लंदन (ईएमएस)। दुनिया भर में पुरुषों में लो स्पर्म काउंट यानी शुक्राणु की कमी की समस्या तेजी से बढ़ी है। जब शुक्राणु की मात्रा बेहद कम हो जाती है, तो वे महिला की यूट्रस तक पहुंच नहीं पाते, जिससे संतान उत्पत्ति में मुश्किलें आती हैं। इसे मेडिकल भाषा में ‘ओलिगोस्पर्मिया’ कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे कई शारीरिक, मानसिक और आदतों से जुड़ी वजहें हो सकती हैं, जिन्हें समय रहते समझना जरूरी है। पुरुषों की कुछ गलत जीवनशैली की आदतें इस स्थिति को और खराब कर सकती हैं। जैसे कि पर्याप्त नींद ना लेना, लगातार स्मोकिंग करना, अत्यधिक शराब सेवन, तनाव में रहना और शारीरिक गतिविधियों की कमी। ये सभी आदतें स्पर्म काउंट को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। वहीं, उम्र बढ़ने के साथ भी शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे शुक्राणुओं की संख्या और क्वालिटी दोनों प्रभावित होती हैं। स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं भी इसकी बड़ी वजह बन रही हैं। मोटापा एक प्रमुख कारण है, जो पुरुषों की फर्टिलिटी को सीधा प्रभावित करता है। मोटे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन स्तर गिरता है और प्रजनन अंगों की कार्यप्रणाली भी धीमी हो जाती है। यही समस्या अत्यधिक दुबले-पतले पुरुषों के साथ भी हो सकती है। इसके अलावा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, प्रोस्टेट या अंडकोष से जुड़ी बीमारियां और हृदय संबंधी समस्याएं भी शुक्राणु की संख्या में गिरावट का कारण बन सकती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इसका शुक्राणुओं की संख्या से कोई सीधा संबंध नहीं है। शरीर में वीर्य का निर्माण लगातार होता रहता है और उसकी रिकवरी भी समय पर होती है। हालांकि, अगर कोई नियमित रूप से ऐसा करता है, तो संतुलित डाइट पर ध्यान देना जरूरी है। कुछ पुरुष बिना चिकित्सकीय सलाह के दवाएं लेना शुरू कर देते हैं, विशेष रूप से मसल्स बनाने या शरीर में फैट बढ़ाने वाली दवाएं, जो फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकती हैं। साथ ही जंक फूड, तले-भुने और प्रोसेस्ड खाने की अधिकता भी स्पर्म की क्वालिटी घटा सकती है। वहीं, यह भी एक आम सवाल है कि क्या मास्टरबेशन से स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है। सुदामा/ईएमएस 22 अप्रैल 2025