नई दिल्ली (ईएमएस)। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कई शर्तें और नियम होते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण शर्त कैपिंग है, जिसे जानना बहुत जरूरी है। कैपिंग का मतलब है कि बीमा कंपनी किसी विशेष खर्च पर एक निश्चित सीमा तय करती है, जिसके तहत ही क्लेम का भुगतान किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर आपने 5 लाख रुपये की हेल्थ पॉलिसी ली है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि आपका सभी खर्च बिना किसी सीमा के कवर होगा। बीमा कंपनियां इलाज के विभिन्न खर्चों पर एक अधिकतम सीमा तय करती हैं, जिनमें अस्पताल के रूम रेंट, आईसीयू चार्ज, डॉक्टर की फीस, सर्जरी खर्च और अन्य मेडिकल सुविधाएं शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने 5 लाख रुपये की पॉलिसी ली है और आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की लिमिट 5000 रुपये प्रतिदिन है, तो आप अस्पताल के किसी भी रूम में रह सकते हैं, बशर्ते उसका किराया 5000 रुपये तक हो। यदि रूम रेंट इससे अधिक होता है, तो आपको अतिरिक्त खर्च खुद उठाना होगा, क्योंकि बीमा कंपनी केवल 5000 रुपये तक का ही भुगतान करेगी। इसी तरह, अन्य चिकित्सा खर्चों पर भी कैपिंग लागू होती है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय यह जरूरी है कि आप कैपिंग की शर्तों को ध्यान से समझें और मेडिकल ट्रीटमेंट की लिमिट को देखकर ही पॉलिसी खरीदें। इससे आप यह जान सकेंगे कि आपके इलाज पर किस खर्च का भुगतान बीमा कंपनी करेगी और कहां आपको अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ सकता है। यह आपको अस्पताल में भर्ती होने से पहले योजना बनाने और खर्चों को नियंत्रित करने में मदद करेगा। इसलिए, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले हमेशा कैपिंग के बारे में पूरी जानकारी लें, ताकि आप किसी भी अप्रत्याशित खर्च से बच सकें और अपनी चिकित्सा व्यवस्था को सही तरीके से प्रबंधित कर सकें। बता दें कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से हम अक्सर यह सोचते हैं कि अगर हमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी, तो बीमा कंपनी हमारे सभी खर्चों का भुगतान करेगी। हालांकि, यह सही नहीं है। सुदामा/ईएमएस 14 मई 2025