राष्ट्रीय
11-Jun-2024
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नई दिल्ली(ईएमएस)। संयोग या प्लान कुछ भी कहा जा सकता है पर, यह तय है कि पंजाब से चुनाव हारने वाले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्री पद की सौगात देते आए हैं। इस बार मोदी के मंत्रिमंडल में 71 मंत्रियों ने शपथ ली। मगर सबसे अधिक निगाहें पंजाब से आने वाले रवनीत सिंह बिट्टू पर रहीं। दरअसल, चुनाव हारने के बाद भी रवनीत सिंह बिट्टू को मोदी की टीम में शामिल किया गया। हालांकि यह पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी पंजाब में लोकसभा चुनाव हारने वाले दो नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी अपनी टीम में शामिल कर चुके हैं। सबसे पहले बात करते हैं भाजपा के दिग्गज नेता रहे अरुण जेटली की। उन्होंने अमृतसर लोकसभा सीट पर 2014 में चुनाव लड़ा था। मगर कांग्रेस ने उनके खिलाफ कैप्टन अमरिंदर सिंह को उतार दिया था। नतीजा यह हुआ कि जेटली को 102770 मतों से हार का सामना करना पड़ा। हार के बावजूद मोदी के पहले कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ा दिया। जब 2019 में लोकसभा चुनाव हुए हुए तो पंजाब से हरदीप सिंह पुरी को तवज्जो मिली। अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह औजला ने पुरी को 99626 मतों से शिकस्त दी थी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव हारने के बावजूद हरदीप सिंह पुरी को केंद्र बड़ी जिम्मेदारी दी। उन्हें अपने दूसरे कार्यकाल में आवास और शहरी मामलों व पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री बनाया। पंजाब की लुधियाना लोकसभा सीट से दो बार के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन की। मगर भाजपा की टिकट पर लुधियाना से चुनाव नहीं जीत सके। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने 20942 मतों से हरा दिया। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री के तौर पर बिट्टू को अपनी टीम में शामिल कर बड़ा तोहफा दिया है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि केवल हारने वालों को ही मंत्री बनाया गया है। कई नेता हैं जो चुनावों में जीत के बाद मंत्री बने हैं। पंजाब से चुनाव जीतकर आने वाले चेहरों को भी मोदी की टीम में जगह मिल चुकी है। शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल दो बार केंद्रीय मंत्री रहीं। होशियारपुर से पूर्व सांसद विजय सांपला मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री बने थे। दूसरे कार्यकाल में होशियारपुर से चुनाव जीतने वाले सोम प्रकाश को केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया था। दरअसल, भाजपा की निगाहें अब पंजाब में हैं। पार्टी यहां हर हाल में अपने पैर पसारना चाहती है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी। अरुण जेटली भाजपा के बड़े चेहरे थे। हार के बावजूद उन्हें कैबिनेट में शामिल करना लाजिमी था। 2019 में हरदीप पुरी को अमृतसर सीट जीतने का टास्क दिया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिलने पर भी मोदी ने उन्हें निराश नहीं किया। नवजोत सिंह सिद्धू के जाने के बाद भाजपा को पंजाब में एक बड़े सिख चेहरे की तलाश है। शायद अब उसकी निगाहें रवनीत सिंह बिट्टू पर टिकी हैं। इसकी झलक बिट्टू के एक बयान पर दिखती है। शपथ ग्रहण से पहले बिट्टू ने कहा था कि अगर सीएम बनने का मौका मिला तो जरूर बनेंगे। वीरेन्द्र विश्वकर्मा/ईएमएस 11 जून 2024