लेख
13-May-2025
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भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जारी तनाव एवं युद्ध की स्थितियों के बीच भारत ने बड़ा ऐलान करते हुए सीज फायर लागू किया। चार दिन चले सैन्य संघर्ष में परिस्थितियां और भी ज्यादा नाजुक हो गई थीं एवं पाकिस्तान की भारी तबाही हुई। दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच के बढ़ते तनाव के बीच समझौते के बाद भले ही पाकिस्तान के विनाश का सिलसिला थम गया हो, लेकिन उसकी एक भूल भारी का सबब बन सकता है। क्योंकि भारत ने यह बड़ा फैसले लेते हुए कहा था कि भविष्य में उसकी जमीन पर किसी भी आतंकवादी हमले को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और उसकी गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा। पाकिस्तान की फितरत को देखते हुए भारत सरकार एवं भारतीय सेना अधिक चौकस, सावधान एवं सतर्क रहते हुए संघर्ष-विराम के लिये यदि सहमत हुई है तो उसका स्वागत होना चाहिए। जब भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाकर कड़ा संदेश दे दिया तो संघर्ष विराम को एक समझदारी भरा फैसला ही माना जायेगा। यदि पाकिस्तान ने फिर आतंकवादियों को मदद-हथियार देकर भारत पर हमले करवाये तो उसकी हर हरकत का जवाब पहले से ज्यादा ताकतवर, विनाशकारी एवं विध्वसंक होगा। शनिवार को हुए समझौते के कुछ ही घंटों के बाद सीज़ फायर के अतिक्रमण ने बता दिया कि पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार के बजाय सेना ही समांतर रूप से सत्ता चला रही है। जिसे भारत-पाक के बीच शांति पसंद नहीं है। तभी भारत ने स्पष्ट किया है कि पाक के साथ बातचीत राजनीतिक, ईएएम स्तर पर या एनएसए के बजाय सिर्फ डीजीएमओ स्तर पर ही होगी। पाकिस्तान को परमाणु ठिकानों पर हमले का डर सता रहा था, भय एवं डर की इन स्थितियों के बीच पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सहयोग मांगा एवं युद्ध विराम के लिये अपनी सहमति दी, भारत ने अपनी शर्तों पर, पाकिस्तान को झटका देने के बाद इस सीज फायर पर सहमति जताई है तो यह भारत का बडप्पन है, उसकी बड़ी सोच का ही परिचायक है और भारत की कूटनीतिक जीत है। एक बार फिर पाकिस्तान को उसकी जमीन दिखाई गयी है। दुनिया ने भी भारत की सैन्य पराक्रम एवं स्वदेशी हथियारों की ताकत को देखा और समझा है। एक बानगी भर में जब पाकिस्तान ने पुंछ और राजौरी समेत रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया तो जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना ने भी पाकिस्तानी सेना के कई महत्वपूर्ण अड्डों को तबाह कर दिया। सेना ने रावलपिंडी समेत पाक सेना के 4 एयरबेस नष्ट कर दिए। पाकिस्तान की फतेह मिसाइल को हवा में ही खत्म कर दिया गया। लाहोर एवं करांची सहित पाकिस्तान में अनेक स्थानों पर भारी तबाही से सहम गये पाकिस्तान ने घुटने टेक दिये। भारत ने उसके एयर डिफेंस सिस्टम की धज्जियां उड़ाकर जिस तरह उसके प्रमुख एयरबेस ध्वस्त किए, उसके बाद उसके सामने और अधिक तबाही एवं शर्मिंदगी झेलने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया था। यह ठीक है कि सैन्य टकराव रोकने की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने की, लेकिन इसका मूल कारण तो भारत का यह संकल्प रहा कि इस बार पाकिस्तान को छोड़ना नहीं है। भारत ने संघर्ष विराम केवल सैन्य टकराव रोकने तक सीमित रखकर कूटनीति एवं राजनीतिक परिपक्वता का ही परिचय दिया है। भारत ने पाकिस्तान को सही रास्ते पर लाने के लिए उसके खिलाफ सिंधु जल समझौते स्थगित करने जैसे जो कठोर फैसले लिए, वे यथावत रहेंगे। ये रहने भी चाहिए, क्योंकि धोखा देना एवं अपनी बात से बदलना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। इस पर यकीन के साथ कुछ कहना कठिन है कि अब वह भारत में आतंक फैलाने से बाज आएगा। उसने और खासकर उसकी सेना ने भारत के प्रति जो नफरत पाल रखी है, उसके दूर होने में संदेह है। भारतीय नेतृत्व को पाकिस्तान के प्रति अपने संदेह से तब तक मुक्त नहीं होना चाहिए, जब तक वह आतंक से तौबा नहीं करता और कश्मीर राग अलापना बंद नहीं करता। सीजफायर की कहानी 9-10 मई की रात से शुरू होती है, जब पाकिस्तान पर करारा पलटवार करते हुए भारतीय वायुसेना ने पाक सैन्य ठिकानों पर ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइल दाग दी। इस दौरान रावलपिंडी के नूरखान, चकलाला और पंजाब के सरगोधा एयरबेस को निशाना बनाया गया। यह हमला रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय के बेहद करीब हुआ। इसके बाद पीओके में जकोबाबाद, भोलारी