नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत सरकार ने हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष के संदर्भ में देश की स्थिति स्पष्ट करने के उद्देश्य से एक सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। यह डेलिगेशन दुनियां के प्रमुख देशों की राजधानियों का दौरा करेगा और भारत के रुख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर को भी न सिर्फ शामिल किया गया बल्कि उन्हें इसका नेतृत्व भी सौंपा गया है। इसके साथ ही भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जदयू के संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी, राकांपा (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे को सदस्य बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी ने इस डेलिगेशन के लिए अपनी ओर से जो चार सांसदों के नाम सुझाए थे, उनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार शामिल थे। लेकिन सरकार ने इन चारों को दरकिनार कर शशि थरूर को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया, जिसे लेकर कांग्रेस नेतृत्व हतप्रभ है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि 16 मई की सुबह केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से फोन पर बात कर चार नामों की अनुशंसा करने को कहा था। पार्टी ने उसी दिन दोपहर तक सूची भेज दी, लेकिन सरकार ने थरूर को चुना। इस पूरे मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है, कि राष्ट्रीय हित में वे कभी पीछे नहीं रहेंगे। दरअसल शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा है, कि मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए पांच प्रमुख राजधानियों में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जहां राष्ट्रीय हित शामिल हो और मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा। राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज कांग्रेस खेमे में इस निर्णय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ नेता जहां इसे थरूर की व्यक्तिगत साख और अंतरराष्ट्रीय छवि का सम्मान मानते हैं, वहीं कुछ इसे सरकार की कांग्रेस को राजनीतिक रूप से असहज करने की रणनीति मान रहे हैं। हिदायत/ईएमएस 17मई25