छत्तीसगढ़, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं के लिए प्रसिद्ध है, हाल ही में रामायण पर आधारित एक वीडियो को लेकर विवादों के केंद्र में आ गया है। इस वीडियो में रामायण के पात्रों को व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया, विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रावण के रूप में दर्शाए जाने के कारण राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। यह विवाद केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को लेकर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। रामायण, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी राज्य का अभिन्न हिस्सा है, का इस तरह से राजनीतिक मंच पर उपयोग करना न केवल छत्तीसगढ़ियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का अपमान भी करता है। रामायण पर आधारित वीडियो, जिसमें भूपेश बघेल को रावण के रूप में दिखाया गया है, इस बात का प्रमाण है कि भाजपा ने सांस्कृतिक प्रतीकों का राजनीतिक लाभ लेने के लिए उनका दुरुपयोग किया। यह वीडियो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का खुला उल्लंघन है। राज्य में भगवान राम के वनवास के दौरान कई ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। राम वन गमन पथ परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने इन स्थानों को संरक्षित और विकसित करने की योजना बनाई है, ताकि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सके और पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। हालांकि, भाजपा ने रामायण के पात्रों का व्यंग्यात्मक रूप में राजनीतिक इस्तेमाल करते हुए इन धार्मिक स्थलों और आस्थाओं को अपनी राजनीतिक लड़ाई में हथियार बना लिया है। यह कदम छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान करने के समान है, क्योंकि इसे एक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, न कि केवल एक राजनीतिक मंच पर। भाजपा का यह कदम इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि यह धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक प्रतीकों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का एक नया उदाहरण प्रस्तुत करता है। भाजपा द्वारा राम के आदर्शों और रावण के चित्रण का राजनीति में इस तरह से उपयोग करना न केवल छत्तीसगढ़ की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अपमान करता है, बल्कि यह समाज में ध्रुवीकरण और तनाव भी उत्पन्न कर सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा केवल सत्ता में बने रहने के लिए धार्मिक प्रतीकों का उपयोग कर रही है, न कि उनकी पवित्रता का सम्मान करती है। कांग्रेस पार्टी ने इस वीडियो की कड़ी आलोचना की है। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने इसे राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का अपमान बताया और भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर इस वीडियो को तैयार किया ताकि समाज में धर्म के आधार पर विभाजन फैल सके और धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा सके। कांग्रेस का यह आरोप बिल्कुल उचित है, क्योंकि यह साफ दिखता है कि भाजपा ने सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया है, जिससे राज्य की सामाजिक एकता और शांति को नुकसान हो सकता है। भाजपा के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि कांग्रेस के नेताओं को उस रूप में दिखाया गया है, तो उन्हें सोचना चाहिए। हालांकि, उनके बयान में यह संकेत स्पष्ट था कि भाजपा ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को प्रचारित करने के लिए राम के आदर्शों का राजनीतिक रूप से प्रयोग किया है। उनका यह बयान छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। इस विवाद का एक और पक्ष यह है कि भाजपा अपने कार्यों को विष्णु के सुशासन के रूप में प्रस्तुत कर रही है। राज्य सरकार का दावा है कि वे विष्णु के सुशासन का पालन कर रहे हैं, लेकिन इस वीडियो के राजनीतिक इस्तेमाल से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा केवल सत्ता को बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक लाभ लेने के बजाय उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार मोड़ने की कोशिश कर रही है। यह स्पष्ट रूप से भाजपा के सांस्कृतिक और धार्मिक आदर्शों के प्रति अनवधानता को दिखाता है। यह विवाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक आस्थाओं के बीच संतुलन की आवश्यकता को स्पष्ट करता है। भाजपा सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक फायदा उठाना न केवल संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है, बल्कि यह समाज में गहरे तनाव और असहमति भी पैदा कर सकता है। धार्मिक आस्थाएं और सांस्कृतिक प्रतीक केवल आस्थाओं का विषय नहीं हैं, बल्कि वे समाज के ताने-बाने में गहरे तौर पर जुड़े होते हैं। इनका राजनीतिक संदर्भ में उपयोग करने से समाज में बंटवारा और विवाद उत्पन्न हो सकता है, जैसा कि इस विवाद में देखा गया है। छत्तीसगढ़ जैसे सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध राज्य में भगवान राम और रामायण केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। राज्य के लोग अपनी संस्कृति, धर्म, और आस्थाओं से गहरे जुड़े हुए हैं। रामायण न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह राज्य के समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर भी है। भाजपा को यह समझना चाहिए कि राजनीतिक लाभ के लिए इस सांस्कृतिक धरोहर का दुरुपयोग राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का अपमान करना है। भाजपा सरकार को अपनी राजनीतिक नीतियों और विवादों को सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनाओं के खिलाफ बढ़ने से रोकने की आवश्यकता है। राजनीतिक गतिविधियों में संतुलन बनाए रखना चाहिए, ताकि राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान किया जा सके और समाज में शांति और सामंजस्य बना रहे। अगर भाजपा इस तरह के विवादों से बचने में सफल नहीं होती, तो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को एक बड़ा नुकसान हो सकता है। छत्तीसगढ़ का रामायण विवाद एक गहरी बहस का हिस्सा बन चुका है, जिसमें राजनीति, धर्म, और संस्कृति का मिश्रण देखने को मिला है। भाजपा का इस विवाद में शामिल होना और रामायण के पात्रों का व्यंग्यात्मक रूप से राजनीतिक इस्तेमाल करना छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के खिलाफ एक गंभीर कदम है। कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों का यह आरोप बिल्कुल सही है कि भाजपा ने अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत इस धार्मिक आस्था का इस्तेमाल किया है। भाजपा को चाहिए कि वह इस प्रकार के विवादों से बचते हुए, राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करे, ताकि राज्य की सामाजिक एकता बनी रहे और राजनीतिक विवादों से बचा जा सके। .../ 11 जनवरी /2025