गुना (ईएमएस)| जिले में हाल ही में हुए पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा के तबादले को लेकर सियासत गरमा गई है। हनुमान जयंती के मौके पर कर्नलगंज इलाके में भडक़े सांप्रदायिक तनाव के बाद हुए इस तबादले को विपक्ष ने सरकार की ‘मनमानी’ कार्रवाई बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से लेकर माकपा तक ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री को घेरते हुए पूछा कि क्या अब वही अधिकारी प्रताडि़त किए जाएंगे जो कानून और संविधान के मुताबिक कार्य करें? उन्होंने कहा कि यदि किसी पुलिस अधिकारी ने निष्पक्ष रूप से काम किया और उसके बावजूद उसे सजा दी गई, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। दिग्विजय ने यह भी आरोप लगाया कि गुना जैसे शांतिपूर्ण शहर की फिजा बिगाडऩे में कुछ राजनीतिक ताकतें लगी हैं और जब पुलिस ने कार्रवाई की, तो एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया। दरअसल 12 अप्रैल को हनुमान जयंती पर निकले एक जुलूस के दौरान मस्जिद के सामने दोनों पक्षों में विवाद और तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी। हालांकि, पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए हालात को नियंत्रण में रखा और किसी बड़ी अनहोनी को टाल दिया। एसपी संजीव सिन्हा ने उसी दिन मीडिया को बताया था कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज में पत्थरबाजी नहीं देखी है। इस बयान के बाद हिंदूवादी संगठनों ने उन्हें निशाने पर लिया। अब माकपा ने भी इस मामले में सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा कि एसपी सिन्हा को सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की सजा दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना अनुमति के जुलूस निकालने और भडक़ाऊ नारेबाजी करने वाले संगठनों पर एफआईआर होने से सरकार बैकफुट पर आ गई और नतीजतन एसपी का तबादला कर दिया गया। माकपा ने इसे लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है। दिग्विजय सिंह और माकपा दोनों ने मांग की है कि सरकार पुलिस प्रशासन को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखे और कानून के राज को प्राथमिकता दे। - सीताराम नाटानी (ईएमएस)