लंदन (ईएमएस)। ब्रेन मैपिंग तकनीक व्यक्ति को अपने दिमाग की गतिविधियों को समझने का मौका देती है और यह जानने में मदद करती है कि वे क्या महसूस कर रहे हैं और क्यों। हैल्थ एक्सपटर्स के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बढ़ते जागरूकता के कारण यह तकनीक खासतौर से मानसिक तनाव, गुस्सा, चिंता या उदासी जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। ब्रेन मैपिंग एक आधुनिक न्यूरो-साइंस तकनीक है, जिसका उपयोग खास तौर पर दिमाग के विभिन्न हिस्सों की गतिविधियों को स्कैन करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) या एफएमआरआई (फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जैसी तकनीकों का सहारा लिया जाता है। इसमें सिर पर सेंसर लगाए जाते हैं जो मस्तिष्क से निकलने वाली इलेक्ट्रिकल तरंगों को रिकॉर्ड करते हैं। इन तरंगों के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा सक्रिय है और यह व्यक्ति की सोच, भावना या व्यवहार पर कैसे असर डालता है। हाल ही में, बॉलीवुड एक्ट्रेस मनीषा कोइराला ने भी इस प्रक्रिया का अनुभव लिया और इसे सकारात्मक और ज्ञानवर्धक बताया। ब्रेन मैपिंग से व्यक्ति यह समझ सकता है कि उसे गुस्सा क्यों आता है, वह किस स्थिति में तनाव महसूस करता है या क्यों वह अधिक भावुक हो जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, क्योंकि यह न केवल समस्या की पहचान करती है, बल्कि समाधान की दिशा भी दिखाती है। बता दें कि ब्रेन मैपिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि आज के तेज रफ्तार जीवन में लोग खुद को समझने के लिए समय नहीं निकाल पाते। यह तकनीक उन्हें अपने मानसिक संतुलन और शांति की ओर कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। सुदामा/ईएमएस 13 मई 2025