अनादि काल से आज तक मां लक्ष्मी को धन की देवी और माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा की जाती है। भारत में कहावत है, जहां लक्ष्मी रहती है, वहां सरस्वती का वास नहीं होता है। जहां सरस्वती रहती है, वहां पर लक्ष्मी का वास नहीं होता है। सारी दुनिया के देशों में यह देखने को मिल रहा है। अब ज्ञान के स्थान पर पूंजी को महत्व दिया जा रहा है। विश्व के सभी देशों में इस समय धन की पूजा हो रही है। सत्ता में बैठे हुए लोग धन के पीछे भाग रहे हैं। जिसके कारण सरस्वती जी को जगह-जगह अपमानित होना पड़ रहा है। अमेरिका और भारत जैसे देशों में भी अब पूंजीवाद का प्रभाव सरकार और जनसामान्य के देखने को मिल रहा है। सत्ता में बैठे हुए लोग ऐसी किसी चुनौती को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, जो उनके सत्ता के सफर में कठिनाई पैदा करें। जिसके फलस्वरूप विभिन्न देशों में शिक्षण संस्थानों को जो सहायता सरकारों द्वारा दी जा रही थी। उसे कम या बंद किया जा रहा है। शिक्षण संस्थानों से जो पढ़कर निकलते है। वह सरकार से जवाब-सवाल करने लगते है। जो सत्ता में बैठे लोगों को स्वीकार नहीं है। अमेरिका ने हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को जो टैक्स की छूट सरकार से मिलती थी, वह खत्म कर दी है। इसके पहले अमेरिकी सरकार द्वारा शोध के लिए जो सहायता यूनिवर्सिटी को दी जाती थी। वह पहले ही बंद कर दी गई थी यूनिवर्सिटी में जिस तरह से ज्ञानवान लोग आगे निकलते हैं। वह सरकार के लिए आगे चलकर कड़ी चुनौती बनते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने 02 मई 2025 को ऐलान कर दिया है, उनका प्रशासन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की टैक्स छूट का दर्जा समाप्त करने जा रहा है। सरकार के इस कदम से विश्वविद्यालय के ऊपर कई गुना आर्थिक भार बड़ेगा। जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई काफी मुश्किल और महंगी होगी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दुनिया भर के देशों से बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते है। यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अग्रणी है। डोनाल्ड ट्रंप ने इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ इस तरह का कदम उठाया है। इससे स्पष्ट है, कि पूंजीवादी सिद्धांत में, ज्ञान का कोई स्थान नहीं है। पूंजी से पूंजी बढ़ती है। ऐसा पूंजीपति मानते हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति भारत में भी पिछले कई वर्षों से देखने को मिल रही है। पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थानों के शोध के लिए जो राशि दी जाती थी। उसे सरकारा द्वारा बंद या राशि कम कर दी गई है। यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों की सहायता राशि में लगातार कटौती हो रही है। पढ़ने वाले छात्रों की फीस बढ़ा दी गई है। भारत के शिक्षण संस्थानों में एक विचारधारा विशेष के ही लोगों को, शिक्षण संस्थानों में विशेष संरक्षण दिया जा रहा है। भारत के शिक्षण संस्थान पिछले वर्षों में आर्थिक रूप से लगातार कमजोर किए गए हैं। उन्हीं शिक्षण संस्थानों को आगे बढ़ाया जा रहा है, जो सरकार की विचारधारा के अनुसार काम कर रहे हैं। भारत में शिक्षा प्राइवेट सेक्टर में बढ़ रही है। प्राइवेट सेक्टर की फीस में युवाओं को शिक्षित किया जा रहा था। अब उसकी फीस भी कई गुना बढ़ा दी गई है। यही कहा जा सकता है। कभी भी लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ नहीं रहती हैं। सरकारों में जो नेता दुनिया के देशों में बैठे हुए हैं। पूंजीवादी व्यवस्था में ज्ञान का कोई स्थान नहीं है। शिक्षण संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। यह वास्तविक रूप से दिख रहा है। यह कब तक चलेगा, लक्ष्मी और सरस्वती के बीच में समन्वय बनेगा या नहीं, इसको लेकर आमजनों में चिंता बढ़ने लगी है। ईएमएस / 03 मई 25