कल्याण, (ईएमएस)। मुंबई से सटे कल्याण पूर्व के कोलसेवाड़ी इलाके में रहने वाली एक महिला की कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (केडीएमसी) अस्पताल में पांच घंटे तक एम्बुलेंस नहीं मिलने के बाद मौत हो गई। जानकारी के अनुसार कल्याण पूर्व में रहने वाली 35 वर्षीय महिला सविता बिराजदार को शरीर के एक तरफ सुन्नपन की समस्या के बाद सोमवार दोपहर को इलाज के लिए केडीएमसी के रुख्मिणी बाई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने के कारण मरीज के परिजनों को उसे कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। मृतका सविता के रिश्तेदारों ने उसे कलवा ले जाने की तैयारी कर ली। लेकिन मरीज को ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं होने के कारण उन्हें अस्पताल में पांच घंटे तक एम्बुलेंस का इंतजार करना पड़ा, इस दौरान सविता की मौत हो गई। सविता के परिजनों ने उसकी मौत के लिए जिम्मेदार अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि एंबुलेंस समय पर नहीं मिली थी। चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि अस्पताल मरीज को ले जाने के लिए एम्बुलेंस का किराया ले रहा है। मृतक सविता बिराजदार के रिश्तेदारों को एम्बुलेंस देने से इनकार कर दिया गया क्योंकि उनके पास एक हजार रुपये नहीं थे। डॉक्टर ने मृतका सविता के परिजनों को 108 एम्बुलेंस बुलाने की सलाह दी। इसके बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हुई। आश्चर्य की बात ये भी है कि अस्पताल के बाहर 108 एम्बुलेंस खड़ी थी लेकिन उस एम्बुलेंस में कोई ड्राइवर या डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। केडीएमसी के पास कुल 4 एम्बुलेंस उपलब्ध हैं। मगर चालक के उपलब्ध न होने के कारण एंबुलेंस अस्पताल के बाहर खड़ी हैं। वहीं मृतक सविता के परिजनों का आरोप है कि एक एम्बुलेंस चालक ने परिजनों से कहा कि यदि दो-तीन मरीज आएंगे तो वे जाएंगे। इसके बाद सविता को एम्बुलेंस में ले जाया गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि उसी समय उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद मृतक के रिश्तेदारों ने रुक्मिणीबाई अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई होने तक शव को अपने कब्जे में नहीं लेने की की जिद पर अड़ गए। केडीएमसी के चिकित्सा विभाग के उपायुक्त प्रसाद बोरकर ने कहा कि उन्होंने रुक्मिणी बाई अस्पताल पहुंचकर मरीज के परिजनों और डॉक्टरों से चर्चा की, इस घटना के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ 48 घंटे के भीतर कार्रवाई की जाएगी और जिम्मेदार कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और कर्मचारियों को निलंबित किया जाएगा। उधर सविता बिराजदार की पारिवारिक स्थिति बहुत ही दयनीय है और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण उसका बेटा और बेटी अनाथ हो गया। इस घटना से कल्याण पूर्व के कोलशेवडी इलाके में हड़कंप मचा है। - दो महीने में अस्पताल में तीन महिलाओं की मौत हाल ही में कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका के शक्तिधाम अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही के कारण 30 वर्षीय महिला की मौत हो गई। शांतिदेवी मौर्या नामक महिला को किडनी की पथरी के ऑपरेशन के लिए शक्तिधाम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सर्जरी से पहले डॉक्टर ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया। इसके बाद शांतिदेवी की तबीयत खराब हो गई। जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो उनके रिश्तेदारों ने उन्हें पास के एक निजी अस्पताल में ले जाने का फैसला किया। लेकिन एंबुलेंस जब रास्ते में ही थी तब शांतिदेवी की मौत हो गई। रिश्तेदारों ने डॉक्टर पर उसकी मौत के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था। वहीं दो महीने पहले डोंबिवली के शास्त्री नगर अस्पताल में सुवर्णा सरोदे नाम की महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। घटना की जांच के लिए डॉक्टरों की एक समिति गठित की गई। समिति ने डॉ. संगीता पाटिल और डॉ. मीनाक्षी केंद्रे पर मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। डोंबिवली विष्णु नगर पुलिस ने मामला दर्ज किया और मनपा ने उन दोनों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया। संतोष झा- ०६ मई/२०२५/ईएमएस