नई दिल्ली (ईएमएस)। स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है। इसके साथ ही नकली एनसीईआरटी किताबों का काला कारोबार भी फलने-फूलने लगा है। हाल ही में पुलिस ने समयपुर बादली में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया जो नकली किताबें सप्लाई कर रहा था। इसी के मद्देनजर दैनिक जागरण तीन दिवसीय अभियान शुरू कर रहा है। इसमें हम बताएंगे कि एनसीईआरटी किताबों की कितनी जरूरत है और उनकी उपलब्धता कितनी है। इसके साथ ही नकली और असली किताबों में क्या अंतर है। नकली किताबों के बाजार का अर्थशास्त्र क्या है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पिछले कई वर्षों से सीबीएसई स्कूलों में अपनी किताबें पढ़ा रही है। इतने वर्षों से किताबें लिखने, उन्हें बनाने और फिर उन्हें तैयार करके स्कूलों को उपलब्ध कराने के धंधे में एनसीईआरटी ने यह अच्छी तरह समझ लिया है कि किस कक्षा के लिए कितनी किताबें छापनी हैं। लेकिन यह जानते हुए भी हर साल एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली /ईएमएस/22/अप्रैल /2025