कोरबा (ईएमएस) देश-प्रदेश में ग्रामीण विकास के लिए सरकार विशेष ध्यान दे रही हैं। परंतु कोरबा जिले के लदगढ़ में न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही आगे बढने की कोई योजना दिख रही हैं। आलम ये है कि बारिश के दिनों में यहां के बच्चों को विद्यालय जाने का कोई विकल्प ही नहीं मिलता हैं। स्वास्थ्य की स्थिति में भी लोग हलाकान हो जाते हैं। ये हालात तब हैं जब स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। जानकारी के अनुसार पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम लदगढ़ उपेक्षित हैं। अरसे बाद भी स्थानीय लोगों ने पक्की सडक नहीं देखी है और न ही दूसरी सुविधाएं उन्हें मिल पाई हैं। लगभग 400 की आबादी अभी भी कृषि युग में जीने को मजबूर हैं। बताया जा रहा हैं की ग्राम से मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए लोगों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। ग्राम में आंगनबाड़ी केंद्र तो है, लेकिन प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय का नामोनिशान नहीं है। यहां के बच्चों को 3 किलोमीटर दूर ग्राम मड़ई जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में जब रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है, तो बच्चे ढाई से तीन महीने विद्यालय से दूरियां बना लेते हैं। जानकारी के अनुसार एकमात्र बोरवेल जलापूर्ति के लिए यहां दिया गया है। गर्मी के महीनों में यह भी अपर्याप्त साबित हो रहा है। ग्रामीण करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नाले का गंदा पानी साफ कर पीने को मजबूर हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ग्रामीणों के अनुसार, आज तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस ग्राम तक नहीं पहुंचा है। शासन द्वारा चलाए गए सुशासन तिहार के अंतर्गत ग्राम में बने शौचालयों की शिकायत का तो समाधान हो गया, लेकिन सडक, पानी और विद्यालय जैसी प्राथमिक जरूरतों की ओर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जंगली जानवरों की चुनौती भी यहां पर है। किसी भी कार्यक्रम के दौरान करीबी रिश्तेदारों को बुलाया तो जाता है, लेकिन उनके आने-जाने की समस्या होती है। ऐसे में खर्चे भी ज्यादा होते हैं और तनाव भी होता हैं। इस बारे में डीईओ कोरबा तामेश्वर उपाध्याय ने कहा हैं की जानकारी मिली हैं की ग्राम लदगढ़ के बच्चे केवल इस वजह से बारिश के दिनों में विद्यालय नहीं जा पाते, क्योंकि कच्चे रास्ते की अड़चन उनके सामने होती है, यह अपने आप में गंभीर मसला है। मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच से प्रस्ताव आने पर इस दिशा में जिला खनिज न्यास से आवश्यक कार्य कराया जाएगा। जल्द ही बीईओ से भी रिपोर्ट ली जाएगी। एसडीएम पोड़ी-उपरोड़ा टी.आर. भारद्वाज ने कहा की मड़ई पंचायत के आश्रित ग्राम की समस्याओं को लेकर जानकारी हुई है। लोगों को सुविधाएं प्राप्त हो यह आवश्यक है। ग्राम की वास्तविक स्थिति और समस्याओं को लेकर परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ शीघ्रता से अगले कार्य किये जाएंगे। बताया जा रहा हैं की वर्षा ऋतु में यह पगडंडी मार्ग पूरी तरह कीचड़ और पानी में तब्दील हो जाता है। ग्राम से होकर एक नाला गुजरता है, जिसमें बारिश के समय पानी का स्तर इतना बढ़ जाता है कि बच्चों और बुजुर्गों का आना-जाना असंभव हो जाता है। ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से लकड़ी और बांस से बनाए अस्थायी पुलों का सहारा लिया है, लेकिन ये कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। जब किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ती है, तो उसे खाट पर लादकर लगभग 3 किलोमीटर दूर सडक तक ले जाना पड़ता है, जहाँ से किसी वाहन का सहारा मिल सके। पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के इस ग्राम में सुशासन तिहार के अंतर्गत अधिकारियो की पहुंच भी न के बराबर रही। बताया जा रहा हैं कि मूल रूप से बुनियादी मसलों को लेकर अपने स्तर पर आवेदन किए। ट्रेंड के हिसाब से निराकरण कर भी दिया गया, लेकिन वास्तविकता यही है कि जो चीजें जमीन पर नजर आ रही है उनका समाधान होगा कैसे। ग्रामीण चाहते हैं कि दिखावे से अलग हटकर समस्याओं को निराकृत किया जाए। 15 मई / मित्तल