ज़रा हटके
14-May-2025
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नईदिल्ली (ईएमएस)। आमतौर पर हम सुनते आए हैं कि रात में ठीक से सोना चाहिए, लेकिन आयुर्वेद की किताबें इसे थोड़ा अलग तरीके से प्रस्तुत करती हैं, खासकर गर्मी के मौसम में। आयुर्वेद के अनुसार, गर्मी के मौसम में हमें अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से नींद के बारे में आयुर्वेद के दृष्टिकोण को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद का मानना है कि रात में अपर्याप्त नींद से शरीर में वात दोष बढ़ता है, जिससे ड्राईनेस और असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है। वहीं, दिन में सोने से नमी यानी कफ दोष का संचार होता है, जो गर्मियों में फायदेमंद साबित हो सकता है। गर्मी के मौसम में सूर्य का प्रभाव बढ़ जाता है, और इस कारण वात दोष बढ़ता है, जिससे शरीर में ड्राईनेस होती है। चूंकि दिन की नींद से कफ दोष बढ़ता है, यह हमारे शरीर के लिए अधिक संतुलित हो सकता है। चरक संहिता में नींद के महत्व पर विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें यह कहा गया है कि नींद हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नींद के अभाव में वात दोष बढ़ सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार, नींद की मात्रा और गुणवत्ता व्यक्ति की सेहत और जीवनशैली पर निर्भर करती है। यह भी कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों में, जैसे गर्मियों में, दिन में सोना लाभकारी हो सकता है। विभिन्न आयुर्वेदिक ग्रंथों में नींद के महत्व को नकारा नहीं गया है, बल्कि इसका सही तरीका और समय बताने की कोशिश की गई है। गर्मियों में विशेष रूप से दोपहर की नींद शरीर को राहत पहुंचा सकती है, बशर्ते इसे नियंत्रित और उचित वातावरण में लिया जाए। सुदामा/ईएमएस 14 मई 2025