राष्ट्रीय
17-May-2025


बीजेपी नेता प्रदीप बोले- मेरे हाथों में इकबाल ने तोड़ा दम, वे नेक इंसान थे पुंछ,(ईएमएस)। मेरे भाई आतंकी नहीं थे। वे बच्चों को पढ़ाते थे। पुंछ शहर में उनका अच्छा-खासा नाम था। उनके बारे में क्या खबरें चला दीं। मेरे भाई को पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड बताया गया है। वे पीओके में आतंकी सेंटर चलाते थे। न्यूज चैनल वाले कहीं से भी किसी का फोटो उठाकर चला देंगे क्या। लोगों को तो यही लगेगा कि वे सही बोल रहे हैं। इन झूठ दिखाने वाले चैनलों पर कार्रवाई होनी चाहिए। मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल के भाई मोहम्मद असलम मीडिया पर भड़क गए हैं। उन्होंने बताया किया मोहम्मद इकबाल कश्मीर के पुंछ में जामिया जिया उल उलूम नाम के मदरसे में बच्चों को पढ़ाते थे। 7 मई को पाकिस्तान की तरफ से हुई शेलिंग में उनकी मौत हो गई। मौत की खबर नेशनल मीडिया पर चली, जो पूरी तरह गलत थी। इंडियन एयरफोर्स ने 7 मई की रात करीब एक बजे पाकिस्तान और पीओके में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने जम्मू–कश्मीर पर हमला कर दिया था। मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल के मौत की खबरें चैनलों पर चलने लगीं, लेकिन ये झूठी थीं। न कारी मोहम्मद आतंकी थे, न उनकी मौत पीआके में हुई, न वे लश्कर के कमांडर थे, न ब्रेन वॉश करते थे और न ही उनका 14 फरवरी, 2019 में हुए पुलवामा अटैक से कोई लेना-देना था। अब उनकी फैमिली गलत खबर चलाने वाले चैनलों पर मामला दर्ज कराने की तैयारी कर रही है। 7 मई की सुबह पुंछ में पाकिस्तान की तरफ से जबरदस्त गोलीबारी, आर्टिलरी शेलिंग और ड्रोन अटैक किए गए थे। एक धमाका शहर की जियाल मस्जिद के पास हुआ। यहीं वह मदरसा है, जिसमें कारी मोहम्मद इकबाल बच्चों को पढ़ाते थे। वे मदरसे के एक कमरे में बैठे थे, तभी बाहर बम गिरा जिसमें इकबाल बुरी तरह घायल हो गए। हादसे के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज मिलने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पुंछ के बीजेपी नेता और एलएलसी रहे चुके प्रदीप शर्मा बमबारी के बीच लोगों की मदद कर रहे थे। उन्हें मस्जिद के पास बम फटने की जानकारी मिली। वे भागते हुए मस्जिद पहुंचे, देखा कि मौलाना मोहम्मद इकबाल खून से लथपथ पड़े हैं। प्रदीप शर्मा बताते हैं, बम का स्प्लिंटर दाईं तरफ से मौलाना साहब के चेहरे पर लगा था। उनके चेहरे पर बड़ा जख्म हो गया था। वे तड़प रहे थे। करीब आधे घंटे तड़पते रहे। प्रदीप ने उन्हें सहारा दिया। उन्होंने मेरी बांहों में ही आखिरी सांस ली थी। प्रदीप शर्मा बताते हैं कि पुंछ में इतना कुछ हो रहा था कि मैं नहीं देख पाया मीडिया में क्या चल रहा है। मेरे छोटे भाई ने बताया कि न्यूज में जिस मौलवी को आतंकी बता रहे हैं, ये तो वही हैं जिनकी डेडबॉडी आपने सुबह उठाई थी। मैंने शक्ल मिलाकर देखी, तो एहसास हुआ कि ये तो गलत खबर चल रही है। प्रदीप ने बताया किया अपने आखिरी पलों में मौलाना इकबाल दुआएं मांग रहे थे। माफी मांग रहे थे। हाथ जोड़कर मुझसे कह रहे थे कि मुझे बख्श देना। वे बहुत नेक इंसान थे। कुछ पलों में ही उन्होंने मेरे हाथ में दम तोड़ दिया। अब भी रात में मेरी नींद खुल जाती है। उनका चेहरा सामने आता है। हम पुनर्जन्म को मानते हैं हो सकता है कि वे मेरे पिछले जन्म के भाई रहे हों और ये हादसा भाग्य में लिखा हो। उस पल मौलाना इकबाल के साथ उनकी फैमिली से कोई नहीं था। मैं उन्हें गले लगाकर रो रहा था और वह दुआ मांग रहे थे। बता दें 47 साल के मोहम्मद इकबाल पुंछ में ही पैदा हुए थे। शुरुआती पढ़ाई पुंछ में हुई। फिर महाराष्ट्र के अक्कलकुवा में जामिया इस्लामिया इशातुम उलूम से कारी की डिग्री हासिल की। 2004 में महाराष्ट्र से लौटे और जामिया जिया उलूम में पढ़ाने लगे। करीब 20 साल से ज्यादा वक्त तक पढ़ाया। पुंछ में वे जानी मानी शख्सियत थे। हजारों बच्चों को तालीम दी। शहर में उनका अच्छा नाम और सम्मान था। सिराज/ईएमएस 17मई25