लेख
29-Apr-2024
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मध्य प्रदेश के बहुत सारे मंत्रियों और विधायकों की सांस इस वक्त अटक गई है, दिल की धड़कनें इतनी तेज चल रही है जिसका कोई हिसाब नहीं है और क्यों ना धड़के, क्यों ना तेज चले। देश में भारतीय जनता पार्टी के दमदार नेता गृहमंत्री अमित शाह जी ने साफ-साफ कह दिया भोपाल में कि जिन मंत्रियों और विधायकों के इलाके में कम वोटिंग हुई है वे अपना बोरिया बिस्तर बांध कर रखें क्योंकि जिन मंत्रियों के इलाके में कम वोटिंग हुई है उनका मंत्री पद खतरे में पड़ सकता है और जिन विधायकों के इलाके में अच्छी खासी वोटिंग हुई है उन्हें मंत्री पद से नवाजा जा सकता है, अब जिन मंत्रियों के इलाके में कम वोटिंग हुई है वे भारी परेशान और हलाकान्न हैं उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे क्या और कौन सा बहाना बनाएं। क्या ये कहें कि गर्मी बहुत थी इसलिए लोगों ने वोट नहीं दिया या फिर ये बताएं कि लोगों की वोट के प्रति आस्था कम हो गई है या फिर ये बताएं कि मतदाता ने कह दिया है कि हम जिस पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं वो जीतने के बाद दूसरी पार्टी का दुपट्टा ओढ़ लेता है इसलिए हम वोट डालें तो क्यों डालें ?और कौन से दूसरे बहाने बनाएं यह भी उन्हें समझ में नहीं आ रहा इधर उन विधायकों के मन में लड्डू फूट रहे हैं जिनके इलाके में अच्छा खासा मतदान हुआ है वे दिन में ही सपने में लाल बत्ती की गाड़ी, बंगला, दफ्तर, अर्दली, जय जयकार करती जनता, सर झुकाए खड़े अफसर का सपना देख रहे हैं। वे इंतजार कर रहे हैं कि जैसे ही रिजल्ट आए वैसे ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाए और जो अभी मंत्री बनकर ठाठ से घूम रहे हैं वे केवल विधायक बनकर रह जाएं। अब बेचारे मंत्री करें तो क्या करें एक-एक वोटर को तो घर से पकड़ कर ला नहीं सकते, कार्यकर्ता भी ये सोच रहा है कि अपन तो चार सौ पार हो रहे हैं तो काहे को इतनी गर्मी में मेहनत करें और लोगों को वोट के लिए प्रेरित करें सुबह से ही घर में चुपचाप बैठ गए हैं , अब ऐसे में वोटिंग परसेंट तो कम होना ही है, इधर कांग्रेस भारी प्रसन्न है कि ये जो वोटिंग कम हुई है इसका लाभ उसको मिल जाएगा उसका सोचना है कि लोग अब भारतीय जनता पार्टी से ऊब चुके हैं कुल मिलाकर वोटरों ने जो अल्सेट पटकी है उससे चुनाव आयोग तक परेशान और हैरान है। बीजेपी कहां तो दस फीसदी वोट बढ़ाने की बात कर रही थी उधर दस पंद्रह फीसदी वोटिंग घट गई। सारे गणित फेल होते हुए दिखाई दे रहे हैं कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी की तानाशाही के चलते वोटिंग कम हुई है तो बीजेपी कह रही है कि जितने भी वोट कम हुए हैं वे सब कांग्रेस के हैं हमारा वोटर को पक्का है वो इधर से उधर हो ही नहीं सकता।अब कौन सा वोटर किस तरफ चला गया या कहीं गया ही नहीं यह तो 4 तारीख को पता लगेगा लेकिन तब तक चार तारीख नहीं आ जाती तब तक तमाम पार्टियों के नेताओं में धुकधुकी बनी रहेगी। गारंटी और वारंटी इन दिनों पूरे देश में गारंटीयों का बाजार बेहद गर्म है, हर जगह गारंटी ही गारंटी दी जा रही है। कहीं मोदी जी की गारंटी है तो कहीं कांग्रेस के न्याय पत्र की गारंटी है तो चुनाव आयोग की निष्पक्ष चुनाव करवाने की गारंटी है, पर बाजार में हर चीज की गारंटी नहीं मिल पा रही है वे गारंटी की बजाय वारंटी दे रहे हैं आप जो कुछ खरीदना चाहे खरीद लो