राष्ट्रीय
01-May-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आधुनिक रिसर्च और आयुर्वेद दोनों में यह माना गया है कि लार न केवल पाचन प्रक्रिया में मददगार है, बल्कि यह त्वचा और आंखों सहित कई शारीरिक समस्याओं में भी राहत पहुंचा सकती है। आमतौर पर लोग मुंह की लार को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह शरीर के लिए बेहद जरूरी और गुणकारी होती है। खास बात यह है कि इसका उपयोग घरेलू नुस्खों की तरह किया जा सकता है, जिससे बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। स्टडी में पाया गया है कि लार में मौजूद लाइसोजाइम एंजाइम एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होते हैं। सुबह की बासी लार को चेहरे पर लगाने से कील-मुंहासों और त्वचा की अन्य समस्याओं में आराम मिलता है। यह नुस्खा खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है, जिनकी त्वचा तैलीय होती है। लार से रोम छिद्र खुलते हैं और त्वचा की गहराई से सफाई होती है। लार केवल त्वचा ही नहीं, बल्कि घाव भरने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद प्रोटीन चोटों को जल्दी ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद में भी सुबह की लार को आंखों पर लगाने की सलाह दी गई है, जिससे आंखों का सूखापन दूर होता है और उनकी नमी बरकरार रहती है। पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी लार का विशेष महत्व है। सुबह उठकर बिना कुल्ला किए पानी पीना लाभकारी माना जाता है, क्योंकि इससे मुंह की लार सीधे पेट में जाती है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। यह कब्ज़ और एसिडिटी जैसी आम समस्याओं में राहत देने का काम करती है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के शरीर में लार का निर्माण कम हो रहा है, तो उसे त्रिफला, आंवला, मेथी जैसे हर्बल तत्वों का सेवन करना चाहिए। मुंह की लार को अगर सही ढंग से और नियमित रूप से उपयोग किया जाए, तो यह कई तरह की बीमारियों से बचाव का प्राकृतिक और सस्ता उपाय बन सकती है। इसके अलावा दातुन का प्रयोग जैसे नीम, बबूल, पीपल और जामुन से भी लार की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। साथ ही, केमिकल युक्त टूथपेस्ट, नशा या कुछ एलोपैथिक दवाएं लार बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे परहेज करना जरूरी है। सुदामा/ईएमएस 01 मई 2025