राष्ट्रीय
05-May-2025
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-कहा- वक्त पर न्याय मिले, इसके लिए गाइडलाइन बनाना हमारा मकसद नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देशभर के सभी हाई हाईकोर्टस से पेंडिंग केसों की जानकारी मांगी। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट उन केसों की रिपोर्ट जमा करें, जिनमें 31 जनवरी 2025 से पहले फैसला सुरक्षित रखा गया, लेकिन आज तक सुनाया नहीं गया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने कहा कि केसों की सुनवाई में होने वाली इस तरह की देरी बेहद परेशान करने वाली है। वक्त पर न्याय मिले। इसके लिए हमें कुछ जरूरी दिशा-निर्देश तय करने होंगे। ऐसा चलता नहीं रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। इसमें चार दोषियों ने शिकायत की थी कि उनकी आपराधिक अपीलों पर झारखंड हाईकोर्ट ने 2-3 साल पहले फैसला सुरक्षित किया था, लेकिन अब तक फाइनल सुनवाई नहीं हुई। झारखंड हाईकोर्ट ने हफ्तेभर में 75 केस पर फैसला सुनाया याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील फौजिया शकील ने बताया कि वर्तमान मामले में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने कई मामलों में सुनवाई पूरी की है। हालांकि याचिकाकर्ताओं की अपील पर अब भी फैसला आना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस जारी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने एक हफ्ते में 75 आपराधिक मामलों पर सुनवाई पूरी की। इसके बाद बेंच ने झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि उन 75 अपीलों की लिस्ट प्रस्तुत करें जिन पर हाल ही में निर्णय हुआ है। यह भी बताएं कि इन मामलों में फैसला कब सुरक्षित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट जिस मामले में सुनवाई कर रहा, उसमें चार मुख्य आरोपी हैं। उनमें से तीन पर हत्या और एक पर रेप का आरोप है। आरोपी अनुसूचित जनजाति और ओबीसी से आते हैं। इन्होंने 2022 में अपनी सजा के खिलाफ आपराधिक अपीलें झारखंड हाईकोर्ट में दायर की थीं। लेकिन करीब 2-3 साल बीतने के बावजूद उन पर फैसला नहीं आया। चार में से एक व्यक्ति 16 साल से जेल में है, जबकि अन्य 11-14 वर्षों की सजा भुगत चुके हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब तक हाईकोर्ट फैसला नहीं सुनाता, वो क्षमा या अन्य राहत के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते। याचिका में तर्क दिया गया है कि हाईकोर्ट का निर्णय ना सुनाना अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।