राष्ट्रीय
16-May-2025


मोदी सरकार के फैसले से घाटी के किसान खुश श्रीनगर,(ईएमएस)। सिंधु जल संधि रुकने से बारामुला, बांदीपोरा, श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा और कुलगाम के गांवों के किसान खुश हैं। किसानों कहना है कि 38 साल बाद भारत को तुलबुल बैराज का काम शुरू करने का मौका मिला है। भारत ने तुलबुल बैराज पर काम 1984 में शुरू किया था। इससे दक्षिण से उत्तरी कश्मीर तक 100 किलोमीटर का नौवहन कॉरिडोर बनता और कश्मीर की लाइफलाइन झेलम का पानी रुकता और नदी में कभी सूखा नहीं पड़ता। एक लाख एकड़ जमीन सिंचित रहती, लेकिन 1987 में पाक ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन बताकर काम रुकवा दिया था। अब हालात बदल गए हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संकेत दिए कि जब सिंधु संधि निलंबित हो चुकी है, तब तुलबुल प्रोजेक्ट फिर शुरू करना चाहिए। इससे सर्दियों में 24 घंटे बिजली मिलेगी। उत्तरी कश्मीर में वुलर झील, वीडियो में आप जो सिविल कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नेविगेशन बैराज है। इस 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू किया था, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देकर पाकिस्तान के दबाव में बैराज को छोड़ना पड़ा। अब जब सिंधु जल समझौता अस्थायी रूप से निलंबित है, तब मुझे आश्चर्य है कि क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे। इससे हमें नेविगेशन के लिए झेलम का उपयोग करने की परमिशन का लाभ मिलेगा। इससे डाउनस्ट्रीम बिजली परियोजनाओं के बिजली प्रोडक्शन में भी सुधार होगा। खासकर सर्दियों में इसका फायदा मिलेगा। तुलबुल प्रोजेक्ट झेलम नदी पर वुलर झील के मुहाने पर 440 फीट लंबा नौवहन लॉक-कम-नियंत्रण ढांचा था। यहां झेलम का पानी रोकने के लिए 3 लाख बिलियन क्यूबिक मीटर की भंडारण क्षमता तैयार की गई थी। तुलबुल प्रोजेक्ट इस वक्त 20 करोड़ खर्च हुए थे, लेकिन झेलम में बार-बार बाढ़ आने से निर्माण मिट्‌टी में दब गए। इससे झेलम का पानी कश्मीर में नहीं रुक सका और पाकिस्तान बहकर जाता रहा। आशीष दुबे / 16 मई 2025