लेख
11-May-2025
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भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई थी। उसी बीच युद्ध विराम की खबर आ गई। युद्ध विराम की यह खबर अमेरिका से चलकर भारत पहुंची। भारत ने पुष्टि की। उसके बाद से युद्ध विराम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध विराम का श्रेय लिया है। सबसे पहले उन्होंने ही युद्ध विराम का संकेत दिया, डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता का भी दावा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान तत्काल युद्ध विराम के लिये सहमत हो गए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा 48 घंटे तक अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी बेंस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के विदेश मंत्री जयशंकर तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सेना प्रमुख मुनीर से उपराष्ट्रपति बेंस लगातार बात कर रहे थे। दोनों देश युद्ध विराम और बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सीज फायर के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने चीन, सऊदी अरब, तुर्की और कतर को भी धन्यवाद दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत में युद्ध को लेकर जो छवि बनाई गई थी। इस बार पाकिस्तान के साथ निर्णायक लड़ाई होनी थी। पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल किए जाने के दावे किए जा रहे थे। पाकिस्तान की 4 दिनों में जिस तरह की हालत थी। उसके बाद यह लग रहा था कि भारत जल्द ही पाक अधिकृत कश्मीर को अपने कब्जे में लेगा। वहीं बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करेगा। पाकिस्तान को भारत ऐसा सबक सिखाएगा, जिसको वह कई पीढ़ियों तक नहीं भूल पाएगा। भारत का मीडिया भी इसी तरह की खबरों को लगातार चला रहा था। भाजपा का आईटी सैल भी यही दावा कर रहा था। जैसे ही अमेरिका की मध्यस्थता में भारत ने सीज फायर के लिए सहमति दी। उसके बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो छवि बनाई गई थी। उसमें समर्थकों को बड़ा धक्का लगा। इतने वर्षों तक जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर कभी भी भारत ने किसी अन्य देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीज फायर और मध्यस्ता की बात स्वीकार करने से अभी तक उनकी जो छवि बनी हुई थी। उसमें जबरदस्त नुकसान देखने को मिल रहा है। जैसे ही सीज फायर की घोषणा हुई, उसके बाद नेशनल मीडिया के सभी चैनल और उनके एंकर एकदम से हतप्रभ रह गए। उन्हें सूझ नहीं रहा था, कि अब वह किस तरीके से अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाएं। पहलगाम की घटना के बाद बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। एक ही झटके में वह हवा हवाई हो गए। कुछ इसी तरह की स्थिति भाजपा आईटी सेल की हो गई। भारत सरकार ने सीज फायर और मध्यस्थता की बात स्वीकार करके सबको हैरान और परेशान कर दिया। सीज फायर के कुछ ही घंटे के बाद पाकिस्तान की ओर से रात में हमले शुरू हो गए। उसको लेकर देश भर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। बड़े-बड़े समाचार पत्रों को भी समझ में नहीं आ रहा था, कि वह सीज फायर की खबर को प्रमुखता से ले, या सीज फायर के बाद पाकिस्तान के हमले को प्रमुखता से लें। मीडिया में कई घंटे तक अनिश्चय की स्थिति बनी रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो छवि भाजपा आईटी सेल और नेशनल मीडिया ने बनाई थी। युद्ध विराम के बाद उस छवि पर विपरीत असर पड़ा है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती अपनी इमेज को बनाए रखने की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व गुरु की जो छवि है, उसमें आघात लगा है। अमेरिका और चीन के दबाव में जिस तरह से भारत ने सीज फायर के प्रस्ताव को स्वीकार किया। उसके बाद सोशल मीडिया में 1971 का युद्ध, अमेरिका की धमकी, भारत की सेना का शौर्य और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के वीडियो वायरल होने लगे। आम लोगों में यह चर्चा होने लगी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका के दबाव में है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में भारत सरकार ने यह फैसला लिया हैं। अमेरिका ने जब भारत के ऊपर टैरिफ लगाएं, भारत के नागरिकों को हथकड़ी लगाकर भारत वापस भेजा, उसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे। भारत और पाकिस्तान के बीच जिस स्थिति में युद्ध विराम हुआ है। उसके बाद आम जनों के बीच निराशा देखने को मिल रही है। वहीं यह भी संतोष है कि पहलगाम की घटना का बदला भारत ने ले लिया है। ईएमएस / 11 मई 25