लंदन (ईएमएस)। मदरहुड को एंजॉय करना हरेक महिला के लिए बहुत जरूरी होता है ताकि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सके। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में आए बदलाव, डिलीवरी के दर्दनाक अनुभव, और फिर बच्चे के जन्म के बाद रात भर जागने की स्थिति और बढ़ते वजन जैसी परेशानियां महिलाओं को आमतौर पर झेलनी पड़ती हैं। इस सब के बीच अक्सर महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। एक मशहूर रिलेशनशिप एक्सपर्ट के अनुसार, मदरहुड को एंजॉय करने के लिए महिला को अपने हस्बैंड और परिवार का पूरा समर्थन मिलना चाहिए। भले ही बच्चा महिला से पैदा होता है, लेकिन उसकी देखभाल की जिम्मेदारी पिता की भी होती है। महिलाएं अक्सर डिलीवरी जैसे बड़े इवेंट से गुजरने के बाद शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाती हैं। इसके अलावा, बच्चे के कारण उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती और उन्हें खुद के लिए समय नहीं मिलता, जिससे तनाव पैदा होता है। ऐसे में हस्बैंड को चाहिए कि जब पत्नी सो रही हो, तो वह बच्चे की देखभाल करें, जैसे कि उसका डायपर बदलना या उसे नहलाना। घर के अन्य सदस्य भी इसमें मदद कर सकते हैं। नई मां बनने का मतलब यह नहीं कि महिला की अपनी जिंदगी खत्म हो गई। उन्हें इस दौरान भी वह सब करना चाहिए जो उन्हें खुशी दे। स्पा जाना, मसाज कराना, हस्बैंड के साथ डिनर डेट पर जाना या मूवी देखना, ये सारी गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। महिलाएं अक्सर इस दबाव में आ जाती हैं कि उन्हें परफेक्ट मां बनना है, लेकिन यह सोचना ठीक नहीं है क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं होता। खुद को समय देना और खुशी तलाशना जरूरी है। प्रेग्नेंसी के बाद अक्सर महिलाएं अपने वजन और लुक्स को लेकर परेशान रहती हैं, लेकिन यह चिंता करना बेवजह है। डिलीवरी के बाद गर्भाशय को अपनी नॉर्मल शेप में आने में कुछ समय लगता है, और इस दौरान सही डाइट और एक्सरसाइज से महिला अपनी पुरानी शेप में लौट सकती है। इसके साथ ही, नई मां को पोस्टपार्टम क्लासेज लेने चाहिए, जहां बच्चे की देखभाल के बारे में जरूरी जानकारी दी जाती है। इन क्लासेज में नवजात को पकड़ने, डायपर बदलने, दूध पिलाने और बच्चे को नहलाने जैसे अहम पहलुओं पर जानकारी दी जाती है, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है। इस तरह की तैयारी से मां को बच्चे की देखभाल में आत्मविश्वास मिलता है। सुदामा/ईएमएस 05 मई 2025