मुंबई, (ईएमएस)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य के जल संसाधन मंत्री और भाजपा नेता गिरीश महाजन को राहत दी है। उच्च न्यायालय ने महाजन के संबंध में दो यूट्यूब चैनलों द्वारा पोस्ट किए गए छह वीडियो क्लिप को तत्काल हटाने का आदेश देते हुए कहा कि वे मानहानिकारक हैं। दरअसल अनिल थत्ते और एक अन्य व्यक्ति ने महाजन के चरित्र पर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कुछ वीडियो जारी किए थे। हाई कोर्ट के न्यायाधीश आरिफ डॉक्टर की एकलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि गिरीश महाजन याचिका में किए गए दावों के अनुसार अंतरिम राहत के पात्र हैं। इन वीडियो से यह स्पष्ट है कि प्रतिवादियों द्वारा गिरीश महाजन के बारे में दिए गए बयान अपमानजनक प्रकृति के हैं। इसलिए, उच्च न्यायालय ने इन वीडियो क्लिपों को तत्काल हटाने का आदेश जारी किया है और दोनों प्रतिवादियों को भविष्य में गिरीश महाजन के खिलाफ कोई भी अपमानजनक पाठ या वीडियो प्रकाशित करने से रोक दिया है। आपको बता दें कि अनिल थत्ते ने एक वीडियो में गिरीश महाजन पर एक महिला आईएएस अधिकारी के साथ संबंध होने का आरोप लगाया था। इन आरोपों के आधार पर एनसीपी शरद चंद्र पवार की पार्टी के विधायक एकनाथ खडसे ने गिरीश महाजन की आलोचना की। इसके बाद गिरीश महाजन ने दावा किया कि अनिल थत्ते का वीडियो झूठा और निराधार है। गिरीश महाजन ने उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर कर मांग की थी कि अनिल थत्ते इन आरोपों के सबूत पेश करें। मंत्री गिरीश महाजन ने मानहानि का दावा करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अनिल थत्ते और एक अन्य व्यक्ति ने उनके खिलाफ झूठे और गैरजिम्मेदाराना बयान दिए हैं। गिरीश महाजन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि यह अनुचित रूप से उनकी मानहानि है और प्रतिवादियों को यूट्यूब से सभी संबंधित वीडियो हटाने का आदेश दिया जाना चाहिए। संजय/संतोष झा- १३ मई/२०२५/ईएमएस