ग्वालियर (ईएमएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश राज्य कार्यकारिणी सदस्य कॉमरेड कौशल शर्मा एडवोकेट ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्ध विराम समझौते का स्वागत करती है, क्योंकि यह क्षेत्र में पूर्ण पैमाने पर युद्ध को रोकने और शांति की रक्षा करने की दिशा में एक सकारात्मक और आवश्यक कदम है। यह घटनाक्रम नियंत्रण रेखा के साथ रहने वाले लोगों को बहुत ज़रूरी राहत प्रदान करता है, जिन्होंने लंबे समय से सीमा पार शत्रुता का दंश झेला है। जबकि सीपीआई किसी भी ऐसी पहल का समर्थन करती है जो रक्तपात को रोकती है और शांति के रास्ते खोलती है, हम इस युद्ध विराम को सुविधाजनक बनाने में संयुक्त राज्य अमेरिका की कथित भागीदारी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सरकारों की बाहरी साम्राज्यवादी शक्ति-विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, जो ऐतिहासिक रूप से वैश्विक संघर्षों को भड़काने के लिए जिम्मेदार है, को एक द्विपक्षीय मुद्दे पर मध्यस्थता करने की अनुमति देने की इच्छा बहुत परेशान करने वाली है। भारत और पाकिस्तान के पास सीधे संवाद के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए पर्याप्त अवसर और राजनीतिक स्थान मौजूद था। इस प्रक्रिया में अमेरिका की पहल पर सहमति जताकर भारत सरकार ने शिमला समझौते के सार का उल्लंघन किया है और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण करने का अवसर प्रदान किया है। इससे अमेरिका के लिए दक्षिण एशिया में अपनी विशिष्ट आधिपत्यपूर्ण और अस्थिरकारी भूमिका निभाने का द्वार खुल गया है, जिससे वह उपमहाद्वीप के आंतरिक मामलों में और अधिक दखलंदाजी कर रहा है। भाकपा भारत और पाकिस्तान दोनों से युद्ध विराम का अक्षरशः पालन करने का आह्वान करती है। साथ ही हम दोनों देशों के नेतृत्व से आग्रह करते हैं कि वे साम्राज्यवादी हस्तक्षेप को खारिज करके क्षेत्रीय स्वायत्तता की रक्षा करें और आपसी विश्वास, सम्मान और लोगों की आकांक्षाओं के आधार पर द्विपक्षीय राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू करें। भाकपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती है कि वे लोगों को बताएं कि अमेरिका की मध्यस्थता क्या थी और यह भी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमारी सरकार से पहले युद्ध विराम की घोषणा कैसे की। इसके अलावा भाकपा विशेष संसद सत्र बुलाकर एक व्यापक और पारदर्शी चर्चा आयोजित करने की मांग करती है।