लेकिन गारंटी नहीं वारंटी मिल रही हैअपने को तो समझ में नहीं आता कि जब पूरे देश में गारंटी चल रही है तो फिर ये बड़ी-बड़ी कंपनियां गारंटी क्यों नहीं दे रही वारंटी क्यों दे रही है। कम से कम देश की पार्टियों से कुछ तो सीख लेना चाहिए वैसे पॉलीटिकल पार्टी की गारंटीयों पर वोटरों का भरोसा कम हो गया है और शायद यही कारण है कि वो भी यही गारंटी दे रहा है कि तुम चाहे कितने भी प्रयास कर लो कितनी भी गारंटी दे दो लेकिन हम भी गारंटी दे रहे हैं कि हम वोट देने नहीं जाएंगे , लेकिन मतदाताओं की ये गारंटी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है पांच साल में एक बार ही तो मौका मिलता है जब नेता आपके चरण छूने के लिए बेताब रहता है फिर पांच साल तो जनता को ही नेताजी की जय जयकार करना है उनके चरण छूना पड़ता है तो कम से कम वोट डालने तो जाओ वरना फिर यही होगा कि पचास फीसदी वोट पड़ेंगे और जिसको छब्बीस फीसदी वोट मिल जाएंगे वो सौ फीसदी जनता पर राज करेगा अपनी तो यही राय है की भैया सारे काम छोड़ो और सबसे पहले वोट डालने जाओ अपने को जो अधिकार मिला है उसका तो कम से कम उपयोग कर लो बाकी हर जीत तो लगी ही रहती है कभी कोई हारता है तो कभी कोई जीतता है आप अपने वोट का अधिकार क्यों खो रहे हो। प्यार करना सिखाया जा रहा है ये विदेश वाले जो ना करें थोड़ा है। एक खबर आई है कि बीजिंग की एक यूनिवर्सिटी है जिसने एक नया कोर्स शुरू किया है कि प्यार कैसे किया जाता है अपने को तो समझ ही नहीं आता कि प्यार क्या सिखाने से आता है? प्यार तो दिल का मामला है जिस पर आ गया तो आ गया, ऊपर वाले ने पहले से ही सिखा कर भेजा है इसमें किसी डिग्री की जरूरत थोड़ी है कब किस पर प्यार आ जाए कब कौन किसका आशिक बन जाए, कब किसी को कौन अपनी महबूबा मान ले यह कोई नहीं जानता। अपने यहां तो पहली नजर में ही प्यार हो जाता है लड़की ने लड़के को देखा, लड़के ने लड़की को देखा, दोनों का दिल धड़का और प्यार हो गया अब इसमें कौन सी डिग्री की जरूरत थी भैया। लोग बाग ये भी कहते हैं कि प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं इसलिए अपने भारत में हर आदमी अपने को डरपोक सिद्ध नहीं करना चाहता तो प्यार कर लेता है, प्यार तो फिर ईश्वर की दी हुई नेमत है। प्यार के तो कई रूप भी हैं मां भी प्यार करती है, पिता भी प्यार करता है बहन भाई को प्यार करती है तो भाई बहन को प्यार करता है, दोस्त दोस्त को प्यार करते हैं अब जब हर तरफ प्यार की बयान बह रही हो तो फिर कौन सा कोर्स यूनिवर्सिटी वाले शुरू करना चाह रहे हैं। हो सकता है चीन में प्यार सिखाना पड़ रहा हो ये अलग बात है लेकिन भारत में प्यार सिखाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है देख नहीं रहे आजकल अस्सी परसेंट शादियां तो लव मैरिज के रूप में हो रही है जब प्यार हो रहा होगा तभी तो शादी हो रही है यह बात अलग है कि शादी के बाद प्यार कहां खो जाता है यह किसी लव मैरिज वाले से पता लगा लो। सुपर हिट ऑफ़ द वीक सुनिए जी आपने शादी में मुझे जो अंगूठी दी थी वो गुम हो गई है श्रीमती जी ने श्रीमान जी से कहा मेरे कोट की जेब से भी हजार रुपए चोरी हो गए हैं श्रीमानजी ने कहा यानी डबल नुकसान हो गया श्रीमती ने दुख भरे स्वर में कहा कोई बात नहीं तुम्हारी अंगूठी मुझे मिल गई है, सच्ची पर किधर मिली श्रीमती ने पूछा उस जेब से जहां से मेरे हजार रुपए चोरी हुए थे श्रीमान जी ने उत्तर दिया। ईएमएस / 29 अप्रैल 24