रेलयात्री कृपया ध्यान दें, जब भी आप ट्रेन में यात्रा करें तो अपने सामान के साथ-साथ एक नेवला और एक सपेरा अवश्य लेकर चलें। बहुत जल्द इस तरह की घोषणा आपको रेलवे प्लेटफार्म पर सुनने मिल जाएगी क्योंकि जिस तरह से ट्रेनों में सांप यात्रा करने लगे हैं तो यह जरूरी हो गया है कि उनसे बचने के लिए एक नेवला आपके पास होना आवश्यक है नेवला ना मिले तो एक सपेरे को अपने पैसे से अपने साथ लेकर चलें ताकि अगर कहीं किसी बर्थ पर सांप सोता हुआ दिख जाए तो वो बीन बजा कर अपने कब्जे में कर ले, ये बात अपन इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले दिनों जबलपुर से मुंबई जाने वाली गरीब रथ के एक कंपार्टमेंट में यात्रियों के साथ-साथ सांप भी यात्रा कर रहा था, अभी इस घटना की स्याही सूखी भी नहीं थी कि दयोदय एक्सप्रेस में भी सांप का एक जुड़वा भाई यात्रियों को दिखाई दे गया ,यात्री रेलवे पर भड़क उठे कि भारतीय रेलवे की ये हालत हो गई है कि ट्रेन के डब्बों में सांप घुसने लगे हैं, अब इन यात्रियों को कौन समझाए कि सांप की भी इच्छा होती है कि उसे भी कभी मुंबई घूमने का मौका मिले, उसे मालूम है कि मुंबई माया नगरी है तो उसे माया नगरी को देखने की इच्छा अगर उसने कर भी ली तो इसमें कौन सा गुनाह हो गया और फिर ट्रेन भी उसने ऐसी चुनी जिसका किराया भी कम था और पूरी ट्रेन एसी थी ,इधर उसका जुड़वा भाई जयपुर घूमना चाहता था। राजपूताना इतिहास और उनके बड़े-बड़े महल देखने की उसकी बड़ी हार्दिक इच्छा थी तो वो दयोदय एक्सप्रेस में चढ़ गया, ये बात अलग है कि उन्होंने रिजर्वेशन नहीं कराया था लेकिन रिजर्वेशन वाले डिब्बे में घुस गए अगर जनरल में चले जाते तो शायद ही हल्ला मचता क्योंकि वहां इतनी भीड़ होती है कि इनको घुसने तक की जगह न मिलती इसलिए उन्होंने एसी डिब्बा चुना कि बेहतरीन आराम से इस भरी गर्मी से निजात पाते हुए मुंबई और जयपुर की यात्रा कर लेंगे। वैसे तो नाग पंचमी पर पूरा देश सांपों की पूजा करता है लेकिन ट्रेन में सांप क्या दिख गए ऐसा हल्ला मचा दिया यात्रियों ने जैसे कंपार्टमेंट में शेर घुस गया हो बेचारे सांप भी इस चिल्लपों से घबरा कर ऐसी जगह जाकर छुप गए कि पूरा रेलवे डिपार्टमेंट इनको ढूंढता रहा लेकिन वे नहीं मिले। अपनी तो रेलवे को सलाह कि अब हर ट्रेन में एक-एक नेवले की और एक-एक सपेरे की पोस्टिंग कर दी जाना चाहिए क्योंकि बेचारा यात्री नेवला कहां से लाएगा रेलवे का क्या है एक टेंडर निकाल देगा, पच्चीस लोग टेंडर भर देंगे और नेवले की सप्लाई कर देंगे इधर जो बेचारे सपेरे आजकल सरकारी कानून के चक्कर में नाग पंचमी तक में सांप नहीं ला पा रहे हैं कम से कम उनकी रोजी रोटी शुरू हो जाएगी और जो यात्रीगण हैं उनका हल्ला ऊधम भी कम हो जाएगा । अब ये रेलवे पर डिपेंड करता है कि वो अपनी सलाह मानता हैं या नहीं । दिल का ख्याल रखें पिछले दिनों हार्ट डे मनाया गया तमाम हार्ट स्पेशलिस्टों ने एक ही बात कही कि अपने दिल का ख्याल रखें अब इन डॉक्टरों को कौन समझाए कि भैया दिल अपने बस में नहीं होता दिल कब किस पर आ जाए, किसको देखकर जोर-जोर से धड़कने लगे, कब धड़कना बंद कर दे, कब अपने तक आने वाले खून के रास्ते को ब्लॉक कर दे, कोई नहीं जानता अब ऐसे में दिल का ख्याल रखें तो रखें कैसे? जिसका कोई भरोसा ही ना हो उसे पर कैसे कोई भरोसा कर ले । वैसे भी किसी गीतकार ने कहा ही है दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे न जाने कितने गीत दिल पर बन चुके हैं आशिक और महबूबा के बीच सारा खेल ये दिल ही तो खेलता है, वैसे भी दिल खूबसूरती का पुजारी होता है