शोधार्थियों के नवाचारी विचार से लेकर दस्तावेजीकरण तक की यात्रा में सहयोग करेगा आरजीपीवी आरजीपीवी में सृजन कार्यक्रम अंतर्गत नवाचारी प्रोजेक्ट्स आधारित प्रदर्शनी का शुभारम्भ भोपाल (ईएमएस)। समाज के प्रश्नों के समाधान, शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। विशेषकर ग्रामीण भारत में विद्यमान प्रश्नों का समाधान, शिक्षा के माध्यम से ही निकालना होगा। इसके लिए हमें अपने दायित्व का भान करने की आवश्यकता है। भारतीय समाज में हर विद्या-हर क्षेत्र में विद्यमान ज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः शोध एवं अनुसंधान कर, दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता हैं। विश्व मंच पर भारतीय ज्ञान को तथ्यपूर्ण प्रमाण के रूप में दिखाने के लिए, शोध एवं अध्ययन को दस्तावेज से समृद्ध करना होगा। इसके लिए पूर्वजों के ज्ञान के प्रति स्वत्व का भाव जागृत करना होगा। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इनोवेट एमपी मिशन की दृष्टि से सृजित सृजन कार्यक्रम के प्रदर्शनी शुभारम्भ कार्यक्रम में कही। श्री परमार ने कहा कि ग्रामीण भारत के विद्यार्थी, नवाचारी दृष्टि के साथ आगे आ रहे हैं। समाज के प्रश्नों के समाधानकारक नवाचारों के लिए विद्यार्थी आगे आ रहे है। विद्यार्थियों के नवाचारी शोधों के लिए आवश्यक मार्गदर्शन, तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के साथ साथ, उनके नवाचारों के दस्तावेजीकरण के लिए यह अभिनव पहल की गई है। विद्यार्थियों के नवाचारी विचार से लेकर दस्तावेजीकरण तक की यात्रा में, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सहयोग करेगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा पर, प्रदेश में तीव्र गति से क्रियान्वयन हो रहा है। हर विद्या हर क्षेत्र में, भारतीय ज्ञान परम्परा पर पुनर्चिंतन हो रहा है। ईसा के पहले के भारत के समृद्ध ज्ञान पर, शोध एवं अध्ययन जारी है। भारत में हजारों वर्ष पूर्व इंजीनियरिंग और तकनीकी सहित हर क्षेत्र में काम हुए हैं, इसके प्रमाण विश्व मंच पर मिल रहे हैं। मंत्री श्री परमार ने भारत के प्राचीन ज्ञान के विविध उदाहरण प्रस्तुत कर, भारतीय ज्ञान परम्परा पर प्रकाश डाला। मंत्री श्री परमार ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य की चुनौतियों को समझकर, स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 के लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना होगा। आज के युवा विद्यार्थी ही, वर्ष 2047 का विकसित भारत गढ़ेंगे। विकसित भारत @2047 की संकल्पना सिद्धि, विद्यार्थियों की प्रभावी सहभागिता से होगी। मंत्री श्री परमार ने कहा कि नवाचारों को मंच देने को लेकर, तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा सृजन कार्यक्रम का सूत्रपात किया गया है। मंत्री श्री परमार ने कहा कि प्रदेश को, देश भर में अग्रणी राज्यों में खड़ा करने के लिए हम क्रियाशील हैं। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भविष्य में सृजन कार्यक्रम, प्रदेश की विभिन्न संस्थानों में भी सम्पादित करने की कार्य योजना बनाई जाएगी। मंत्री श्री परमार ने सृजन के आयोजकों एवं प्रतिभागी विद्यार्थियों और उनके मेंटर्स को शुभकामनाएं भी दीं। तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री परमार ने सृजन अंतर्गत शोधार्थी विद्यार्थियों के चयनित नवाचारी प्रोजेक्ट्स पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया। मंत्री श्री परमार ने सृजन कार्यक्रम की स्मारिका का विमोचन भी किया। इस दौरान मंत्री श्री परमार ने शोधार्थियों के नवाचारी प्रोजेक्ट्स का अवलोकन कर, उनका मनोबल भी बढ़ाया। इस प्रदर्शनी में 1600 से अधिक प्राप्त प्रविष्टियों में से, चयनित 150 नवाचारी प्रोजेक्ट्स को प्रदर्शन के लिए स्थान दिया गया है। सचिव तकनीकी शिक्षा श्री रघुराज राजेन्द्रन ने कहा कि समाज की चुनौतियों के समाधान उद्यमी और नवाचारी ही कर सकते है। उद्यमियों और नवाचारियों को स्वयं को प्रेरित करने से ही, लोककल्याण के लिए समाधान निकलेंगे। विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजीव त्रिपाठी ने कहा कि विद्यार्थियों के रचनात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना, सृजन का उद्देश्य है। इसके लिए विद्यार्थियों को, समस्याओं और चुनौतियों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि सृजन, जीवंत तकनीकी कार्यक्रम बनेगा। कार्यक्रम में एनआईटीटीटीआर भोपाल के निदेशक डॉ. चंद्रचारु त्रिपाठी, एसजीएसआईटीएस इंदौर के निदेशक प्रो. नीतेश पुरोहित, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. मोहन सेन एवं यूआईटी आरजीपीवी के निदेशक डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया सहित प्रदेश भर के प्रतिभागी शोधार्थी, उनके मेंटर्स, निर्णायक मंडल के सदस्यगण एवं अन्य विद्वतजन उपस्थित थे। 11 मई रविवार को, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर सृजन कार्यक्रम का समापन होगा। धर्मेंद्र, १० मई, २०२५