ठाणे, (ईएमएस)। एक दंपत्ति को धमकाकर 50 हजार रुपए वसूलने के आरोप में तीन पुलिस कर्मियों को ठाणे पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे के आदेश पर ठाणे के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) श्रीकांत पाठक ने तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया है। निलंबित किए गए तीनों पुलिस कांस्टेबलों के नाम जयेश आंबिकर, राकेश कुंटे और महिला पुलिस कांस्टेबल सोनाली मराठे हैं। इनमें से जयेश और राकेश दोनों ठाणे पुलिस मुख्यालय में पुलिस आयुक्त के एस्कॉर्ट वाहन में तैनात थे। जबकि सोनाली की पोस्टिंग शील डायघर पुलिस स्टेशन में थी। आंबिकर, कुंटे और मराठे अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बिना 30 अप्रैल को रात करीब 11.30 बजे कमिश्नर के एस्कॉर्ट वाहन से मासुंदा तालाव पर पहुंचे। उन्होंने मुंबई से वहां खाना खाने के लिए आए एक विवाहित जोड़े को धमकाया। उन्होंने उसे एक सफेद स्कॉर्पियो में बैठाया और उससे पूछा, क्या तुम यहां सेक्स करने के लिए लड़की लेकर आए हो क्या ? तुम अपने अपने माता-पिता का नंबर दो और उस शख्स की हाथों से पिटाई कर दी। इसके अलावा, उनके खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए मारुफ खान नामक व्यक्ति के गूगल पे खाते में 40,500 रुपये ट्रांसफर करवा दिए। इसके बाद तीनों पुलिस कर्मियों ने उस शख्स को पत्नी को मीनाताई ठाकरे चौक स्थित एक एटीएम पर ले गए और डेबिट कार्ड के जरिए उससे जबरन दस हजार रुपये नकद निकाल लिए। दम्पति ने उसी रात नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में तीनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। प्रारंभिक पुलिस जांच से पता चला कि यह पैसा एक निजी व्यक्ति के पास गया था। लेकिन पुलिस कर्मियों ने ही पैसे लिए थे। इस घटना की जानकारी मिलने पर ठाणे पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे ने नौपाड़ा पुलिस को मामले की जांच करने का आदेश दिया। इसी जांच के आधार पर यह पाया गया कि तीनों ने गंभीर आपराधिक कृत्य किए थे तथा पुलिस बल के अनुशासन को कमजोर करते हुए पुलिस बल की छवि को धूमिल किया था। इसके बाद ठाणे अपर पुलिस आयुक्त (प्रशासन) श्रीकांत पाठक ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीनों को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि के दौरान इन तीनों पुलिस कांस्टेबलों को प्रतिदिन पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करना होगा। वे ठाणे पुलिस उपायुक्त, मुख्यालय-2 की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। यदि वे बिना पूर्व अनुमति के मुख्यालय छोड़ेंगे तो उनके विरुद्ध अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। निलंबन अवधि के दौरान इन तीनों को कोई निजी नौकरी स्वीकार नहीं करनी है अथवा कोई व्यापार या कारोबार नहीं करना है। उन्हें तब तक निर्वाह भत्ता नहीं दिया जाएगा जब तक कि वे महाराष्ट्र सिविल सेवा (कार्यकाल के दौरान भुगतान, स्वैच्छिक सेवा और सेवा से बर्खास्तगी, निलंबन और निष्कासन) नियम, 1981 के नियम 69 के उप-नियम (4) के तहत आवश्यक प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करते। निलंबन आदेश में, ठाणे के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) श्रीकांत पाठक ने कहा कि यदि वे निलंबन अवधि के दौरान कोई निजी नौकरी स्वीकार करते हैं या किसी भी व्यापार या व्यवसाय में संलग्न होते हैं, तो उनके खिलाफ महाराष्ट्र सिविल सेवा, आचरण नियम-1979 के नियम 16 का उल्लंघन करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। स्वेता/संतोष झा- ०४ मई/२०२५/ईएमएस