और स्कार्दू एयरबेस को भी तबाह किया गया। भारत के द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले से बौखलाए पाक को अगला निशाना उनके परमाणु कमांड और कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने का डर सताने लगा। ऐसे में पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद मांगी। अमेरिका पहले से दोनों देशों के संपर्क में था। मगर, परमाणु की बात सुनकर अमेरिका भी हड़बड़ी में आ गया। पहलगाम आंतकी हमले के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम के चलते ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होते ही पाक स्थित बहावलपुर, मुरीदके व मुजफ्फराबाद में आतंकी ठिकानों को सेना ने मिट्टी में मिला दिया। फिर एक बार भारतीय सेना प्रोफेशनल एवं सैन्य मानकों पर खरी उतरी। जिसमें वायुसेना-नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ‘ऑपरेशन-सिंदूर’ की कामयाबी से बौखलाए पाक ने एलओसी समेत कई शहरों पर हमले किये, जिसे हमारे प्रतिरक्षातंत्र ने विफल किया। विदेशी डिफेंस सिस्टम के साथ मिलाकर बनायी गई कई परतों वाली प्रतिरक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के तमाम हमले विफल कर दिए। तमाम विदेशी रक्षा विशेषज्ञों ने इस प्रणाली की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। भारत के मारक हमलों के सामने असहाय पाकिस्तान ने अमेरिका, सऊदी अरब व चीन जैसे देशों से सीज़ फायर के लिये गुहार लगायी। लेकिन भारत ने अपनी शर्तों पर सीज़ फायर पर सहमति जतायी। प्रधानमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि सीमा पार से यदि कोई गोली चली तो उसका जवाब गोले से दिया जाएगा। पाकिस्तान का यह आरोप बेबुनियाद है कि तनाव की शुरुआत भारत ने की। भारत ने पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को अभी तक निशाना नहीं बनाया है। दरअसल, आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान लंबे अरसे से दुनिया को गुमराह करता आया है। ताजा मामले में भी वह झूठ फैला रहा है कि भारत की स्ट्राइक उसके धार्मिक स्थलों पर हुई और इसमें आतंकी नहीं, आम नागरिक मारे गए हैं। यह झूठ दरअसल उसी साजिश का हिस्सा है, जिसके तहत आतंकियों ने टारगेटेड किलिंग करके भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास किया था। सच्चाई तो यह है कि धर्म को आतंक से पाकिस्तान ने जोड़ा है। आतंकवादियों को पालना-पोसना और उनके जरिये छद्म युद्ध लड़ना पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है, लेकिन इस बार वह जिस तरह आम लोगों का इस्तेमाल ढाल की तरह कर रहा है, वह निंदनीय एवं शर्मनाक होने के साथ-साथ चिंताजनक भी है। इससे उसकी हताशा झलकती है। भारत का मकसद आतंकवाद का खात्मा है, युद्ध नहीं है। प्रधानमंत्री ने अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस को साफ बताया था कि पाकिस्तान की किसी भी हरकत की प्रतिक्रिया विनाशकारी साबित हो सकती है। निस्संदेह, भारत की सटीक कार्रवाई और पाकिस्तान के हमलों को विफल बनाने से दुनिया में स्पष्ट संदेश गया कि भारत एशिया की एक बड़ी शक्ति है। यह भी कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर न केवल सतर्क है बल्कि पाकिस्तानी हमलों को विफल बनाने की ताकत भी रखता है। भारतीय सेनाओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन इसकी मिसाल है। आधुनिक तकनीक व मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र के बूते भारत पाक के सैन्य प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों व प्रतिरक्षा प्रणाली को करारी चोट देने में सफल हुआ। पाक को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। वहीं उसके मित्र तुर्की व चीन द्वारा दिए गए हथियारों, ड्रोन व प्रतिरक्षा प्रणाली को भारतीय सेनाओं ने नेस्तनाबूद कर दिया। हमने दुनिया को बताया कि हम अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे। पाकिस्तान के पास विकल्प बहुत ज्यादा नहीं हैं। उसकी अर्थव्यवस्था इस संघर्ष को लंबा झेल पाने में असमर्थ है, युद्ध को तो वह भूल ही जाए। इसके बाद भी अगर वह दुस्साहस करने की सोच रहा है, तो यह जरूरी हो जाता है कि उस तक पहुंचने वाली मदद को भी रोका जाए। उसे आईएमएफ से नए राहत पैकेज का इंतजार है और भारत सरकार इसका विरोध करेगी। दुनिया को समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान को मिलने वाली कोई भी मदद आखिरकार आतंक फैलाने में ही इस्तेमाल होगी। (लेखक, पत्रकार, स्तंभकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 13 मई /2025