सीसीएस ने दी मंजूरी, इन तोपों का निजी कंपनियां करेंगी उत्पादन नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय सेना अपनी आर्टेलरी रेजिमेंट का आधुनिकीकरण कर रही है। इसके लिए देश में बनी तोपों के जरिए सेना की ताकत को बढ़ाया जाना है। सरकार की केबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय सेना के लिए एडवांसड टोड आर्टीलरी गन सिस्टम को खरीदने की मंजूरी दे दी है। यह डील तकरीबन 7000 करोड़ रुपए के करीब है। यह गन पूरी तरह से स्वदेशी है। कुल 307 हावित्जर की खरीद स्वदेशी कंपनी से की जी रहा है। एटीएजीएस को देश में ही डिजाइन और डेवलप किया है। अब इनका उत्पादन निजी कंपनी भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स करेंगे। डील में लोअस्ट बिडर को चुना जाता है चूंकि स्वदेशी डिफेंस कंपनियों को आगे बढ़ाना है। इसके लिए 307 गन के उत्पादन को दोनों कंपनियों में बांट दिया गया है। भारत फोर्ज लोअस्ट बिडर था तो उसे 60 फीसदी तोप डिलिवर करनी है। टाटा एजवांस्ड को 40 फीसदी का निर्माण करना होगा। दुनिया में एटीएजीएस ही ऐसे तोप है जो 48 किलोमीटर दूर तक मार करती है। 155 एमएमए 52 कैलिबर की इस तोप से 15 सेकंड में 3 राउंड गोले दागे जा सकते हैं। 3 मिनट में 15 राउंड गोले और लगातार 60 मिनट में 60 राउंड गोले दाग सकती है। यह तो हर मौसम में इस्तेमाल की जा सकती है। इसके परिक्षण पोखरण के रेगिस्तान से लेकिन सिक्किम की पहाड़ियों तक सफलतापूर्वक होने बाद अब सेना के लिए चुना गया है। बता दें 1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण प्लान में आर्टीलरी तोपें सबसे अहम था। साल 2027 तक 2800 तोपें सेना में शामिल करने का लक्ष्य है। 155 एमएम की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है। कुछ लक्ष्य को पूरा भी कर चुकी हैं। मसलन जिसमें 145 अल्ट्रा लाईट होवितसर भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी हैं। यह गन अमेरिका से ली गई है। इस प्लान के मुताबिक 1580 टोड तोप जो की गाड़ियों के जरिये खींची जाने वाली तोपों को शामिल करना है। 814 ट्रक माउंटेड गन यानी गाड़ियों पर बनी तोपें, 100 तोपें ट्रैक्टड सेल्फ प्रोपेल्ड के तौर पर के-9 वज्र की खरीद की जा चुकी है। 100 अतिरिक्त गन की खरीद भी कर ली गई है। भारतीय सेना अपने तोपखाने की ताकत बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है। साल 2040 तक भारतीय तोपखाने की तोपों को 155 कैलिबर में तब्दील करने का लक्ष्य रखा गया है। सिराज/ईएमएस 20मार्च25 --------------------------------