लेख
01-Jul-2024
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- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के प्रमुख प्रदीप जोशी चर्चाओं में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए डीमैट और व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश से शुरू हुआ था। जो अब पूरे देश में नेशनल टेस्ट एजेंसी (नीट) घोटाले के रूप में पहचान बना रहा है। 1.5 से 2 लाख करोड़ रूपये के प्रवेश परीक्षा घोटाले मे पिछले दो दशक में एक बड़ा माफिया नेटवर्क तैयार हो गया है। इसमें कोचिंग सेंटर के संचालक, मेडिकल कॉलेज के संचालक, प्रवेश परीक्षा संचालित करने वाली एजेंसी की मिली भगत से दो दशक में यह घोटाला साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। मध्य प्रदेश के डीमेट घोटाले के जनक के रूप में योगेश उपरीत की पहचान बनी थी। इन्होंने निजी मेडिकल कॉलेज की परीक्षाएं डीमेट के माध्यम से आयोजित कराईं थीं। ओएमआर शीट के माध्यम से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी। जिन परीक्षार्थियों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाना होता था, उनको कहा जाता था, कि वो अपनी ओएमआर शीट को खाली छोड़ दें। बाद में पेंसिल से टिक करके उन्हें अच्छे नंबरों से वरीयता क्रम में प्रवेश दे दिया जाता था। डीमेट परीक्षा के माध्यम से निजी मेडिकल कॉलेजों के संचालक, मेडिकल में प्रवेश के नाम पर लाखों रुपए की वसूली करते थे। उन्हीं लोगों को मेडिकल में प्रवेश मिलता था, जो निजी मेडिकल कॉलेजों की मुंह मांगी रकम पहले जमा कर देते थे। इस बंदरबाँट में उस समय के राजनेता और अधिकारी शामिल थे। जब डीमैट घोटाला उजागर हुआ। उसके बाद व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा परीक्षा आयोजित की जाने लगी। इस परीक्षा में निजी और सरकारी सभी मेडिकल कॉलेज शामिल किये गए। मेडिकल में प्रवेश परीक्षा का यह गोरख धंधा बंद नहीं हुआ। व्यापम के परीक्षा नियंत्रक योगेश उपरीत को बनाया गया था। सरकार के संरक्षण और अधिकारियों की मिली भगत से मेडिकल प्रवेश में हजारों करोड़ रुपए का यह घोटाला व्यापम परीक्षा के माध्यम से बड़े पैमाने पर शुरू हुआ। जब व्यापम घोटाले का पर्दाफाश हुआ। उसके बाद 50 से अधिक छात्रों, गवाहों, पत्रकारों और आरोपियों की इसमें आत्महत्या, दुर्घटना इत्यादि में मौत हुई। 5000 से अधिक लोगों को सीबीआई ने अभियुक्त बनाया। सैकड़ों आरोपी अभी भी फरार हैं। सीबीआई अभी वास्तविक अपराधियों को नहीं पकड़ पाई है। जिन लोगों ने पैसे देकर एडमिशन लेने की कोशिश की, जो साल्वर थे। उन्हीं के ऊपर सीबीआई ने शिकंजा कसा। सीबीआई ने मेडिकल कॉलेज के संचालकों को भी आरोपी बनाया। डीएमई को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। सीबीआई की पकड़ से बड़ी मछलियाँ बची रहीं। बड़े-बड़े राजनेता जो इस मामले में दोषी थे उन्हें भी बचा लिया गया। व्यावसायिक परीक्षा मंडल का परीक्षा, घोटाला मध्य प्रदेश तक सीमित था। