03-May-2025


मुंबई, (ईएमएस)। आठ साल पहले दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव में पश्चिम रेलवे की के स्वामित्व वाले वाहन की चपेट में आने के बाद कोमा में गई युवती के इलाज के लिए 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने से पश्चिम रेलवे प्रशासन ने इनकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा कि वह 25 वर्षीय युवती को 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा नहीं दे सकता। पश्चिम रेलवे ने हाई कोर्ट से यह भी कहा कि रेल मंत्रालय अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए सहमत नहीं है। हालांकि, हाई कोर्ट ने पश्चिम रेलवे को आदेश दिया कि वह अगली सुनवाई में रेल मंत्री के समक्ष पेश केस फाइल कोर्ट में पेश करे। दरअसल कोर्ट ने पहले ही रेल मंत्री को मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया था। इसके बाद की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि क्या उसने अपने आदेश से रेल मंत्री को अवगत कराया है और उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया था। इस संदर्भ में शुक्रवार को न्यायाधीश गिरीश कुलकर्णी और न्यायाधीश अद्वैत सेठना की बेंच के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पश्चिम रेलवे ने कोर्ट से कहा कि रेल मंत्रालय पीड़िता को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए सहमत नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा, हम देखना चाहते हैं कि आपने मामले के क्या दस्तावेज रेल मंत्री को सौंपे हैं। अदालत ने पश्चिम रेलवे को रेल मंत्री को सौंपी गई फाइल 7 मई को पेश करने का आदेश दिया। * क्या है मामला ? निधि जेठमलानी नामक युवती 28 मई, 2017 को मरीन प्लाजा होटल के सामने सड़क पार करते समय पश्चिम रेलवे के स्वामित्व वाले वाहन की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी। दुर्घटना के समय निधि की उम्र 17 वर्ष थी और वह के.सी. कॉलेज में 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी। इस दुर्घटना के बाद, वह कोमा में चली गई और अभी भी उसी हालत में है। उसके पिता ने पश्चिम रेलवे द्वारा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पिछली सुनवाई के दौरान, यह दुर्लभतम मामला था और दुर्घटना में निधि को गंभीर मस्तिष्क की चोट लगी थी। दुर्घटना की गंभीरता ऐसी थी कि निधि कोमा में चली गई। अदालत ने रेल मंत्री को मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और मुआवजे पर अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि पिछले आठ वर्षों से लड़की को इस हालत में देखना उसके माता-पिता के लिए कितना दर्दनाक रहा होगा। * पश्चिम रेलवे का दावा पश्चिम रेलवे ने दावा किया था कि निधि सिग्नल ग्रीन न होने के बावजूद अपना मोबाइल फोन संभालते हुए सड़क पार कर रही थी। पश्चिम रेलवे ने यह भी तर्क दिया कि गाड़ी 35-40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही थी और चालक ने उसे टक्कर मारने से बचाने की कोशिश की और अंततः गाड़ी सड़क के डिवाइडर से टकरा गई। रेलवे ने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण द्वारा स्वीकृत मुआवजा राशि बहुत अधिक है, रेलवे ने यह दावा किया कि रेलवे को दुर्घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। संजय/संतोष झा- ०३ मई/२०२५/ईएमएस