इस्लामाबाद(ईएमएस)। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने दावा किया है कि पाकिस्तान की सेना अंधेरा होते ही दुबक के बैठ जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री की टिप्पणी 5 मई को आई थी। मानो उन्हें सही साबित करने के लिए, बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों ने 6 मई को बलूचिस्तान के बोलन और केच में दो अलग-अलग हमलों में 14 सैन्यकर्मियों को मार डाला। पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और शासन पर सवाल उठाते हुए अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में भय और अनिश्चितता का माहौल है। उन्होंने दावा किया कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और मंत्री भी अशांत प्रांत में सुरक्षा एस्कॉर्ट के बिना आने जाने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि प्रांतीय राजधानी क्वेटा में अंधेरा होने के बाद, जमीन पर सरकार की मौजूदगी लगभग गायब हो जाती है। यह कानून और व्यवस्था में गिरावट नहीं है। यह सरकार के गायब होते अधिकार का संकेत है। उन्होंने कहा कि हथियारबंद बलूच विद्रोही अब प्रांत के प्रमुख राजमार्गों पर खुलेआम गश्त करते हैं, मनमाने ढंग से चेकपॉइंट बनाते हैं और यहां तक कि शहरी क्षेत्रों पर घंटों तक कब्जा रखते हैं। पाकिस्तान अपने आतंकी शिविरों पर भारत के जवाबी हमलों से परेशान है, जबकि उसे अपने घर में भी एक बड़ी समस्या से निपटना है। बलूचिस्तान इस्लामाबाद की पकड़ से फिसल रहा है। अगर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी की मानें तो यह पहले ही काफी हद तक पाकिस्तान के कंट्रोल से बाहर जा चुका है। उनका कहना है कि मंत्रियों और बड़े अधिकारियों में डर का माहौल इतना है कि वे अंधेरे के बाद बिना सुरक्षा गार्ड के बाहर नहीं निकलते हैं। इससे सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की झूठी कहानी उजागर होती है कि बलूचिस्तान में मुट्ठी भर विद्रोही हैं। 2017 से 2018 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे अब्बासी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि बलूचिस्तान में स्थिति और भी गंभीर है, खासकर रात होने के बाद। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के असीम मुनीर के बलूचिस्तान में अशांति के लिए 1,500 लोगों को जिम्मेदार बताने वाले बयान को भी चुनौती दी। अब्बासी ने कहा कि ‘असीम मुनीर जो भी कहें वह उनकी राय है, मैं केवल वही कह रहा हूं जो मैंने देखा। वीरेंद्र/ईएमएस/08मई 2025