क्षेत्रीय
10-May-2025
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ग्रामीण क्षेत्रों में गहरा रही है पेयजल की समस्या, हवा उगल रहे हैंडपंप, कुओं ने भी तोड़ा दम जिले में 21760 में से 21460 हैंडपंप है चालू बालाघाट (ईएमएस). जिले में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ते जा रही है, वैसे-वैसे पेयजल की समस्या गहराने लगी है। हैंडपंप हवा उगलने लगे हैं। भू-जल स्तर गिरने के कारण कुओं ने भी दम तोड़ दिया है। जिले के 194 हैंडपंपों का पानी पीने योग्य नहीं है। इन हैंडपंपों के पानी में आयरन व फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। हालांकि, विभाग ऐसे हैंडपंपों को बंद करने के लिए प्रयास कर रहा है। लेकिन ग्रामीण इन हैंडपंपों का पानी निस्तार के उपयोग में लानेे के लिए उसे बंद नहीं करने दे रहे हैं। जिले में मौजूदा समय में 21760 में से 21460 हैंडपंप के चालू होने का दावा विभाग ने किया है। जानकारी के अनुसार जिले में भू-जल स्तर तेजी से गिर रहा है। अधिकांश नदी-नाले सूख चुके हैं। बड़ी नदियों में नाममात्र का पानी बचा हुआ है। ऐसे नदियों में पानी कम रेत अधिक नजर आता है। वहीं नदी के मुहाने बसे गांवों में अन्य जलस्रोतों ने भी दम तोड़ दिया है। जिसके कारण पानी की समस्या गहराने लगी है। जबकि अभी मौजूदा समय में मई माह ही प्रारंभ हुआ है। ऐसे में आने वाले समय में पानी की समस्या और गहरा सकती है। पीएचई कार्यपालन यंत्री बीएल उइके ने बताया कि कलेक्टर मृणाल मीना के निर्देशानुसार कलर कोडिंग का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। जिले में कुल 21760 हेंडपम्प है जिनमें से 21460 हेंडपम्प क्रियाशील है। साथ 194 हैंडपम्प ऐसे है जिनमें सीमित मात्रा में फ्लोराइड व आयरन के तत्व पाए गए है। हैंडपंप बंद नहीं करने दे रहे हैं ग्रामीण पीएचई कार्यपालन यंत्री बीएल उइके ने बताया कि जिन हैंडपंपों के पानी फ्लोराइड व आयरन की मात्रा अधिक है, उसे विभाग ने बंद करने का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीण उसे बंद नहीं करने दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयरन व फ्लोराइड यूक्त हैंडपम्प का पानी पेयजल में उपयोग योग्य नहीं माना जाता है। इसके लिए विभाग द्वारा ऐसे हैंडपम्पों को बंद कर दिया जाता है। लेकिन ग्रामीणों द्वारा बन्द नहीं करने दिया जाता है। उनका कहना है कि पेयजल में नही लेकिन अन्य कार्यों के उपयोग में उपयोग कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में पंचायत में बैठक के दौरान बताते हुए चेताया जा चुका है। हैंडपंपों की कर रहे कलर कोडिंग पीएचई के कार्यपालन यंत्री उइके ने बताया कि कलर कोडिंग का कार्य पंचायत के साथ मिलकर प्रारम्भ कर दिया गया है। इसमें 4 तरह के रंग वाले हेंडपम्प होंगे। जिसमें नीला रंगे वाले हेंडपम्प बताएंगे कि इसमें बढिय़ा पानी है, पीला कम पानी वाला हेंडपम्प है। जिसके पास रिचार्ज पीठ बनाना आवश्यक होगा। लाल रंग यानी जल स्तर नहीं होने के साथ ही आयरन व फ्लोराइड यूक्त जल वाला स्रोत माना जायेगा। इस तरह से अब जिले में हेंडपम्प हरे, नीले और पीले रंग में रंगे देखने को मिलेंगे। इसकी शुरुआत मलाजखण्ड में वार्ड-6 पौनी के आईटीआई विद्यालय के पीछे स्थापित हेंडपम्प से की गई है। मलाजखण्ड सीएमओ दिनेश बाघमारे ने बताया कि नगर के एक हेंडपम्प का सुधार कार्य करते हुए हरे रंग से कलर कोड किया गया। हरे रंग का आशय यह हुआ कि इसमें पर्याप्त जल है। जिसका उपयोग हर समय किया जा सकता है। भानेश साकुरे / 10 मई 2025