- विधायक विक्रांत भूरिया ने रसूखदारों, व्यवसायियों को बांट दिया स्वेच्छानुदान भोपाल (ईएमएस)। अपने आप को गरीब आदिवासियों का नेता बताकर राजनीति करने वाले झाबुआ से कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया पर धनाढ्यों पर मेहरबानी का आरोप लगा है। जिन गरीबों के वोट बैंक से विक्रांत भूरिया विधायक बने हैं उनको दिए जाने वाले स्वेच्छानुदान को करोड़पति, व्यापारी, होटल मालिक, टेंट व किराना व्यवसायियों सहित घर पर काम करने वालों को बांटने के आरोप लगे हैं। जानकारी के अनुसार झाबुआ विधानसभा में विधायक स्वेच्छानुदान की राशि को अपात्रो में बांट दिए जाने का मामला सामने आया है। जिसमें कांग्रेस के विधायक पर राशि के दुरूपयोग और साथ ही स्वेच्छानुदान राशि से अपनों को उपकृत करने का आरोप लगा है। हालांकि विधायक स्वेच्छानुदान योजना के तहत राशि का वितरण, विधायक के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन इस राशि का उपयोग जरूरतमंद एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए किया जाने का नियम है, लेकिन विधायक ने धनवानों को स्वेच्छानुदान बांट दिया है। जो साफ दर्शाता है कि अपने करीबियों को उपकृत करने के लिए स्वेच्छानुदान राशि जरूरतमंद और कमजोर लोगों को देने के बजाए, इस राशि को अपात्रों को लाभ पहुंचाने की मंशा से दे दिया गया। राज्यपाल तक पहुंची शिकायत गौरतलब है कि झाबुआ से विधायक विक्रांत केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं और कांग्रेस ने उन्हें हाल में ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया है। विधायक भूरिया पर करोड़पति, व्यापारी, होटल मालिक, टेंट व किराना व्यवसायियों सहित घर पर काम करने वालों को स्वेच्छानुदान बांटने के आरोप लगे हैं। शिकायत झाबुआ की रानापुर तहसील के दौतड़ गांव के मथियास भूरिया ने राज्यपाल से कर उच्च स्तरीय जांच कराने व विक्रांत भूरिया को पद से हटाने की मांग की है। आरोप हैं कि विधायक भूरिया ने इस अनुदान का उपयोग व्यापारियों का बकाया भुगतान, राजनीतिक कार्यक्रमों में टेंट लगवाने व खुद के कार्यालय में आने वाले लोगों को चाय-नाश्ता कराने के बदले किया है। इनमें से कुछ को वर्ष में एक से लेकर तीन बार लाभ पहुंचाया। जबकि इस पर गरीबों व जरूरतमंदों का हक होता है। शिकायती आवेदन में दर्शाया गया कि झाबुआ विधान सभा के वर्तमान विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया एवं पूर्व विधायक कांतिलाल भूरिया के द्वारा स्वेच्छानुदान राशि व्यापारियों एवं उनके कार्यालय में कार्य करने वालो ओर उनके परिवार के लोगों के बैंक खातों में डाल कर घोटाला किया है। जिन व्यापारीयो ओर कर्मचारियों और उनके परिवार के खातों में जो राशि डाली गई उसकी सूची भी जारी की गई है जिनको 5 हजार से लेकर 25 हजार तक की राशि दो और तीन बार दी गई उनके समक्ष में बुलाकर कथन लिए जाए एवं जांच अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दी जाए। 24 लाख से अधिक राशि का भुगतान मथियास भूरिया ने मांग की है कि गरीबों को दी जाने वाली स्वेच्छानुदान की राशि करोड़पति व्यापारियों और विधायक के कार्यालय पर कार्य करने और उनके परिवार के लोगों के बैंक खातों में डाली गई है उसको वसूली करने के निर्देश दिए जाए। बताया गया है कि स्वेच्छानुदान में जिनका राशि दी गई उनमें से अधिकांश धनाढ्य लोग हैं या फिर व्यापारी। रूपेश, चेतना, विक्की सकलेचा, सतीश नहार, राजेन्द्र कुमार, अक्षत, सुनील, सरिता जैन, हुसैनी बोहरा, अब्दुल बोहरा, डॉ. दिनेश गाहरी, गोपाल, भारतलाल ये सभी धनाढ्य व व्यापारी हैं। प्रमोद, अर्पिता, सारिका श्रीवास्तव, जुवान, सूरज, बदिया डामोर, शुभम, राजेश राव, योगेन्द्र, राजू, रेखा, अन्तर भूरिया, रोहित, प्रियांशु, पीयूष हटिला, अक्षय, दिपिका, अमित, रवीना हटिला, मुन्ना, प्रमिला डामोर, राकेश, मनीष गुप्ता, चादनी, पासु ताहेड, नन्दिनी, सचिन, राधा, वर्षा बामनिया, संजय, पीडू, रालू, राहुल ये व्यापारियों व विधायक दतर के कर्मी-परिवार। प्रियांश, पीयूष हटिला को तीन बार, अक्षय, शुभम, रूपेश, सतीश, राजेन्द्र, गोपाल, योगेन्द्र, राजू, रेखा, अन्तर को एक साल में दो-दो बार लाभ पहुंचाया गया। विधायक एवं पूर्व विधायक द्वारा व्यापारियों से उनकी दुकानों से निजी उपयोग घरेलू उपयोग तथा कार्यालय उपयोग के लिए सामग्री खरीदी गई और होर्डिंग, टेन्ट आदि पार्टी कार्यक्रम के लिए लगाए गए। इस कारण टेन्ट व्यापारियों के बैंक खातो में स्वेच्छानुदान की राशि डाली गई है। भारतलाल होटल मालिक है, जिनका होटल विधायक विक्रान्त भूरिया एवं कान्तिलाल भूरिया के कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर है, भारतलाल को चार महीने के भीतर दो बार में 35 हजार रुपए दिए। यह ट्रांजेक्शन 2023 में हुआ। इस आरोप पर विक्रांत भूरिया का कहना है कि मैंने विधायक स्वेच्छानुदान से जो भी राशि दी है वह सभी जरूरतमंद लोगों को दी गई है। राशि का कहीं कोई दुरुपयोग नहीं किया गया है। मेरे खिलाफ किसने और क्या शिकायत की है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। आरोप निराधार हैं। विनोद / 30 मार्च 25