नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत हमेशा ही बड़ा दिलवाला रहा है। दुनिया की मदद और उनके तकलीफों में हमेशा ही शामिल रहा है। हाल ही में अफगानिस्तान के लिए भारत दरियादिली दिखाते हुए अटारी-वाघा सीमा के रास्ते 160 अफगान ट्रकों को विशेष प्रवेश की अनुमति दी है। ये ट्रक सूखे मेवे और नट्स जैसे सामान लेकर भारत पहुंचे हैं। यह कदम भारत और तालिबान के बीच हाल ही में हुई पहली राजनीतिक बातचीत के बाद उठाया गया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की थी। यह भारत और तालिबान के बीच पहला औपचारिक राजनीतिक संपर्क था। मुत्ताकी ने ईरान और चीन की अपनी आगामी यात्रा से पहले जयशंकर को फोन किया था। यह कुछ ऐसा है जिसे भारत बहुत महत्व देता है। इस बातचीत के अगले ही दिन भारत ने अफगान ट्रकों को अटारी सीमा के रास्ते प्रवेश की अनुमति दी। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने शुरू में वाघा सीमा पर इन ट्रकों की मंजूरी में देरी की, लेकिन शुक्रवार को कुछ ट्रकों को अटारी में उतारने की अनुमति दी गई। भारत ने 2021 के बाद से अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं, 350 टन दवाइयां, 40,000 लीटर मालाथियॉन (कीटनाशक) और 28 टन भूकंप राहत सामग्री भेजी है। इसके अलावा, भारत ने 2,000 अफगान छात्रों को ऑनलाइन स्कॉलरशिप प्रदान की है। सूत्रों ने बताया कि अफगान पक्ष ने इस सहायता की सराहना की है। बता दें कि पाकिस्तान ने अप्रैल में सीमा बंद होने के बाद 150 अफगान ट्रकों को भारत में प्रवेश की अनुमति दी थी, जो 25 अप्रैल से पहले पाकिस्तान में दाखिल हो चुके थे। इस बार भी पाकिस्तान ने अफगान दूतावास के अनुरोध पर कुछ ट्रकों को मंजूरी दी। हालांकि, भारत-पाकिस्तान व्यापार और लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध जारी है। वहीं, भारत दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहां दोनों देशों के बीच लगभग 1 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। अफगानिस्तान से भारत में मुख्य रूप से सूखे मेवे, सेब और अन्य सामान आते हैं। अटारी-वाघा सीमा भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार का सबसे सस्ता और तेज मार्ग है। सीमा बंद होने से पहले प्रतिदिन 40-45 अफगान ट्रक अटारी पहुंचते थे। वीरेंद्र/ईएमएस/17मई 2025