इस्लामा गए हैं। कई सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि भारत ने इस भीषण हमले में फ्रांस की स्क्रैल्प और स्वदेशी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का इस्तेमाल किया। अब पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी ने बताया है कि क्यों पाकिस्तान मिसाइलों को नहीं मार सका। पाकिस्तान की वायुसेना के पूर्व वाइस एयर मार्शल इकरामुल्लाह भट्टी ने बताया कि कि देश के पास एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइलों और बलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता है। इसमें चीन का एचक्यू 16 एयर डिफेंस सिस्टम भी शामिल है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सेना के पास हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलों को रोकने की क्षमता ही नहीं है। बताया जा रहा है कि भारत ने सुखोई-30 एमकेआई विमानों की मदद से ब्रह्मोस मिसाइल काzरे एयर लांच वर्जन इस्तेमाल किया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान के ही पूर्व एयर कमोडोर आदिल सुल्तान ने बताया कि भारत और पाकिस्तान की सीमाएं मिलती हैं। इसके बाद पूरी तरह से हमले से सुरक्षा मुहैया कराना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों को 100 फीसदी रोकना असंभव है। भट्टी ने कहा कि हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलें अब बहुत आधुनिक हो गई हैं। इनकी स्पीड बहुत ज्यादा हो गई है। यह मैक 3 से लेकर मैक 9 तक है। भट्टी ने कहा कि हवा से दागे जाने वाली मिसाइलों को रोकने में एक और दिक्कत यह है कि उनकी उड़ान की अवधि काफी कम होती है। इसकारण मार गिराने के लिए रिएक्शन समय काफी कम होता है। वहीं जमीन से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलों को पहुंचने में काफी टाइम लगता है और इसी वजह से उन्हें मार गिराना संभव होता है। बता दें कि स्कैल्प एक हवा से दागे जाने वाली क्रूज मिसाइल है, जो स्टील्थ तकनीक से लैस है। इसे लंबी दूरी तक हमला करने के लिए तैयार किया गया है। मिसाइल को ब्रिटेन में स्टॉर्म शैडो मिसाइल कहा जाता है। वहीं ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो तीनों ही सेनाओं में शामिल है। इस मिसाइल को ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने बनाया है जो भारत का रूस का ज्वाइंट वेंचर है। ब्रह्मोस मिसाइल क्रूज फेज में मैक 3 की रफ्तार से हमला करने में सक्षम है जिससे उड़ान का समय कम लगता है और बहुत कम समय में यह अपने लक्ष्य को तबाह कर देती है। ब्रह्मोस दागो और भूल जाओ की नीति पर काम करती है। इसके अंदर 200 से लेकर 300 किलो तक बारुद होता है। इसकी रेंज अब करीब 800 किमी तक हो गई है। आशीष दुबे / 09 मई 2025