ज़रा हटके
13-Sep-2024
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बीजिंग (ईएमएस)। दुनिया में सार्स आया 2003 में। इसके बाद 2009 में फैला मर्स और एच1एन1 स्वाइन फ्लू। इबोला भी बार-बार फैलता रहता है। 2019 के आखिर में कोविड फैला। फिर अब मंकीपॉक्स की दहशत फैली हुई है। ये कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो 15-20 सालों में दुनियाभर में फैलीं। इन सभी का एक ही सोर्स हैं, जानवर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि हर साल 1 अरब से ज्यादा लोग जानवरों से फैली बीमारी के कारण बीमार होते हैं। इसमें लाखों की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ का ये भी दावा है कि बीते तीन दशकों में इंसानों में 30 तरह की नई बीमारियां आई हैं और इसमें से 75 प्रतिशत जानवरों की वजह से फैली हैं। ये बीमारियां जानवरों को खाने या उन्हें बंदी बनाकर रखने से फैली हैं। 1950 के दशक में पोलियो खतरनाक बीमारी बनती जा रही थी। वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में जुटे थे। वैक्सीन के ट्रायल के लिए बड़ी संख्या में बंदरों की जरूरत पड़ी। इन बंदरों को लैब में रखा गया। ऐसी ही एक लैब डेनमार्क के कोपेनहेगन में भी थी। 1958 से 1968 के बीच एशिया से आने वाले सैकड़ों बंदरों में कई बार मंकीपॉक्स वायरस फैला। तब वैज्ञानिकों को लगा कि ये वायरस एशिया से ही फैल रहा है। लेकिन जब भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और जापान के हजारों बंदरों का ब्लड टेस्ट किया गया, तब इनमें मंकीपॉक्स के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं मिली। इससे वैज्ञानिक हैरान रह गए, क्योंकि सालों बाद भी वे इस वायरस के ओरिजिन सोर्स का पता नहीं लगा पाए थे। इसकी गुत्थी 1970 में तब सुलझी, जब पहली बार एक इंसान इस वायरस से संक्रमित मिला। तब कॉन्गो में रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे के शरीर पर दाने निकल आए थे। ये मामला इसलिए हैरान करने वाला था, क्योंकि 1968 में यहां से चेचक पूरी तरह से खत्म हो गया था। बाद में जब इस बच्चे के सैम्पल की जांच हुई, तब इसमें मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई। किसी इंसान के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पहला मामला सामने आने के बाद कई अफ्रीकी देशों में जब बंदरों और गिलहरियों का टेस्ट किया गया।तब उन में मंकीपॉक्स के खिलाफ एंटीबॉडी मिली। इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि मंकीपॉक्स का ओरिजिन सोर्स अफ्रीका ही है। अफ्रीका से ही एशियाई बंदरों में ये वायरस फैला होगा। इसके बाद कॉन्गो के अलावा बेनिन, कैमरून, गेबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, दक्षिणी सूडान सहित कई अफ्रीकी देशों में इंसानों में मंकीपॉक्स वायरस के कई मामले सामने आने लगे। 2003 में पहली बार ये वायरस अफ्रीका से बाहर फैला। तब अमेरिका में एक व्यक्ति इससे संक्रमित मिला था। उसमें ये संक्रमण पालतू कुत्ते से फैला था। ये कुत्ता अफ्रीकी देश घाना से लाया गया था। फिर सितंबर 2018 में इजरायल, मई 2019 में यूके, दिसंबर 2019 में सिंगापुर जैसे देशों में भी इसके मामले सामने आने लगे। अभी हाल ही में भारत में भी मंकीपॉक्स से संक्रमित एक व्यक्ति की पुष्टि हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है। मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं। बेहद कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है। क्या नॉन-वेज खाने से बढ़ रहा खतरा? हालांकि, कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि कोविड आखिरी महामारी नहीं है। भविष्य में और भी महामारियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए हमें जानवरों में फैलने वाली बीमारियों को समझना होगा। साल 2013 में एक रिपोर्ट आई जो बताती है कि दुनिया में 90 प्रतिशत से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है। इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है। इससे वायरल बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। क्या शाकाहारी बनकर बचा सकता है? आशीष/ईएमएस 13 सितंबर 2024