नई दिल्ली (ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन निर्वासित करने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप हर रोज एक नई कहानी लेकर आते हैं। हम जिस हालत से गुजर रहे हैं, उसमें आप काल्पनिक कहानी गढ़ कर कोर्ट के सामने आ जाते हैं। एक बार कोर्ट ने आपको राहत दे दी तो बार-बार नई कहानी के साथ कोर्ट आ जाते हैं। यदि आपको इतनी ही चिंता है तो गरीबों के लिए कुछ खुद क्यों नहीं करते? जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जो कुछ आपने अपनी याचिका में बात कही है, उसका आधार क्या है? आप हमें कुछ जानकारी दें और जो सामग्री है वो दिखाएं, आपके पास यह जानकारियां कहां से आती हैं? साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कॉलिन गोंजाल्विस से पूछा कि जो कुछ आप बता रहे हैं, उसे किसने रिकॉर्ड किया? अगर याचिकाकर्ता वापस आया तो कैसे वापस आया? सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के समक्ष लंबित इसी तरह की याचिका के साथ जोड़ा है। अब इस मामले में 31 जुलाई को सुनवाई होगी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से अपने दावों के समर्थन में सबूत पेश करने को कहा है। साथ ही डिपोर्ट पर अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों (जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति वाले लोग शामिल हैं) को भारत सरकार द्वारा जबरन म्यांमार निर्वासित करने के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणियां की हैं। अदालत ने कहा कि इस देश में साक्ष्य का एक जाना-माना कानून है। कृपया हमें बताएं कि यह जानकारी कहां से आई है और किसने कहा कि मुझे इसकी व्यक्तिगत जानकारी है। इस पर वकील ने अदालत पर दबाव डाला और बताया कि 38 लोगों को निर्वासित किया गया, उन्हें अंडमान ले जाया गया और समुद्र में फेंक दिया गया। वे अब युद्ध क्षेत्र में हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उन्हें देखने वाला व्यक्ति कौन है? किसने वीडियो रिकॉर्ड की? याचिकाकर्ता कैसे वापस आया? उसने कहा कि वह वहां था। अदालत जाने से पहले, सामग्री एकत्र करें। बाहर बैठे लोगों को हमारी संप्रभुता पर हुक्म चलाने नहीं देंगे। सुबोध\१६\०५\२०२५