डालने से लेकर ईवीएम वोटिंग मशीन तक का उपयोग मतदाताओं के लिए वरदान बना है। सन 1952 से लेकर साथ के दशक तक गांव में लोग अपना प्रधान व ग्राम सदस्यों का चुनाव हाथ उठाकर करते थे। तब न बैलट पेपर का झंझट था ,न वोटिंग मशीन की जरूरत थी, बस हाथ उठाओं और हो गया वोट । हरिद्वार जिले के गांव खुब्बनपुर निवासी मास्टर सुमन्त सिंह आर्य ने अपनी सरकारी नोकरी के दौरान चार बार ऐसे चुनाव कराये जब वोट बैलट के बजाए हाथ उठाकर दिया गया था। ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधान व ग्राम सभा सदस्यो के चुनाव सन 1962 तक हाथ उठाकर ही कराये जाते थे। लेकिन जब हाथ उठाकर वोट देने के कारण लोगो के बीच आपसी राजनीतिक रंजिश बढने लगी तो हाथ उठाकर वोट देने की सरल व सुगम परम्परा को बन्द करना पडा। हालांकि आजादी के पहले तक तो हाथ उठाकर वोट डालने की परम्परा सामान्य थी। लेकिन तब भी कभी बडे सदनो के लिए हाथ उठाकर वोट डालने की प्रक्रिया को नही अपनाया गया।अपने जीवनकाल में स्वाधीनता सेनानी सत्यवती सिन्हा ने अपने अनुभव सुनाते हुए बताया था कि पहले लोग वोट का मतलब तक नही समझते थे । एक बार जब वे लोगो को एक पार्टी विशेष के पक्ष में वोट डालने के लिए कहने गई और उन्हे उस समय के चुनाव चिन्ह बैलो की जोडी के बारे में बताया तो गांव की महिलाओं ने वोट डालने के लिए मतदान केन्द्र पर जाने के बजाए खेतो में जाकर बैलो की जोडी के सामने पांच पांच पैसे चढा दिये और समझ लिया कि उन्होने मतदान कर दिया है। ग्राम प्रधान रह चुकी कमला बमोला का कहना है कि मतदान के लिए आज भी कई स्थानों पर लोगो को कई कई किमी तक पैदल जाना पडता है जो कि एक गलत व्यवस्था है। उन्होने माना कि चुनाव में काफी सुधार हुए है लेकिन अभी भी चुनाव धन बल की विकृति से मुक्त नही हो पाया है।गरीब व आम आदमी आज भी चुनाव लडने का साहस नही जुटा पाता। ऐसे में कैसे माना जाए कि लोग उस आम जनता में से चुन कर जा रहे है जिनकी संख्या कम से कम नब्ब फिसदी है।इसी कारण 90 प्रतिशत लोग आज भी चुनाव न लड पाने की हैसियत न होने के कारण चुनाव से दूर रह जाते है और जनप्रतिनिधी बनने से वंचित हो जाते है। इसी तरह अन्तर्राष्टीय खिलाड़ी डॉ आदेश कुमार शर्मा इस बात से दुखी है कि चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी आज भी वोटरो को प्रलोभित कर वोट पाना चाहते है और जब ऐसे लोग चुनाव जीत जाते है तो चुनाव बाद 5 साल तक फिर वे क्षेत्र में नजर नही आते ऐसे प्रत्याशियो को नकारने पर वे जोर देते है । उन्होने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव सुधार की दिशा में टी एन शेषन के समय की गई सख्ती का स्वागत किया था। उनकी सोच है कि चुनाव आयोग टीएन शेषन के समय से ही अच्छे रास्ते पर चलने लगा था परन्तु अब फिर उसकी विश्वनीयता ईवीएम पर सवाल उठने के कारण घटने लगी है ।एक बार विधायक या सांसद बनने पर उनकी आय मे कई सौ गुना वृद्धि कैसे हो जाती है इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली में पिछले चुनाव में मतदान के दिन कोई भी प्रत्याशी मतदान स्थल से 100 मीटर दूरी तक मतदाताओं को हाथ जोडकर नमस्ते तक नही कर पाया था,यह प्रावधान लोगो को बहुत पसंद आया है।जब आप वोट डालने मतदान केंद्र पर जाए और आपको पता चले कि आपका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया है,ऐसी हालत में आप पीठासीन अधिकारी से टेंडर वोट डालने की सुविधा प्राप्त कर सकते है।यदि किसी मतदान केंद्र पर टेंडर वोट कुल मतदान का 40 प्रतिशत से अधिक हो जाए तो वहां पुनः मतदान कराया जाएगा।वही यदि आपका नाम मतदाता सूची में ही न हो तब आप धारा 49 ए के तहत पीठासीन अधिकारी से चुनौती वोट डलवाने का निवेदन कर सकते है।लेकिन यदि आपका नाम मतदाता सूची में न हो और आपके पास मतदाता पहचान पत्र भी न हो,तब भी धारा 8 के अंतर्गत कोई भी पहचान पत्र जिनमे पैन कार्ड,ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड आदि दिखाकर मतदान कर सकते है।यानि मतदान करना प्रत्येक नागरिक का मूलभूत अधिकार है,इसलिए मतदान अवश्य करे। (लेखक सामाजिक सरोकारों से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 24 अप्रैल 24