कथा के छंठे दिन गोवर्धन लीला, महारास और रुकमणी विवाह प्रसंग के साक्षी बने श्रोता केंद्रिय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने भी किया कथा श्रवण खरगोन (ईएमएस)। समीपी ग्राम टेमला में श्रीकृष्ण चैतन्य संकीर्तन समिति के 50 वर्ष पूर्ण होने पर मनाए जा रहे स्वर्ण जयंती उत्सव के निमित्त आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के छंठे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक डॉ. श्याम सुंदर पाराशर ने गोवर्धन लीला, महारास, कंस वध और रुकमणी विवाह प्रसंग का मनोहारी वर्णन सुमधुर भजनों के साथ किया, जिसका श्रवण कर श्रोता भावविभोर हो उठे। डॉ. पाराशर ने पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। उन्होंने कहा श्रीकृष्ण अवतार में जहां श्री हरि ने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का पाठ पढ़ाया तो वही आतातायियों का अंत करते हुए देवताओं के अहंकार का भी नाश किया। रासलीला भी उसी श्रेष्ठतम लीला का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने काम का अभिमान मिटाया था, जहां काम से उपर उठकर हजारों गोपियों के साथ भगवान ने महारास रचाया, जो जीव और परमात्मा का मिलन है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्ण सामथ्र्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है।, जिसमें काम को भस्म करने वाले देवादिदेव महादेव भी गोपी बनकर शामिल हुए थे। एक ऊंगली पर धारण किया गोवर्धन गोवर्धन लीला प्रसंग सुनाते हुए कहा कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की झांकी सजाई गई। सब पापों की कालिमा को साफ करने वाला है हरि कथा अमृत व्यास ने भगवान को न पाकर गोपियां जब विरह में बिलख रही थी, तब भगवान प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि तुम सब सच्चा प्रेम नही करती, सच्चा प्रेम राजा दशरथ का था जो राम के विरह में प्राण त्याग गए। तब गोपियों ने कहा हम भी दम तोड़ देते लेकिन हमने अमृत पी रखा है, श्रीकृष्ण ने पूछा कौन सा अमृत, कब पिया, तो गोपियों ने कहा हमने श्रीकृष्ण की कथामृत पी रखा है जो हमें प्राण नही छोडऩे देता। व्यासजी कहते है श्री हरि कथा अनंत है, इसे सुनने से पाप की कालिमा साफ हो जाती है, यह वह अमृत है जिसे युगो- युगो तक पीने के बाद भी खत्म नही होगा। जवानी अंधी और बुढ़ापा लंगडा डॉ. पाराशर ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक गांव में आग लगने पर एक अंधा और एक लंगड़ा वहां से निकल नही पाते, तब लंगड़े ने अंधे को बुलाया और उसके कंधे पर सवार होकर रास्ता बताते हुए दोनो आग से निकल गए। ऐसा ही युवावस्था और वृद्धावस्था है। युवावस्था जोश में होश खोने वाली होती है, जबकि वृद्धावस्था अनुभव होता है। इसलिए युवा और वृद्ध मिलकर काम करते है तो जोश और अनुभव से किया काम बड़ी से बड़ी कठिनाई का हल निकलकर सफलता कदम चुमती है। विवाह का मना मंगल महोत्सव आओ मेरी सखियों में मुझे मेहंदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन की बना दो.. डॉ. पाराशर श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का मंगल प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि यह दिन भक्तों को वैवाहिक जीवन में सुख, आनंद और भगवान के साथ प्रेम का आशीर्वाद देने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। रविवार को कथा के 7वें दिन श्रीकृष्ण- सुदामा मिलन एवं श्रीकृष्णजी के उद्धव को दिए उपदेश का प्रसंग सुनाकर कथा को विराम दिया जाएगा। डॉ. पाराशर ने कहा कि जो लोग पिछले 6 दिन कथा नही सुन पाए वह सांतवे दिन की कथा सुनकर भी पुण्य लाभ ले सकते है। केंद्रिय राज्यमंत्री ने भी किया कथा श्रवण कथा के छंठे दिन केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर, सांसद गजेन्द्र पटेल, जिला अध्यक्ष नंदा ब्राह्मने, बड़वानी जिलाध्यक्ष अजय यादव, छाया मोरे विधायक पंधाना, केदार डावर विधायक भगवानपुरा, सुभाष पटेल पूर्व सांसद, आत्माराम पटेल पूर्व विधायक, हितेंद्र सोलंकी पूर्व विधायक, डीआईजी सिद्धार्थ बहुगुणा, कलेक्टर भव्या मित्तल, एसपी धर्मराज मीना, एएसपी नरेंद्र रावत, राजेंद्र यादव पूर्व जिला अध्यक्ष, पूर्व जिलाध्यक्ष परसराम चौहान, ओम सोनी पूर्व जिला अध्यक्ष बड़वानी ने भी कथा श्रवण लाभ लिया। नाजिम शेख, 10 मई, 2025