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा जो नीट की परीक्षा आयोजित की जाती हैं। इसके अंतर्गत देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिया जाता है। केंद्र सरकार की यह एक अधिकृत एजेंसी है। नीट परीक्षा के माध्यम से एम्स और सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नीट परीक्षा के परिणाम से ही मिलता है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का अध्यक्ष प्रदीप जोशी को बनाया गया है। वह भी मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय नेता जो वर्तमान में मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं, उनके भतीजे बताए जाते हैं। इनके कार्यकाल में नीट परीक्षा में सिक्योरिटी प्रेस, कोचिंग सेंटर के संचालक कुछ परीक्षा केंद्रों के संचालकों की मिली भगत सामने आ रही है। नीट प्रवेश परीक्षा के माध्यम से हर साल हजारों करोड़ रुपए की कमाई शिक्षा माफिया को हो रही है। 2024 में इस माफिया ने अति कर दी। सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज की सीटों पर प्रवेश के लिए पैसे लेकर परीक्षा में बिठाया गया है। 100000 परीक्षार्थियों के नंबर 620 से 720 के आसपास आए हैं। जिसके कारण यह मामला अब तूल पकड़ गया है। मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए जिन छात्र-छात्राओं द्वारा कोचिंग ली जाती थी। वहीं से मेडिकल में प्रवेश दिलाने के लिए सौदा तय करने की बात सामने आ रही है। नीट का परीक्षा परिणाम घोषित होता था। उसके बाद कोचिंग सेंटर के संचालक बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित कराते हैं। कोचिंग सेंटर के माध्यम से जो परीक्षार्थी सफल होते हैं। उनके फोटो छापे जाते हैं। जिसके कारण कोचिंग सेंटरों में प्रवेश के लिए भारी भीड़ लगती है। लाखों रुपए कोचिंग की फीस ली जाती है। धंधा साल दर साल बड़ी तेजी के साथ कोचिंग सेंटरों की करोड़ों रुपए की कमाई हो रही थी। परीक्षा में वही पास होते थे, जो जुगाड़ करके कोचिंग सेंटर और दलालों के माध्यम से पैसा देते थे। पिछले 5 वर्षों मे यह गड़-बड़ घोटाला बढ़ता ही जा रहा था। इसके पहले भी पेपर लीक होने की कई शिकायतें हुई हैं। लेकिन हर बार सभी शिकायतों और गड़बड़ियों को दबा दिया गया। उत्तर प्रदेश हरियाणा मध्य प्रदेश उत्तराखंड राजस्थान गुजरात बिहार झारखंड महाराष्ट्र उड़ीसा कर्नाटक तेलंगाना इत्यादि राज्यों में पिछले 5 सालों में 41 भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हुए हैं। इस गड़बड़ी के कारण 1 करोड़, 70 लाख छात्र-छात्राओं पर इसका नुकसान हुआ है। नीट में जिस तरीके की गड़बड़ी गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में उजागर हुई है। उन सभी का पैटर्न डीमैट और व्यापम घोटाले की तरह है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष प्रदीप जोशी का नाम भी इसमें जुड़ रहा है। जिस समय डीमैट और व्यापम के घोटाले हुए थे। वह मध्य प्रदेश में ही थे। जिस तरह से व्यापम घोटाले में सीबीआई की जांच होने के बाद भी बड़े-बड़े मगरमच्छ बचे रह गए। छात्रों और उनके परिजनों पर जरूर कार्रवाई हुई। मेडिकल कॉलेजों के जो संचालक इस तरह की गड़बड़ी मे लिप्त थे। विशेष अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा जरूर चल रहा है। नीट घोटाले की जांच भी सीबीआई को दी गई है। व्यापम घोटाले का जिस तरह का हश्र हुआ है, वही हस्र नीट घोटाले का भी होगा? यह आशंका अभी से व्यक्त की जाने लगी है। पिछले 10 वर्षों में इस तरह के जितने भी घपले-घोटाले हुए हैं, वह सभी दबा दिए गए, किसी में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके कारण छात्रों में बड़ा रोष है। इस बार 2000 से ज्यादा याचिकाएं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगी हैं। देखें क्या होता है। ईएमएस /01 जुलाई 24