कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सभापति से जबाव मांगा नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट के एक मौजूदा जज के सरकारी आवास से नकदी की बरामदगी से जुड़ा मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठाया गया। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर एक व्यवस्थित चर्चा बहस कराने की कोशिश करुंगा। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सत्र में मुद्दा उठाकर न्यायिक जवाबदेही पर सभापति से जवाब मांगा और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस के बारे में याद दिलाई। कांग्रेस सांसद रमेश ने कहा कि शुक्रवार सुबह, हम सभी ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के चौंकाने वाले मामले के बारे में पढ़ा। उन्होंने बताया कि इसके पहले, 50 सांसदों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के संबंध में सभापति को एक नोटिस सौंपा था। रमेश ने कहा कि सभापति धनखड़ ने खुद बार-बार न्यायिक जवाबदेही के बारे में बात की है। कांग्रेस नेता रमेश ने धनखड़ को याद दिलाया कि उन्होंने मुद्दे पर सदन के नेता को निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस पर कुछ टिप्पणियां करें और न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने के लिए प्रस्ताव के साथ आने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश दें। नकदी की कथित बरामदगी के मुद्दे पर सभापति धनखड़ ने कहा कि उन्हें जिस बात की चिंता है वह यह है कि घटना हुई लेकिन तत्काल सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी घटना किसी राजनेता, नौकरशाह या उद्योगपति से जुड़ी होती, तब संबंधित व्यक्ति तुरंत निशाना बन जाता। सभापति ने कहा कि वह सदन के नेता और विपक्ष के नेता से संपर्क कर और सत्र के दौरान व्यवस्थित चर्चा पर विचार करुंगा। महाभियोग मामले पर सभापति ने कहा कि उन्हें राज्यसभा के 55 सदस्यों से प्रतिवेदन मिला है। उन्होंने कहा कि अधिकांश सदस्यों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिससे मुझे अपना कर्तव्य निभाने में मदद मिली। उन्होंने शेष सदस्यों से उन्हें भेजे ई-मेल का जवाब देने की अपील की। धनखड़ ने कहा कि अगर हस्ताक्षर करने वालों की संख्या 50 से ऊपर है, तब उसके अनुसार आगे बढ़ूगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने सहयोग किया है। जिन सदस्यों ने अभी तक अपना जवाब नहीं भेजा है वे कृपया उन्हें भेजे गए दूसरे मेल का जवाब दें। तब मेरे स्तर पर प्रक्रिया में देरी नहीं होगी, यहां तक कि एक पल के लिए भी नहीं। आशीष दुबे / 21 मार्च 2025