किसी भी खूबसूरत लड़की को देखते ही जोर-जोर से धड़कने लगता है और यही धड़कन फिर मोहब्बत में तब्दील हो जाती है जब ये मोहब्बत शादी में परिवर्तित होती है तब दोनों आशिक और महबूबा अपने दिल को पचास गालियां देते हैं कि काहे को धड़का था भैया अब भोगना पड़ रहा है। डॉक्टर का क्या है उनका तो काम ही है इधर आपको हार्ट अटैक आया उधर स्टंट डाल दिए या फिर बाईपास कर दिया। एक बार जरूर है दिल को किसी ने मंदिर की भी संज्ञा दी है दिल एक मंदिर नाम की एक फिल्म भी बनी थी जिसका एक गाना भी बड़ा मशहूर था दिल एक मंदिर है, प्यार की जिसमें होती है पूजा ये प्रीतम का घर है दिल एक मंदिर है दिल रोमांटिक और पगला भी होता है इसलिए किसी ने ये भी लिखा है दिल दीवाना बिन सजना के माने ना,ये पगला है समझाने से समझे ना अब आप ही समझ लो कि जो समझाने से भी नहीं समझ रहा उसका ख्याल कौन रख सकता है। बेचारे पूर्व विधायक दुनिया में पूर्व होना सबसे ज्यादा दुखद होता है। चाहे वह नेता हो, मंत्री हो, विधायक हो, अफसर हो या फिर कोई और। जिस नेता के चारों तरफ लोगों की भीड़ लगी रहती है, लोग जिसकी जय जयकार करते हैं उसके चरण छूने या उससे हाथ मिलाने के लिए तरसते हैं जैसे ही वह पूर्व होता है सारी भीड़ ऐसी गायब होती है जैसे गधे के सर से सींग। यही हाल अफसर का होता है जब तक सरकारी अफसर होते हैं तब तक क्या जलवा होता है, दरवाजे पर प्रार्थियों की भीड़ लगी रहती है, सरकारी बंगला, सरकारी गाड़ी, सरकारी पेट्रोल ,क्या-क्या नहीं मिलता लेकिन जैसे ही वे पूर्व होते हैं अपनी स्कूटी से सब्जी बाजार से सब्जी लाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। मध्य प्रदेश के कुछ पूर्व विधायकों ने अपना दुखड़ा विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखा है कि हुजूर हमारी पेंशन बढ़ाई जाए क्योंकि जिस गति से महंगाई बढ़ रही है उस गति से हमारी पेंशन में हमारा घर नहीं चल पा रहा है और जब से हम पूर्व हुए हैं हमें कोई पूछने वाला भी नहीं है, वरना जब तक हम लोग पद पर थे एक इशारे पर अफसर ठेकेदार सारी व्यवस्थाएं कर देते थे लेकिन अब सारी व्यवस्थाएं हमें खुद करना पड़ती है और जिस तरह की पेंशन और महंगाई में मुकाबला चल रहा है उसमें पेंशन चारों खाने चित्त पड़ चुकी है। पिछले 8 सालों से हमारी पेंशन नहीं बढ़ी तो कम से कम थोड़ी बहुत पेंशन तो बढ़ा दो । वैसे भी जो इंसान एक बार नेता बन जाता है उसके बाद फिर किसी काम का नहीं रह जाता ,अब विधानसभा अध्यक्ष इस पर क्या निर्णय लेते हैं ये तो वो ही जानें उधर सरकार के पास तो वैसे ही पैसे की कमी है वो तो खुद ही कर्ज पर कर्ज लिए पड़ी है अब ऐसे में इन पूर्व विधायकों की पेंशन में बढ़ोतरी करना भी सरकार के लिए बहुत बड़ा सिर दर्द बन गई है लेकिन अपना कहना है कि देखो भैया जो पूर्व हो गए हैं उनका ख्याल और कोई तो रखता नहीं कम से कम सरकार ही उनका ख्याल रख ले दो चार हजार रुपया महीना उनकी पेंशन में बढ़ा भी दोगे तो सरकार की सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला । कम से कम ये बेचारे पूर्व विधायक सरकार को धन्यवाद तो देंगे क्योंकि आफ्टर ऑल एक जमाने में वे सरकार ही के तो अंग थे अब भले ही पूर्व हो गए हो पहले तो वर्तमान थे । सुपरहिट ऑफ़ द वीक मेरे सीने में बहुत दर्द हो रहा है जल्दी से एंबुलेंस के लिए कॉल लगाओ श्रीमान जी ने श्रीमती जी से कहा लगाती हूं अपने मोबाइल का पासवर्ड तो बताओ श्रीमती जी ने घबरा कर पूछा रहने दो अब ठीक थोड़ा ठीक लग रहा है शाम को किसी डॉक्टर को दिखा देंगे श्रीमान जी ने उत्तर दिया .../ 01 अक्टूबर/2024